शनिवार, 14 नवंबर 2009

गोरक्षा हेतु प्राण त्याग के लिए भी तैयार : प्रवीण तोगाडिया

विजयवाडा, नवंबर १३ – जब तक भारतीय धरती पर गो रक्त बहता रहेगा तब तक देश न तो धन, धान्य से पूर्ण हो सकेता और न ही आरोग्य । भारत आरोग्य, धन, धान्य संपन्न देश तभी हो सकेगा जब देश में गो हत्या बंद हो । गाय पुनः पूजित होकर प्रत्येक घर में गांव में पुनः प्रतिस्थापित होगी ।

गोहत्या बंद करने के लिए यदि हमें अपने प्राण भी त्यागने पडे तो हम उसके लिए भी तैयार है । यह कहना है विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण तोगाडिया का । तोगाडिया विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के लिए विजयवाडा के पी.डब्लू.डी ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित कर रहे थे ।

प्रवीण तोगाडिया ने कहा कि आज से १४०० वर्ष पूर्व भारत देश में मानव हत्या तो हुई लेकिन कभी गोहत्या नहीं हुई । पुरातन में मनुष्य ने पशुओं की यहाँ तक की माँ, बाप, भाई, बहन तक की हत्याएँ की लेकिन आज स्थिति अत्यंत दुखद है । आज गो हत्या निरंतर तेजी गति से बढ रही है दिन प्रतिदिन गो हत्याएँ हो रही है । इस देश में रहने वाले प्रत्येक हिन्दू को संकल्प लेना होगा कि वह गो हत्या नहीं होने देगा ।

तोगाडिया ने कहा कि आज से लगभग ५० वर्ष पूर्व देश में कई ऐसे लोग थे जिन्होने अपनी जिंदगी में कभि अस्पताल नहीं देखा । वे कभि बीमार नहीं पडें । तब देश आरोग्यवान था । धन, धान्य से संपन्न था । लेकिन आज देश में नित प्रतिदिन नई बीमारियाँ लोगों का अपना शिकार बना रही है । कारण गो रक्त का इस धरा पर बहना ।

ns’k esa xks gR;k ds dkj.k gh lnk /ku /kkU; ls laiUu o vkjksX; Hkkjr esa vkt djksMksa yksx Hkw[ks isV lksrs gS gtkjksa dh la[;k esa yksx dqiks”k.k dk f’kdkj gks jgs gS A bu lHkh leL;kvksa ls NqVdkjk ;fn Hkkjr ns’k ds yksx pkgrs gS rks mUgsa xksikyu o xsk laj{k.k ds izfr n`<>

fo’o eaxy xks xzke ;k=k vkt lqcg jkteqanzh ls pydj okyqisye ] arquqdw] oqaxqVq: ] guqeku taD’ku gksrs gq, fot;okMk igqaph A fot;okMk esa fo’o Ekaxy xks xzke ;k=k dk HkC; Lokxr fd;k x;k A fo’o eaxy xks xzke ;k=k ds fy, fot;okMk ds ihMCY;wMh xzkmaM esa vk;ksftr dk;Zdze esa vusd iwT; izeq[k larks ads lkFk gtkjksa dh la[;k esa xks HkDr mifLFkr Fksa A

blls igys xks xzke ;k=k ds fy, oqaxqVq: ds xks’kkyk esa vk;ksftr dk;Zdze esa Hkkjh tulewg ,df=r gqvkA dk;Zdze LFky ij lqcg ls gh ;K dk vk;kstu fd;k x;k Fkk A dk;Zdze esa yxHkx nl gtkj yksx ,df=r gq, ftuesa vf/kdrj efgyk,a Fkh A efgykvksa us dk;Zdze ds iwoZ xkasiwtu fd;k rFkk xk; dks Hkkstu Hkh djk;kA

mifLFkr lHkh xks HkDrksa us larksa dk vk’khoZpu ysrs gq, dk;Zdze ds var esa xkslaj{k.k dk ladYi Hkh fy;k A dk;Zdze esa fnYyh dh nyxr jktuhfr ls ijs gVdj mnkgj.k fotlokMk esa nss[kus dks feyk A dk;Zdze eap ij xks HkDr ds :Ik esa vka/kz izns’k ds fofHkUu jktuhfrd nyksa ds dbZ fo/kk;d mifLFkr FksA ftueasa VhMhih] dkaxzsl ,ao Hkktik ds fo/k;kd lfEefyr Fksa A fo’o eaxy xks xzke ;k=k dq:{ks= ls ‘kq: gksdj fofHkUu jkT;ksa dk Hkze.k djrs gq, fiNys nks fnuksa ls vka/kzizns’k esa gS A

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित