पाकिस्तानी अल्पसंख्यक चाहते है भारत की स्थायी नागरिकता
इंदौर, मई 15: पाकिस्तान में हिंदू और अन्य धर्मों के अल्पसंख्यक समूदाय पर होने वाले अत्याचार से तंग आकर भारत भाग आये अल्पसंख्यक भारत में ही स्थायी रूप से बस जाना चाहते है।
अपनी जन्मभूमि पाकिस्तान को अलविदा कह कर
मध्यप्रदेश में रह रहे शरणार्थियों के सहयोग में मध्यप्रदेश का सिंधी
समुदाय आगे आया है। सिंधी समुदाय ने इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता
देने की मांग की है।
सिंधी समुदाय के स्थानीय नेता शंकर
लालवानी का अनुमान हैं कि मध्यप्रदेश में ऐसे शरणार्थियों की मौजूदा तादाद
3,000 के आसपास है, जिन्होंने मजहबी आधार पर कथित उत्पीड़न के कारण धार्मिक
वीजा पर पाकिस्तान छोड़ा था और अब वे अपने वतन नहीं लौटना चाहते। इन
शरणार्थियों में सिंधियों के साथ सिख भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने देश की
सभी प्रदेश सरकारों और केंद्र शासित सूबों को आदेश देकर सुझाया है कि वे
संबंधित दिशा निर्देशों और तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद ऐसे
शरणार्थियों को लांग टर्म वीजा (एलटीवी) प्रदान करने के बारे में विचार कर
सकते हैं।
लालवानी ने कहा, ‘केंद्र सरकार का यह कदम
उन हजारों पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिये बड़ी राहत का सबब बन गया है,
जिन्होंने अपना मुल्क छोड़ने से पहले अत्याचारों का लम्बा दौर झेला है और
जो फिलहाल भारत में वैध प्रवास करना चाहते हैं।
बहरहाल, जैसा कि वह कहते हैं कि एलटीवी इस
मसले का स्थायी समाधान हर्गिज नहीं है और केंद्र सरकार को ऐसे शरणार्थियों
को भारत की नागरिकता देने के बारे में नियम कायदे ढीले करने चाहिये।
वर्तमान कायदों के मुताबिक कोई व्यक्ति
देश में कम से कम सात साल तक लगातार वैध प्रवास करने के बाद ही नागरिकता की
अर्जी दे सकता है। लेकिन लालवानी के मुताबिक मध्यप्रदेश के सिंधियों को
भारतीय नागरिकता मिलने में खासी दिक्कत पेश आ रही है। नागरिकता के कुछ
आवेदन तो ऐसे हैं, जिन पर अंतिम कार्यवाही करीब 20 साल से लंबित है।
लालवानी ने कहा, ‘केंद्र सरकार को
पाकिस्तान के अल्पसंख्यक तबके से ताल्लुक रखने वाले शरणार्थियों को विशेष
दर्जा देना चाहिये। अगर भारत में उनका चाल चलन हर तरह से ठीक रहता है तो
उन्हें दो साल के वैध प्रवास के बाद ही इस मुल्क की नागरिकता मिल जानी
चाहिये।’
लालवानी ने यह मांग भी कि पाकिस्तानी
शरणार्थियों को भारत की स्थायी नागरिकता देने के संबंध में देश भर के
जिलाधिकारियों को अपेक्षाकृत अधिक शक्तियां प्रदान की जानी चाहिये।
उन्होंने बताया कि इंदौर में जिला प्रशासन
और पुलिस महकमे की मदद से ऐसे शरणार्थियों के लिये जल्द विशेष शिविर लगाये
जायेंगे। इन शिविरों में इनके एलटीवी की औपचारिकताएं पूरी की जायेंगी।
आपको बता दे न्युजभारती हमेशा से
पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले नाइंसाफ़ी के खिलाफ़
आवाज उठाता रहा है। पाकिस्तान में हिंदू लडकियों के अपहरण और जबरन
धर्मांतरण के घटनाओं से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन का
मामला उजागर हुआ।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शहर जैकबाबाद
में रहने वाले किशनदास करीब नौ महीने पहले 35 दिन के धार्मिक वीजा पर
पाकिस्तान से भारत आये थे और फिलहाल उन्होंने अपने परिवार समेत इंदौर में
शरण ले रखी है।
किशनदास ने बताया, ‘पाकिस्तान में धार्मिक
अल्पसंख्यकों की हालात बेहद खराब हैं। मेरे पाकिस्तान छोड़कर भारत आने से
पहले जैकबाबाद में दो लोग मेरी दुकान लूटने आये, जब मैंने इसका विरोध किया
तो मुझे गोली मार दी गयी। भगवान का शुक्र है कि मेरी जान बच गयी।’
यह पूछे जाने पर कि इस घटना को लेकर
उन्होंने पाकिस्तान पुलिस को शिकायत क्यों नहीं की, उन्होंने कहा,
‘पाकिस्तान में हम लोग (धार्मिक अल्पसंख्यक) डरे हुए हैं। हम वहां कम तादाद
में और बहुत कमजोर हैं, जबकि वे लोग (धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित
करने वाले तत्व) बड़ी तादाद में और बहुत ताकतवर हैं। अदालत में उन लोगों को
मुजरिम साबित करना मुश्किल है। इसलिये मैंने पाकिस्तान छोड़ने में ही भलाई
समझी।’
किशनदास बताते हैं कि वह किस तरह भारत के
नियमित वीजा के लिये इस्लामाबाद में नौ महीने तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर
काटते रहे। आखिरकार उन्हें धार्मिक वीजा के सहारे भारत आने पर मजबूर होना
पड़ा।
सिंधी समुदाय के नेताओं की मांग है कि
केंद्र सरकार को ऐसे हजारों शरणार्थियों को विशेष दर्जा देकर दो साल के वैध
प्रवास के बाद भारत की स्थायी नागरिकता प्रदान करने के बारे में जल्द उचित
कदम उठाने चाहिये।
स्त्रोत:http://hn.newsbharati.com
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