शुक्रवार, 16 मार्च 2012

प्राकृतिक संसाधन देश की जीव सृष्टि की सजीव विरासत


नागपुर 16 मार्च 2012 प्राकृतिक संसाधनों पर जनता का अधिकार बरकरार रहें ऐसे कथन करनेवाला तथा राष्ट्रीय एकात्मता संबंधित ऐसे दो प्रस्ताव आज से प्रारंभ हुए अ. भा. प्रतिनिधि सभा में आनेवाले है। इस दोनों प्रस्तावों को प्रस्ताव समिति ने विचार कर प्रस्ताव निश्चित किये हैं। उस पर प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे ऐसा प्रतिपादन रा. स्व. संघ के सहसरकार्यवाह श्री. दत्तात्रयजी होसबले इन्होंने पत्रकारों से बातचित करते हुए किया।


आज प्रात: 8.30 बजे मा. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत एवं सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने भारतमाता पूजन कर दीप प्रज्वलन किया। उस के बाद मा. सरकार्यवाहजी ने अपना वार्षिकअहवाल प्रस्तुत किया। इस प्रतिनिधि सभा में आनेवाले प्रस्तावों के बारे में बताते हुए आपने कहा की आज राज्यों के बीच जल, जमीन और भाषाविवाद को लेकर कटुता उत्पन्न होती है। आज देश में आपसी सामंजस्य और सौहार्द का वातावरण निर्माण करने की जरूरी है। आज अनेक बातों को लेकर देश को तोडने का प्रयास हो रहा है। वह नही होना चाहिए। क्षुद्र राजनीतिक लाभ हेतु राजकारण भी नही होना चाहिए। हो सकता है, की मॉंगे सही भी रहें, पर उससे नफरत पैदा कर उसका लाभ उठाने का कुत्सित प्रयास न किया जाय।


प्राय: ऐसे बोला जाता है की यदि तिसरा विश्वयुद्ध होता है (जो न हो), तो वह जल के लिये होगा। पानी संकट काफी गहरा है। उसमें पर्यावरण का प्रश्न भी है। सब को शुद्ध जल पीने के लिए मिलना चाहिए तथा कृषि एवं कारखानेके लिए भी जल की उपलब्धता जरूरी है। ऐसे मे प्राकृतिक संसाधनों पर जनता का अधिकार बना रहना चाहिए। ऐसी जानकारी इस प्रस्ताव के संदर्भ मे देते हुए दत्तात्रयजी ने आगे बताया की इस वर्ष नये प्रतिनिधि, नये वातावरण में नागपुर में प्रतिनिधि सभा के लिये आये हैं। वैसे तो सभी स्वयंसेवकों को नागपुर और रेशीमबाग में आना बहुतही अच्छा लगता है। पर इस वर्ष महर्षि व्यास सभागृह का निर्माण हुवा है, तथा नये भवन भी बने हैं। इसलिये सब नया वातावरण है। संघ के संविधाननुसार हर तीसरे वर्ष सरकार्यवाहजी का चुनाव होता है। यह चुनाव इस वर्ष होनेवाला है।


आपने आगे कहा की, अगले वर्ष 12 जनवरी 2013 से लेकर 11 जनवरी 2014 तक स्वामी विवेकानंद सार्ध शताब्दी होनेवाली है। उसके लिये तयारीयां प्रारंभ हुई है। कन्याकुमारी के विवेकानंद केंद्र के साथ इसका आयोजन हो रहा है। संघ के स्वयंसेवक समाज को जोडते हुए इस कार्यक्रम में रहेंगे। इस हेतु अ. भा. स्तरपर स्वामी विवेकानंद सार्ध शताब्दी समारोह समिति गठित होनेवाली है। उसके अंतर्गत विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा, जिसमें साहित्यनिर्मिति और अन्यान्य कार्यक्रमों का समावेश है। स्वामीजीने हिंदुत्व के बारे में जो विचार कहा है, वह कैसा सार्वकालिक है, इसका विश्लेषण करते हुए सर्वसमावेशक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। स्वामीजी ने समाज के जागरण के बारे में विशेष कर युवकों के बारे में जो कहा है, वह सर्वकालिक है। उसमे समाज के दलित, पिछडे वर्गों के युवकों को साथ लेकर कार्यक्रम किये जायेंगे। स्वामीजी ने प्रबुद्ध नागरिकों की भारतीयता एवं महिलाओं के सहभाग के बारेमें भी कहा था। उसको लेकर इस कार्यक्रम में विचार होगा। इसलिये 1000 युवकों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी हाथ में लिया है। इस सार्ध शती महोत्सव में समाज के विविध लोग भी कार्यक्रम ले सकते है। उनको साहित्य, कार्यकर्ता एवं किसी अन्य मदद की आवश्यकता पडी तो समिति उनको मदद करेगी।


प्राकृतिक आपदा में संघ स्वयंसेवक सेवाकार्य करते हैं। अभी सिक्कीम में बाढ आई, तब स्वयंसेवकोंने मददकार्य किया। प्राकृतिक आपदा को छोडकर विविध सेवाकार्य- देशभर में करीब डेढ लाख कार्य चलते हैं, उसकी भी चर्चा यहां होगी। ऐसे बताते हुए दत्तात्रयजी ने आगे बताया की गोसंवर्धन एवं कुटुंबप्रबोधन का जो कार्य चलता है, असके बारे में भी यहां चर्चा होगी। पुना में सेवासहयोग नाम की संस्था चलती है, बेंगलोर में भी एक संस्था कार्यरत है। कुटुंबप्रबोधन यह बहुतही महत्वपूर्ण कार्य है। आज समाज में प्राय: ऐसा देखा जाता है, की हमारे पूर्वजोंने जो दादा-दादी, मां-बाप एवं पोता-पोती यह जो तीन पीढीयां एकसाथ रखने का प्रयास किया था, वह आजकल दिखाई नही पडता।


इस संदर्भ में आये एक प्रश्न के जबाब में आपने कहा की, हम "लिव्हिंग इन रिलेशनशिप' में विश्वास नही रखते। वह विचार पाश्चिमात्य भी नही है, वह भोगवादी विचार है। वह विकृति है। हम उसका समर्थन नही कर सकते। जब केवल एकही व्यक्ति रहती है, तो उसे सुरक्षा देने हेतु नानाजी देशमुख ने गुरुकुल का एक प्रयोग किया था। उस व्यक्ति के साथ चार विद्यार्थि रहते है। उनकी मदद उस व्यक्ति को मिलती है। यदि अकेला व्यक्ति है, तो उसे समाजकार्य में अधिक रूप में सहभागी होना चाहिये। इसके बारे में भी हमने प्रयास किया है। कुटुंब प्रबोधन यह आज के युग में महत्व का विषय है, ऐसा प्रतिपादन आपने किया। इस पत्रपरिषद में आपके साथ अ. भा. प्रचारप्रमुख मा. डॉ. मनमोहनजी वैद्य उपस्थित थे।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित