मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

पर्दा इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं


नई दिल्ली। पर्दानशीं मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर मतदाता सूची से हटाए जाने के मामले में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पर्दे के रवायत की न तो कोई कानूनी हैसियत है और न ही इसे इस्लाम का अभिन्न हिस्सा माना जा सकता है। चुनाव आयोग ने यह दलील सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दी है।
सोमवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान भी आयोग की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हाई कोर्ट कह चुका है कि पर्दा इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है। उनकी इस दलील पर याचिकाकर्ता एम. अजमल खान के वकील ने ऐतराज जताया और कहा कि दो-तीन किताबों के निष्कर्ष के आधार पर यह बात नहीं कही जा सकती।
सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि उनके सामने विचार का यह मुद्दा ही नहीं है कि पर्दा इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है कि नहीं। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील नरसिम्हन से यह जरूर कहा कि अगर वे इस मामले में सिर्फ याचिकाकर्ता की फोटो हटाने का आदेश जारी करेंगे तो इसी तरह की मांग लेकर सैकड़ों अर्जियां दाखिल हो जाएंगी। इसलिए यह आदेश जारी करना मुश्किल होगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टालते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह स्वयं सोच कर बताएं कि ऐसा कौन सा आदेश पारित किया जा सकता है जो हर तरह से उचित हो।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मोहन जैन का कहना था कि याचिका में रखी गई मांग नहीं मानी जा सकती है। चुनाव आयोग ने कहा है कि फोटो के दुरुपयोग को ध्यान में रखा गया है। इसलिए मतदाता सूची की साफ्ट कापी यानी सीडी में फोटो नहीं रखी जाती। फोटो वाली मतदाता सूची की कागजी प्रति सिर्फ चुनाव कराने वाले अधिकारियों व राजनीतिक दलों के एजेंटों को दी जाती है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि चुनाव अधिकारियों को फोटो वाली मतदाता सूची दिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों के एजेंटों को फोटो वाली मतदाता सूची न दी जाए क्योंकि उनके हाथ में मतदाता सूची आने से वे उसकी अनगिनत प्रतियां करवा सकते हैं और उससे मुस्लिम धर्म में आस्था रखने वाली पर्दानशीं महिलाओं को ऐतराज हो सकता है। लेकिन चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में धीरे-धीरे पूरे देश में फोटो मतदाता सूची लागू करने की बात भी रखी।
यह मामला तमिलनाडु का है। मद्रास हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद खान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित