सोमवार, 26 जुलाई 2010


सर्वप्रथम भास्कर को साधुवाद की राष्ट्र हित में इक अच्छी मुहिम प्रारंभ की है.
इस देश ने पहले अंग्रेजो का राज झेला था हमने गुलामी की त्राशदी से अभी भी कुछ सिखा नहीं लगता है.

हमारी सरकार और उनके नुमाइंदो को लगता है इस देश से सरोकार ही नहीं है . तभी तो राष्ट्र विरोधी निर्णय लेने पर आमादा है. मल्टी ब्रांड में ऍफ़ ड़ी आई का प्रस्ताव हमारे लिए हानिकारक होगा . फिर इस देश को अप्रत्यक्ष गुलामी की और धकेला जा रहा है.

देखना यह भीहोगा की वे कंपनिया जो भारत में आ रही है उनमे हमारे राजनीतिज्ञों एवं सरकारी कारिंदों के बच्चे कही अच्छे ओहदों पर विराजमान तो नहीं है .

अभी ताज़ा रिपोर्टो में यह बतलाया गया था की अफ़्रीकी देशो से भी बदतर हालत है हमारी, फिर सरकार का सरोकार यहाँ के निर्धनों से क्यों नहीं है . क्यों निर्मोही हो रही है और क्यों छोटे उद्योगों को तबाह करने में लगी है ? रोज़गार के नए अवसर तो पैदा हो नहीं रहे है वर्तमान के रोजगार से भी वंचित करने के इस कुत्सित प्रयास का घोर विरोध होना चाहिए.
इस बड़ी मछली को न्योता देने से छोटी मछलियों का जीवन निसंदेह खतरे में आएगा.
समय रहते अगर नहीं चेते तो आने वाला भविष्य कभी भी माफ़ नहीं करेगा.

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित