सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

ऋषि व कृषि हमारी संस्कृति का मूल : कृपाराम

ऋषि व कृषि हमारी संस्कृति का मूल : कृपाराम


नवनिर्मित 'समर्पण' भवन का समारोहपूर्वक हुआ उद्घाटन


सेवा भारती समिति बालोतरा की ओर से नवनिर्मित भवन 'समर्पण' का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचार व चिंतक रंगाहरि ने शुक्रवार को उद्घाटन किया।

समारोह में रंगाहरि ने कहा कि विश्व में संघ का काम हिंदू स्वयंसेवक संघ नाम से चलता है। एक सूत्रता व आधार के लिए संपत्ति नहीं, प्रतिबद्धता का स्थान चाहिए। उन्होंने बालिकाओं को संघ कार्यों व समिति से जोडऩे के लिए व्याख्यान मालाओं का आयोजन कर महापुरुषों का जीवन परिचय कराने की बात कही।

उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व विकास के व्याख्यान, राष्ट्रीय शिक्षा व राष्ट्रीय प्रबुद्धता विषयों की व्याख्यान मालाओं से तरुण प्रबोधन होना चाहिए। वाचनालय का संचालन करने से युवा वर्ग को राष्ट्र धर्म व धार्मिक साहित्य से चरित्र निर्माण का प्रशिक्षण मिल सकेगा। कृपाराम महाराज ने कहा कि भारत देश की रक्षा का कत्र्तव्य सभी का है।

संघ संस्कार, संस्कृति व जीवन मूल्यों को बचाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऋषि व कृषि हमारी संस्कृति का मूल है तथा दोनों एक-दूसरे के पूरक है। सेवा भारती अध्यक्ष बंशीलाल परमार ने आभार व संचालन देवेंद्र कुमार माली ने किया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय संघ संचालक पुरुषोत्तम परांजपे, प्रांत संघचालक ललित शर्मा, जिला संघचालक सुरंगीलाल सालेचा, महामंडलेश्वर राघवदास महाराज, महंत सुखदेव महाराज, वीरमनाथ महाराज जास्ती व रघुनाथ भारती सिणधरी अतिथि के रूप में मौजूद थे।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित