सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

चीनी कंपनियों को बैन करेगा भारत? रक्षा संबंध भी नहीं करेगा बहाल - India's reply to china, no reinstate of relatoship - www.bhaskar.com

चीन को अब आइना दिखलाना होगा , हमें अपने को मजबूत करना होगा . चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर तुरन्त प्रभाव से प्रतिबन्ध लगाना अतिआवश्यक है. चीन पाकिस्तान का दोस्ताना गटबंधन हमारे लिए खतरनाक है.

पाकिस्तान में चीन द्वारा पीओके और गिलगिट-बालटिस्तान में करीब 17 परियोजनाओं पर चीन के हजारों मजूदर काम कर रहे हैं। इसमें करीब 14 प्रोजेक्ट तो पीओके में ही चल रहे हैं। भारत सरकार को मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में करीब 122 चीनी कंपनियां सक्रिय हैं। इनमें से ज़्यादातर पीओके और गिलगिट-बालटिस्तान में भी अलग-अलग प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही हैं।

चीन तकरीबन सभी अहम क्षेत्रों में अपनी पैठ बना रहा है। इनमें मोबाइल कनेक्टिविटी से लेकर पावर प्रोजेक्ट, हाई वे और रेल मार्ग का निर्माण शामिल है।

आइए, देखें कि चीन किन-किन परियोजनाओं में सक्रिय है।

कराकोरम हाई वे: चीन के रोड एंड ब्रिज कॉरपोरेशन ने इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत कराकोरम हाई वे को दो लेन बनाने और जगलोट-स्कार्दू रोड को चौड़ा करने का काम भी यही कंपनी कर रही है।

पाक-चीन रेल लिंक: कराकोरम हाई वे के समानांतर हवेलियां और खूंजेराब दर्रे के बीच 750 किलोमीटर लंबे इस रेल संपर्क मार्ग का निर्माण हो रहा है।

झेलम ब्रिज: पाकिस्तान ने मीरपुर जिले के ढंगाली में झेलम नदी के ऊपर एक बड़े पुल को बनाने का ठेका चीन की सरकारी कंपनी को दिया है।

गिलगिट-स्कार्दू मार्ग पर पांच बेली ब्रिज: रणनीतिक तौर पर बेहद अहम 167 किलोमीटर लंबे इस सड़क पर मौजूद पांच बेली पुलों की जगह नए पुलों के निर्माण का ठेका भी पाकिस्तान ने चीन रोड एंड ब्रिज कॉरपोरेशन को दिया है।

खनन: चीन की एमसीसी रिसोर्सेज डेवपलमेंट कंपनी लिमिटेड को खनिज की खोज का काम सौंपा गया है।

सस्ट ड्राई पोर्ट: गिलिगट से करीब 200 किलोमीटर दूर कराकोरम हाई वे पर पाक-चीन सस्ट पोर्ट कंपनी एक सस्ट ड्राई पोर्ट को चला रही है। यह पोर्ट चार साल पहले ही शुरु हो गया था। यह जॉइंट वेंचर प्रोजेक्ट है जिसमें चीनी कंपनी की हिस्सेदारी ज़्यादा है।

मोबाइल कम्युनिकेशन लिंक: पीओके और गिलगिट-बालटिस्तान के कई इलाकों में चाइना मोबाइल मोबाइल सर्विस मुहैया कर रहा है। कंपनी की योजना है कि इस इलाके में कई टावरों का निर्माण किया जाए और कवरेज बढ़ाई जाए।
डायमर-भाषा बांध: चीन 4500 मेगावॉट की इस योजना के लिए अरबों रुपये का कर्ज देगा। सिनिहाइड्रो नाम की कंपनी इस परियोजना के विकास पर काम करना चाहती है।

मगला डैम रेजिंग प्रोजेक्ट: चीन के इंटरनेशनल वॉटर एंड इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन और कुछ पाकिस्तानी कंपनियों ने अपना काम कर लिया है। इस बांध के बनने से 30 लाख एकड़ फीट की दर से सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ जाएगी।

नीलम-झेलम हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट: मुजफ्फराबाद जिले में इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी चीन के गेजुबा वॉटर एंड पावर कॉरपोरेशन पर है। चीन की यह कंपनी भारत में किशनगंगा परियोजना से पहले ही नीलम-झेलम हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पूरी करना चाहती है। इसके अलावा चीन के पास करीब चार अन्य हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं। इनमें गिलगिट-बालटिस्तान में मौजूद भुंजी प्रोजेक्ट, कोहला प्रोजेक्ट, नालटार प्रोजेक्ट के अलावा फेंदर, हारपो और यर्लबो में छोटे-छोटे पावर प्रोजेक्ट शामिल हैं।

यह सभी प्रोजेक्ट ऐसे है जिनसे भारत प्रभावित होए बिना नहीं रह सकता . सामरिक द्रष्टि से भी यह प्रोजेक्ट भारत के लिए चिंतनीय है.

भारत को लेना होगा कड़ा निर्णय
परिस्थतियो को देख कर तो यह लगता है कि भारत को चीन के अपने रिश्ते पर पुनर्विचार करना चाहिए . सीधा सीधा भारत चीनी उत्पादों के आयात पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए.


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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित