मंगलवार, 22 जून 2010

भारतीय संस्कृति विश्व की अनुपम संस्कृति - माननीय सुरेश चन्द्र, अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख





कुछ दृश्य जोधपुर प्रान्त के तिंवरी में संपन्न संघ शिक्षा वर्ग से


प्रदक्षिणा संचलन

योग प्रदर्शन का विडियो


समारोप समारोह में मुख्य वक्ता माननीय सुरेश चन्द्र , अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख ने अपने उधबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व कि अनुपम संस्कृति में से एक है. हिन्दू संस्कृति ही सहिष्णु है वही बाकि संस्कृति असहिष्णु कट्टर , अधिनायकवादी है और वह समाप्ति के कगार पर है .
माननीय सुरेश चन्द्र जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने कहा - भारत भूमि हिन्दुओ की मातृभूमि पित्रभूमि यहाँ हमारी श्रेष्ट संस्कृति विकसित हुई , परन्तु जब जब हिन्दू कमजोर हुआ तब तब भारत पर संकट आए. अत: उन्होंने फिर संघ द्वारा हिन्दू शक्ति को एक होने, शक्तिशाली होने का बीड़ा उठाया मूल आधार था हिन्दू विचारधारा . जब जहाँ हिन्दू विचारधारा का प्रभाव घटा वहां देश कमजोर हुआ देश का वह हिस्सा देश से कटा.
संघ के कारण हिन्दू समाज अपने भेद-भाव भूलकर , विषमता छोड़कर सामाजिक सदभाव से रहने लगे है. उपस्थित जन समूह से उन्होंने आग्रह किया कि धर्म समाज के कार्यो में साधना करे सहयोग करे , इस कार्य को गति दे . संस्कार के इस पुनीत कार्यक्रम में आपका सहयोग मिलता रहे .
कार्यक्रम कि अध्यक्षता श्री भेरा राम सियोल ने की.
कार्यक्रम के मुख्य अथिति संत कृपाराम जी महाराज ने संघ शिक्षा वर्ग के चर्चा करते हुए स्वयंसेवको को कहा कि इस शिक्षण से अपने जीवन को शारीरिक , बौद्धिक कार्यक्रम के द्वारा जीवन परिवर्तन हुआ है और उससे देश को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा की अगर अपनी संस्कृति को बचाना है तो पाश्चत्य तत्वों, विचारो, परम्परा, वेशभूषा तथा त्योहारों को छोड़कर अपनी संस्कृति को अपनाना होगा. पाश्चात्य संस्कृति को शहरीकरण ने बढाया है.
मातृशक्ति एवं अभिभावकों से उन्होंने आग्रह किया की अपने बच्चो को संस्कारित करे और संघ जैसे संघटनो में सक्रिय भागीधारी निभाए.
पूर्व में संघ शिक्षा वर्ग के वर्गाधिकारी मान. घनश्याम जी ओझा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. महेंद्र जी दवे ने मंचासीन अथितियो का परिचय प्रस्तुत किया.
समारोप कार्यक्रम में धव्जारोहन के पश्चात घोष का नयनाभिराम, दंड युद्ध का सुन्दर प्रदर्शन हुआ. योगासन के द्वारा विभिन्न योग तथा आसन का प्रदर्शन हुआ. नियुद्ध , पद विन्यास , सूर्य नमस्कार, समता का भव्य प्रदर्शन हुआ.
सभी प्रदर्शनों का जिवंत वर्णन (commentary) मान. चन्द्र शेखर ,पाली विभाग प्रचारक द्वारा किया गया.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित