मंगलवार, 19 जुलाई 2011

आत्मीय व्यवहार ही ईशान्य भारत की समस्या का हल : भैयाजी जोशी

आत्मीय व्यवहार ही ईशान्य भारत की समस्या का हल : भैयाजी जोशी
आसाम इन फ्लेम्सउपन्यास का प्रकाशन

book release Assam in flames
प्रकाशन समारोह में लेखक श्री प्रमोद वडनेरकर, श्री. तरुण विजय, श्री. भैय्याजी जोशी, श्री. मा. गो. वैद्य

नागपुर, १७ जुलाई
प्राकृतिक, सामाजिक, पांथिक और भाषिक असमानता के साथ अन्य भी अनेक कारणों से ईशान्य भारत की जनता के मन में इस देश के बारे में निर्माण हुई दूरी की भावना, हमारे आत्मीय और प्रेमपूर्वक व्यवहार से ही समाप्त हो सकती है, इसके लिए युवाओं की बड़ी ताकद निर्माण करनी होगी। इस दिशा में गति से काम करने के लिए आसाम इन फ्लेम्सयह प्रमोद वडनेरकर का उपन्यास सब को निश्‍चित ही प्रेरणा प्रदान करेगा, ऐसा विश्‍वास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने व्यक्त किया। इस उपन्यास का भैयाजी जोशी के हस्ते रविवार को नागपुर में प्रकाशन हुआ। उस कार्यक्रम में वे बोल रहे थे। ज्येष्ठ विचारवंत, पत्रकार मा. गो. वैद्य जी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा पत्रकार सांसद तरुण विजय इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे।
बांगला देशी मुसलमानों की घुसपैठ के कारण असम राज्य में निर्माण हुए जानलेवा और दीर्घकालीन परिणाम केवल इस एक राज्य तक ही सीमित नहीं है; उसके परिणाम संपूर्ण ईशान्य भारत पर भी हुए है, ऐसा प्रतिपादित करते हुए श्री जोशी ने इस समस्या के लिए कारण बने सब मुद्दों का विस्तार से विवेचन किया। उन्होंने कहा, अंग्रेजों से लेकर आज के राजकर्ताओं तक- सब ने इस प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार किया।पहले से ही अनेक बातों में एक दूसरे से भिन्न होने वाले इन लोगों में के भेद और अधिक तीव्र और संघर्षपूर्ण कैसे होगे, इसके लिए ही प्रयास किए गए।
ईशान्य भारत के सभी राज्यों के लिए एक संयुक्त नीति निश्‍चित करनी चाहिए, ऐसी मांग करते हुए उन्होंने कहा कि, इस प्रदेश का आर्थिक विकास द्रुत गति से किया जाना चाहिए। एकात्मता का संदेश और संस्कार देने के कार्यक्रम यहॉं होने चाहिए।हमें उनकी मानसिकता समझकर, उन्हें हमारे बीच समा लेना चाहिए।
तरुण विजय
असम में बांगलादेशीयों की घुसपैठ ने देश की एकात्मता को कितनी हानि पहुँचाई है, यह अपने जोशपूर्ण, भावना उद्वेलित करनेवाले भाषण में सांसद तरुण विजय ने स्पष्ट किया। इसमें केवल असम ही नहीं झुलस रहा, आज संपूर्ण भारत इसमें झुलस रहा है, ऐसा प्रतिपादित कर उन्होंने कहा कि, असम में की समस्याएँ समाप्त करने के लिए धर्म को राष्ट्र के साथ जोड़ना आवश्यक है। यह उपन्यास, भारत के सिकुडते राष्ट्रीय वातावरण में भारतीयत्व की दृष्टि का आविष्कार करता है, ऐसा भी उन्होने कहा।
इस उपन्यास का अन्त निराशाजनक है।वह प्रत्यक्ष साकार ना हो इसलिए हम सब कृतसंकल्प हो, ऐसा आवाहन उन्होंने किया।
मा. गो. वैद्य
असम की समस्या के लिए बांगलादेशी मुसलमान जिम्मेदार नहीं; दोष हम हिंदुओं का ही है, ऐसा स्पष्ट मत व्यक्त कर मा. गो. वैद्य जी ने,असम की समस्या समाप्त करने के लिए बांगला देश ही भारत में लाना चाहिए, ऐसा उपाय सुझाया।
बांगला देश की निर्मिती में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी, लेकिन उसके बाद भारत की सब नीतियॉं और राजनीति पाकिस्तान केन्द्रीत थी।वह बांगला देश केन्द्रीत होनी चाहिए थी। आज भी हम बांगला देश की ओर आवश्यक गंभीरता से ध्यान नहीं देते ऐसा मत व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि, अखंड भारत यही इसका उपाय है और वह असंभव नहीं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित