गुरुवार, 14 जनवरी 2010

परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत के सामाजिक सदभाव बैठक - समाचारपत्रों की नज़र में

विविधताएं अनेक, फिर भी देश एक : मोहन भागवत
जोधपुर. 13 janvari 2010 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमारा देश विविधताओं वाला है। अलग भाषा अलग वेश फिर भी अपना एक देश,यही हमारे देश एवं संस्कृति की पहचान है।
मंगलवार को खेतानाडी स्थित माहेश्वरी भवन में आयोजित जोधपुर प्रांत की सामाजिक सद्भावना बैठक में संरसंघचालक ने कहा कि मिलजुल कर रहने में विविधता कहीं भी आड़े नहीं आती। हमारे देश के लोगों में आत्मीयता, परोपकार एवं संस्कार हैं। दूसरे देशों के लोगों की तरह वे केवल स्वयं के लिए जीने एवं स्वयं के बारे में सोचने में विश्वास नहीं करते।
भारत दूसरों के लिए जीने वाले लोगों का देश है। यहां की माताएं भी इतनी त्यागमयी हैं कि अगर बच्चे ने भरपेट भोजन कर लिया है तो वे मान लेती हैं कि उनका पेट भर गया है। भागवत ने कहा कि सभी समाजों की अच्छी बातों को लेकर सद्भावना बढ़ाई जा सकती है। सभी समाजों में सत्य,अहिंसा, परोपकार, आत्मीयता आदि मूल्य परक बातों का समावेश है। यही नहीं सभी समाजों के संतो के उपदेश भी एक समान हैं। जात—पात एवं आडम्बर को इन सबमें बुरा माना गया है।
विदेशी तोडना चाहते हैं समरसता

जोधपुर।१३ जनवरी २०१०। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने भारत की समरता को तोडने वाली विदेशी ताकतों की साजिश से सचेत रहने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि कुछ विदेशी ताकतें हमारी परिवार व्यवस्था व सामाजिक समरसता में भेद पैदा कर इन्हें समाप्त करना चाहती हैं। इसलिए ही हमारी सामाजिक समरसता पर लगातार सांस्कृतिक आक्रमण किया जा रहा है।
भागवत बुधवार को यहां माहेश्वरी भवन में आरएसएस जोधपुर प्रान्त की सामाजिक सद्भावना बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत विविधताओं वाला देश है। 'अलग भाषा अलग देश, फिर भी अपना एक देश' हमारे राष्ट्र व संस्कृति की पहचान है। यहां के लोगों में आत्मीयता, परोपकार व संस्कार हैं। हम दूसरे देशों की तरह खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीते हैं।
देश पर विदेशी सांस्कृतिक आक्रमण को परिवार व्यवस्था व सामाजिक समरसता के लिए घातक बताते हुए उन्होंने कहा कि परिवार एक है, तब तक ही हम सुरक्षित हैं। इसलिए जरूरी है कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सामाजिक सद्भाव की गति बढाई जाए। उन्होंने भाषा, प्रान्त, रंग व भेद जैसी अनिष्टकारी शक्तियों का कठोरता से मुकाबला कर सामाजिक सद्भाव बढाने का आह्वान किया।
संघ प्रेरक है
आरएसएस को प्रेरक बताते हुए भागवत ने कहा कि संघ सामाजिक संस्कृति की विरासत को साथ लेकर चल रहा है। सभी को मिलकर सम्पूर्ण समाज में सद्भाव का वातावरण बनाने के प्रयास करने चाहिए। सामाजिक सद्भावना हमेशा राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होनी चाहिए। सभी समाजों को सद्भावना के लिए प्रेम और आदर को अपनाना होगा।
दस जिलों की भागीदारी
संघ के प्रान्त संघचालक भंवरलाल कोठारी के अनुसार बैठक में जैसलमेर, बाडमेर, पाली, जालोर, सिरोही, नागौर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ व जोधपुर महानगर के सभी समाजों के प्रबुद्धजनों ने हिस्सा लिया। विभिन्न समाजों के प्रबुद्धजनों ने भी सामाजिक सद्भाव को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित