सोमवार, 11 मई 2009

बॉर्डर की दूसरी दीवार खोखली!

जोधपुर। पाकिस्तान से लगती राज्य की सीमा पर दुश्मन के नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए सबसे आगे बीएसएफ के जांबाज जवान डंटे हैं और "दूसरी दीवार" पर काबिज है सिविल पुलिस। लेकिन अधिकांश सीमावर्ती थानों का बुरा हाल है। यहां बिजली, पानी एवं टेलीफोन की सुविधा तो छोडिए, मैन पावर का खासा टोटा है। सुरक्षा की इस अनदेखी की भारी कीमत जनता को चुकानी पड सकती है। सिर पर मंडरा रहा है खतरा!सुरक्षा में कोताही का यह आलम तब है, जब पाकिस्तान में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हमारे देश पर पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की टेढी नजर। थार के रास्ते जाली नोट एवं मादक पदार्थो की तस्करी के कई मामले सामने आए हैं।बुनियादी सुविधाएं नदारदअंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाडमेर-जैसलमेर के छह-छह थाने हैं, लेकिन किसी भी थानाकर्मी के पास मोबाइल की सरकारी सुविधा नहीं है। थाना शाहगढ में बिजली, पानी एवं टेलीफोन की सुविधा नहीं है। थाना झिझानियाली में टेलीफोन एवं मीठा पानी नहीं है। सम थाने के कर्मचारियों को भी मीठा पानी नसीब नहीं होता। बाडमेर की 14 चौकियों में टेलीफोन नहीं है। इनमें अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती चौकी बंधडा, बुरहान का तला, ओगाला, सारला, मुनाबाव एवं सियाणा शामिल है। आपसी सम्पर्क का जरिया वायरलैस ही है। 1 जीप, 5 लीटर डीजलसीमावर्ती रामगढ थाने का क्षेत्र 6759 वर्ग किलोमीटर में फैला है। पुलिस यहां रोजाना गश्त का दावा करती है। लेकिन संसाधन के नाम पर उनके पास केवल एक जीप एवं एक मोटरसाइकिल है और महीने का मिलता है महज डेढ सौ लीटर डीजल यानी रोजाना औसतन महज पांच लीटर डीजल। ...यहां तो हाल-बेहालमोहनगढ थाने का क्षेत्रफल 6346 वर्ग किलोमीटर, झिझनियाली का 4800, सम को 2847, शाहगढ का 2160 एवं नाचणा थाने का क्षेत्रफल 1600 वर्ग किलोमीटर तक फैला है। यहां भी गश्त के लिए एक जीप व मोटरसाइकिल है और तेल मिलता है महज सौ से ढाई सौ लीटर प्रतिमाह।सीमा पर पुलिस बाडमेरथाने-गिराब, रामसर, बाखासर, सेडवा, बिजराड व गडरा रोड।चौकियां-हरसाणी, बंधडा, सियाणी, सारला, बुरान का तला, ओगाला व मुनाबाव।जैसलमेर थाने-मोहनगढ, रामगढ, शाहगढ, नाचणा, सम एवं झिझनियाली।चौकियां-नेहडाई, 113 आरडी, खुईयाला, साधना, लोहार व म्याजला।
मनोज शर्मा

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित