भारत-तिब्बत सहयोग मंच ने शुरू तवांग यात्राकीचीन तक संघर्ष की आवाज पहुंचाने का राष्ट्रीय अनुष्ठानभारत-तिब्बत सहयोग मंच ने इस वर्ष से तवांग यात्रा की शुरुआत की है। यात्रा का उद्देश्य तिब्बत की आजादी के संघर्ष तथा भारतभूमि को मुक्त कराने के लिए हो रहे संघर्ष की आवाज चीन के कानों तक पहुंचाना है।पहली तवांग यात्रा विगत 10 अक्तूबर को गुवाहाटी पहुंची। देशभर से आये यात्री भुरलुमुख में नारायणनगर के हरियाणा भवन से चलकर विष्णु निर्मला भवन पहुंचे। यात्रा में शिलांग से अनेक तिब्बती नौजवान भी शामिल हुये। यात्रियों को सम्बोधित करते हुये रा.स्व.संघ के अ.भा.कार्यकारी मंडल के सदस्य तथा भारत तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अब यह यात्रा प्रतिवर्ष आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि चीन ने 20 अक्तूबर, 1962 को भारत पर आक्रमण किया था। चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने के उपरान्त उसका दूसरा शिकार भारत हुआ। तिब्बत अभी तक अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा है और भारत के लोग भी चीन के कब्जे में गई भारतभूमि को मुक्त कराने के लिये संघर्षशील हैं। भारत और तिब्बत के इस संयुक्त संकल्प को चीन सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिये तवांग यात्रा एक नया राष्ट्रीय अनुष्ठान है। श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि यह यात्रा 1962 में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए शहीदों की याद में तवांग में बने शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये भारत-तिब्बत के सीमांत बुमला तक जायेगी। उन्होंने कहा कि आज जब चीन भारत की घेराबन्दी करने में लगा हुआ है तो भी भारत सरकार उसी पुरानी तुष्टीकरण की नीति पर चल रही है, जिस पर चलकर जवाहर लाल नेहरू देश का अपमान करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी नीति राष्ट्रीय हितों के अनुकूल बनानी चाहिये और चीन के विस्तारवादी इरादों से डरे हुये देशों को आश्वासन देना चाहिये कि वह संकट के काल में उनके साथ ही नहीं होगा, बल्कि उनकी रक्षा करने में सक्षम भी है। भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि यह यात्रा इस बात की प्रतीक है कि अब भारत की जनता तिब्बत की सीमा पर खड़े होकर तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम में हर संभव सहायता का वचन देती है। साथ ही चीन को यह संदेश देती है कि आज का भारत 1962 का भारत नहीं है। गुवाहाटी से यात्रा तेजपुर पहुंची, जहां मंच के स्थानीय संयोजक श्री जय प्रकाश अग्रवाल के नेतृत्व में यात्रा का स्वागत किया गया। 11 अक्तूबर को 1962 के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों का सम्मान श्री इन्द्रेश कुमार ने किया। तेजपुर में ही यात्रियों का स्वागत करने के लिये तिब्बती प्रतिभागी पहुंचे हुये थे। अरुणाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार भालुकपौंग पर निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों ने यात्रियों का स्वागत किया। टेंगा में अरुणाचल सरकार के पूर्व मंत्री श्री नरेश गलो ने यात्रा का स्वागत किया। रात्रि को यात्रा बोमडीला पहुंची, यहां सबने विश्राम किया। दूसरे दिन यात्री बोमडीला से तवांग के लिये रवाना हुये। तवांग पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने यात्रियों का स्वागत किया गया। 13 अक्तूबर की सुबह यात्रा भारत-तिब्बत के सीमान्त बुमला की ओर रवाना हुई। पूरे दल में चालीस भारतीयों के अलावा 30 तिब्बती भी शामिल थे। बुमला में सेना के जवानों ने यात्रियों का स्वागत किया। श्री इन्द्रेश कुमार ने सीमा पर गंगाजल छिड़का और वहां की मिट्टी से तिलक किया। तिब्बती यात्रियों ने सीमा पर पूजा-अर्चना की। यहां का दृश्य अत्यन्त भावुक था। सामने तिब्बती क्षेत्र में पर्वत शिखर पर चट्टानों से बना शिवलिंग दिखाई दे रहा था। बुमला में भारतमाता की जय और तिब्बत की आजादी का संकल्प लेते हुए यात्री तवांग की ओर रवाना हुये। तवांग पहुंचकर 1962 के शहीदों की याद में बने शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये बौद्ध मठ में गुरु रिम्पोछे के दर्शन किये। 14 अक्तूबर को प्रात तवांग चौक में स्थानीय लोगों की ओर से सभी को भावभीनी विदाई दी गई। source:http://panchjanya.com |
मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012
चीन तक संघर्ष की आवाज पहुंचाने का राष्ट्रीय अनुष्ठान
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारी परिषद तीन दिवसीय बैठक 2 नवम्बर से चेन्नई में
आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक 2 से
चेन्नई. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय
कार्यकारी परिषद (अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल) की तीन दिवसीय बैठक 2
नवम्बर से चेन्नई में होगी जो 4 नवम्बर तक चलेगी। बैठक में भाग लेने के लिए
आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत, सर कार्यवाह भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय
समेत संघ के प्रमुख पदाधिकारी सोमवार को चेन्नई पहुंचे। दोपहर यहां चेन्नई
एयरपोर्ट से सीधे सभी पदाधिकारी कार्यक्रम स्थल गए जहां उनकी आरएसएस के
क्षेत्रीय प्रचारक स्तनुमालयन, उत्तरी तमिलनाडु के पदाधिकारी साम्बमूर्ति
समेत अन्य पदाधिकारियों ने अगवानी की।
इस तरह की बैठक चेन्नई में
पहली बार हो रही है। बैठक चेन्नई के ओल्ड महाबलीपुरम रोड स्थित केलम्बाक्कम
से 2 किमी दूर वण्डलूर रोड पर स्थित शिव शंकर बाबा आश्रम के सुशील हरि
इन्टरनेशनल रेजीडेंशिल स्कूल में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में देश के हर
प्रांत (प्रदेश इकाई) से संघ चालक (अध्यक्ष) कार्यवाह (सचिव) एवं प्रचारक
(संगठन सचिव) भाग लेंगे।
इन प्रांत पदाधिकारियों के साथ ही संघ
द्वारा संचालित विभिन्न संगठनों के अखिल भारतीय संयोजक भी मौजूद रहेंगे।
आरएसएस के उत्तर तमिलनाडु के प्रांत कार्यवाह (सचिव) के. कुमारस्वामी ने
बताया कि बैठक में संगठन की भावी योजनाओं के साथ ही केन्द्रीय मुद्दों पर
विभिन्न प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।
सोमवार, 29 अक्तूबर 2012
नीतीन गडकरी, रॉबर्ट वढेरा और भारत सरकार
नीतीन गडकरी, रॉबर्ट वढेरा और भारत सरकार
एम जी वैध
इस विषय पर नहीं लिखना,
ऐसा मैंने तय किया था. ‘भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन’
के नेता अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीन गडकरी
पर,
एक विशेष पत्रपरिषद में जो आरोप किए,
उस बारे में गत सप्ताह ही ‘भाष्य’
में लेख आया था. ‘टाईम्स ऑफ इंडिया’में भी उस बारे में विस्तारपूर्वक समाचार प्रकाशित हुआ था;
‘पीटीआय’
वृत्तसंस्था ने भी मेरा अभिप्राय लेकर समाचारपत्रों को भेजा था. लेकिन
गडकरी पर नए आरोप किए गए है. वह किसी व्यक्ति ने या संगठन ने नहीं किए. वह कुछ
प्रसार माध्यमों की करामत दिखती है. अच्छी बात है. ‘शोध पत्रकारिता’
यह पत्रकार जगत का एक खास पैलू है. इस कारण उस माध्यम के विरुद्ध शिकायत
करने का प्रयोजन नहीं.
अंतर
आश्चर्य इस बात का है कि,
सरकार ने तुरंत इसकी दखल ली. ११ अगस्त २०१२ को मुसलमानों में के आतंवादियों
ने सीधे पुलीस पर किए हमले की भी इतनी शीघ्रता से,
केन्द्र सरकार ने,
दखल लेने का समाचार नहीं. लेकिन गडकरी के विरुद्ध के आरोप मानो हमारे देश
पर आई एक भीषण आपत्ति है,
ऐसा मानकर सरकार ने उन आरोपों की शीघ्रता से दखल ली. कंपनी व्यवहार विभाग
के मंत्री वीरप्पा मोईली ने कहा,
‘‘इस मामले की हम ‘डिस्क्रीट इन्क्वायरी’
करेंगे.’’
हमारी अंग्रेजी कुछ कमजोर है,
इसलिए ‘डिस्क्रीट ’
शब्द का अर्थ अंग्रेजी शब्दकोश मे देखा. वहॉं ‘डिस्क्रीट ’का ‘न्यायपूर्ण और समझदारीपूर्ण’
ऐसे अर्थ मिले. ठीक लगा. अनेक गंभीर विषयों पर मौन का आसरा लेने वाली हमारी
इस सरकार को ‘न्याय’
और ‘समझदारी’ से भी लगाव है,
यह पता चला. लेकिन यह समाधान बहुत ही अल्पजीवी साबित हुआ. कारण,
कॉंग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गॉंधी के दामाद रॉबर्ट वढेरा की जॉंच क्यों
नहीं,
ऐसा जब किसी ने मोईली से पूछा,
तब उनका उत्तर था कि,
वढेरा का मामला अलग है. और क्या या सही नहीं है?
वढेरा सोनिया गॉंधी के दामाद है;
और गडकरी नहीं. पल भर के लिए मान ले कि,
नीतीन गडकरी सोनिया जी के दामाद होते,
तो मोईली का विभाग इतनी शीघ्रता से सक्रिय होता?
और क्या यह भी सच नहीं है कि,
कहॉं वढेरा और कहॉं गडकरी?
एक है केन्द्र की सत्तारूढ पार्टी के अध्यक्ष के सम्मानीय
दामाद,
तो दूसरे है विपक्ष के सामान्य अध्यक्ष!
डर किस बात का?
मैं केजरीवाल की बात समझ सकता हूँ. उन्हें अपनी नई पार्टी की प्रतिष्ठापना
करनी है. विद्यमान राजनीतिक पार्टिंयॉं किस प्रकार दुर्गुणों से सनी है,
यह बताने के लिए उन्होने कीचड़ उछालना स्वाभाविक मानना चाहिए. लेकिन
कॉंग्रेस ने गडकरी से डरने का क्या कारण है?
जेठमलानी की छटपटाहट समझी जा सकती है. वे बेचारे राज्य सभा के सामान्य
सदस्य है. पार्टी के संगठन में या संसदीय दल में उन्हें विशेष स्थान नहीं. इसका
कारण,
गडकरी अध्यक्ष है,
ऐसी उनकी गलतफहमी हो सकती है. और गडकरी ही फिर तीन वर्ष अध्यक्ष
रहे,
तो उनकी ऐसी ही दुर्दशा होती रहेगी,
ऐसा उन्हें लगता हो तो इसमें अनुचित कुछ भी नहीं. लेकिन कॉंग्रेस क्यों
अस्वस्थ हो रही है?
बेताल बड़बड़ाने के लिए विख्यात कॉंग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने डरने
का क्या कारण है?
गनीमत है कि,
उन्होंने कॉंग्रेस के महासचिव के नाते प्रधानमंत्री से गडकरी के मामले की
जॉंच करने के लिए पत्र नहीं लिखा. वे कहते है,
मैंने व्यक्तिगत रूप में वह पत्र लिखा है. लेकिन,
दिग्विजय सिंह जी,
सीधे प्रधानमंत्री को यह पत्र भेजने की क्या आवश्यकता थी?
क्या यह पाकिस्तान या चीन ने भारत पर हमला करने जैसा गंभीर मामला
है?
और आपकी सरकार उसे गंभीरता से नहीं लेगी,
ऐसा आपको लगता है?
लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे बेताल नेता को यह पूछने से कोई उपयोग नहीं. फिर
भी,
यह पूछा जा सकता है कि,
२ जी स्पेक्ट्रम घोटाला,
राष्ट्रकुल क्रीड़ा घोटाला,
कोयला बटँवारा घोटाला,
वढेरा का घोटाला,
इस बारे में आपने व्यक्तिगत स्तर पर ही सही,
कोई पत्र भेजने की जानकारी नहीं. क्या गडकरी का आरोपित घोटाला,
इनसब घोटालों से भयंकर है?
पक्षपाती सरकार
दि. २४ को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव समाप्त होते
ही,
प्रसार माध्यमों के प्रतिनिधि संघ के प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य से
मिले,
और उनसे गडकरी के तथाकथित घोटाले से संबंधित प्रश्न पूछा. उन्होंने उत्तर
दिया कि,
यह ‘मिडिया ट्रायल’
है. मतलब प्रसार माध्यमों ने शुरु किया मुकद्दमा. उन्होंने क्या गलत
कहा?
किसने खोज निकाला यह तथाकथित घोटाला?
और किसने इस घोटाले को भरपूर कर प्रसिद्धि दी?
प्रसारमाध्यमों ने ही! वढेरा का घोटाला सूचना अधिकार कानून से बाहर आया.
अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप में उनके ऊपर आरोप किए है. क्या प्रतिक्रिया थी
कॉंग्रेस की?
सही कहे तो भारत सरकार की?
स्वयं प्रधानमंत्री ने सूचना का अधिकार आकुंचित करने का मानस प्रकट किया.
उन्होंने कहा,
वह कायदा व्यक्ति के नीजि जीवन पर अतिक्रमण कर रहा है;
उसे मर्यादा लगानी होगी. प्रधानमंत्री ने किए इस वक्तव्य को वढेरा के
घोटाले - जो सूचना अधिकार कानून के माध्यम से प्रकट हुए - की पृष्ठभूमि थी. वह एक
व्यक्ति का नीजि मामला था,
तो फिर उनके बचाव के लिए सलमान खुर्शीद,
पी. चिदंबरम्,
अंबिका सोनी,
जयंती नटराजन्,
वीरप्पा मोईली,
इन मंत्रियों ने दौडकर आने का क्या कारण?
वढेरा का मामला,
वैसे तो कॉंग्रेस का भी मामला नहीं. एक नीजि व्यक्ति का मामला है. उनके लिए
कॉंग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला ने स्पष्टीकरण देने का क्या
कारण?
क्या गडकरी का पूर्ति उद्योग सरकारी उद्योग है?
या भाजपा का उद्योग है?
या,
जिन्होंने सरकार से शिकायत कर जॉंच की मांग की है,
वे उस उद्योग के भागधारक है?
समाचारपत्रों में छपे समाचारों के आधार पर निर्णय लेने की
अपेक्षा,
सरकार ने पारित किये कानून से जो सामने आया है,
और जो पहली नज़र में तो समर्थनीय लगता है,
उस बारे में तुरंत निर्णय लेना उचित सिद्ध होता. लेकिन सरकार ने वह नहीं
किया. विपरीत सरकार ने अपनी कृति से वह पक्षपाती है यह सिद्ध किया है.
जबाब दो
लेख के आरंभ में ही मैंने कहा है कि,
इस विषय पर लिखने का मेरा विचार नहीं था. लेकिन २५ अक्टूबर को तीन चैनेल के
प्रतिनिधि मुझसे मिलने घर आये थे. पहले ‘ई टीव्ही’वाले आये,
फिर ‘आज तक’ के और अंत में ‘एनडीटीव्ही’ के. सब के प्रश्न गडकरी पर लगे आरोपों के बारे में थे. ‘एनडीटीव्ही’ के प्रतिनिधि के आने तक मुझे,
आयकर विभाग की जॉंच शुरू होने की जानकारी नहीं थी. वह जानकारी उन्होंने दी.
मैंने कहा,
हो जाने दो जॉंच. सरकारी कंपनी विभाग जॉंच करेगा,
ऐसी जानकारी मिलने के बाद गडकरी लापता नहीं हुए या उन्होंने मौन भी धारण
नहीं किया. उन्होंने कहा,
अवश्य जॉंच करो. वढेरा की है ऐसा कहने की हिंमत?
खुर्शीद-चिदंबरम् और अन्य मंत्रियों की है यह हिंमत?
या मनीष तिवारी और कॉंग्रेस के दूसरे प्रवक्ताओं के मुँह से ऐसे हिंमतपूर्ण
शब्द क्यों नहीं निकलते?
इस स्थिति में,
वढेरा के विरुद्ध के आरोपों पर से जनता और प्रसार माध्यमों का ध्यान हटाने
के लिए,
किसी प्रसारमाध्यम को अपने साथ मिलाकर,
कॉंग्रेस ने,
गडकरी के विरुद्ध के तथाकथित आरोपों का ढिंढोरा पिटना शुरू किया
है,
ऐसा आरोप किसी ने किया तो उसे कैसे दोष दे सकते है?
किसी चोरी का समर्थन करने के लिए,
दूसरा भी चोर है,
ऐसा चिल्ला चिल्ला कर बताना उचित है?
दूसरा कोई चोर होगा,
तो उसे सज़ा दो;
लेकिन इससे पहला चोर निर्दोष कैसे सिद्ध होता है?
कॉंग्रेस के प्रवक्ता,
मोईली जैसे ज्येष्ठ नेता और दिग्विजय सिंह जैसे बेताल नेताओं ने इसका जबाब
देना चाहिए.
मुझसे पूछे गए प्रश्न
दूरदर्शन चॅनेल वालों ने मुझे जेठमलानी के वक्तव्य के बारे में भी प्रश्न
पूछे. मैंने कहा,
‘‘यह उनका व्यक्तिगत मत है. ऐसा मत रखने और उसे प्रकट करने का उन्हें अधिकार
है. लेकिन गडकरी त्यागपत्र दे,
ऐसा पार्टी का मत होगा,
ऐसा मुझे नहीं लगता. गडकरी ने किसी भी जॉंच के लिए तैयारी दिखाने पर स्वयं
अडवाणी ने उनकी प्रशंसा की है;
और भाजपा में जेठमलानी की अपेक्षा,
अडवानी के मत को अधिक वजन है. श्रीमती सुषमा स्वराज ने भी,
ऐसा ही प्रतिपादन किया है.’’
दूसरा प्रश्न पूछा गया कि,
इन आरोपों के कारण,
गडकरी का दुबारा पार्टी अध्यक्ष बनना कठिन हुआ है?
मैंने उत्तर दिया,
‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता. अपने पार्टी का संविधान कैसा हो,
उसमें कब और क्या संशोधन करे,
यह उस पार्टी का प्रश्न है;
और संविधान संशोधन यह क्या कोई अनोखी बात है?
हमारे देश के महान् विद्वानों ने तैयार किए हमारे संविधान में गत ६५ वर्षों
में सौ से अधिक संशोधन हुए है. पहला संशोधन तो संविधान पारित करने के एक वर्ष से भी
कम समय में ही करना पड़ा था. भाजपा ने अपने अधिकार में संविधान संशोधन किया और गडकरी
के पुन: अध्यक्ष बनने का रास्ता खुला किया,
इसमें अन्य किसी ने आक्षेप लेने का क्या कारण है?
और यह संविधान संशोधन केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए ही नहीं, सब पदाधिकारियों के लिए है.’’
बदनामी में ही दिलचस्पी
मैंने यह भी कहा कि,
आपको जो गैरव्यवहार लगते है,
उनका संबंध ठेकेदार म्हैसकर से है. किसी ने कहा है कि,
गलत पते दिये है. मैंने पूछा,
क्या पूर्ति उद्योग ने गलत पते दिये है?
फिर जॉंच म्हैसकर की करो. लेकिन इसमें लोगों को दिलचस्पी होने का कारण नहीं. दिलचस्पी गडकरी को बदनाम करने में है. इसलिए यह सब भाग-दौड चल रही है. प्रकाशित हुए
समाचारों से जानकारी मिलती है कि,
म्हैसकर की कंपनी ने १६४ करोड़ रुपये कर्ज पूर्ति उद्योग समूह को दिया. उस
कर्ज पर १४ प्रतिशत ब्याज लगा है. पूर्ति उद्योग ने उस कर्ज में से ८० करोड़ रुपयों
का भुगतान,
ब्याज के साथ किया है. यह कर्ज २००९ में दिया गया है. ऐसा मान ले
कि,
गडकरी ने सार्वजनिक निर्माण मंत्री रहते समय म्हैसकर को उपकृत किया था.
लेकिन गडकरी का मंत्री पद १९९९ में ही गया. उस गठबंधन की सरकार ही नहीं रही. १३
वर्ष तक उन तथाकथित उपकारों की याद रखकर म्हैसकर ने यह कर्ज दिया,
ऐसा जिसे मानना है,
वह माने. लेकिन मेरे जैसे सामान्य बुद्धि के मनुष्य तो को इसमें कोई
साठगॉंठ नहीं दिखती.
संघ के संबंध में
फिर मुझे संघ के संबंध में प्रश्न पूछा गया. इस बारे में संघ को क्या लगता
है?
मैंने उत्तर दिया,
‘‘संघ को कुछ लगने का संबंध ही कहा है?
भाजपा अपना कारोबार देखने के लिए सक्षम है. स्वायत्त है. पार्टी को जो उचित
लगेगा,
वह निर्णय लेगी.’’
इस प्रश्न की पृष्ठभूमि,
शायद २४ अक्टूबर के ’इंडियन एक्सप्रेस’
में प्रकाशित समाचार की हो सकती है. उस समाचार में कहा गया है
कि,
२ और ४ नवंबर को चेन्नई में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक
है,
उसमें इस मामले की चर्चा होगी. कार्यकारी मंडल की बैठक कब और कहॉं
है,
इसकी मुझे जानकारी नहीं थी. लेकिन मुझे निश्चित ऐसा लगता है
कि,
उस बैठक में इस मामले की चर्चा होने का कारण नहीं. तथापि संघ को इस विवाद
में लपेटे बिना,
कुछ लोगों का समाधान नहीं होगा. गुरुवार को झी चॅनेल के प्रतिनिधि ने
दूरध्वनि कर,
मुझे महाराष्ट्र प्रदेश कॉंग्रेस के अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने संघ पर लगाए
आरोपों की जानकारी दी. मैंने सायंकाल सात बजे सह्याद्री चैनेल के समाचार सुने.
उनमें माणिकराव के आरोपों का समाचार था. ठाकरे का आरोप है कि,
गडकरी सार्वजनिक निर्माण मंत्री थे,
उस समय उन्होंने,
संघ के कार्यालय के भवन के लिए पैसे दिये. संघ के कार्यालय का कौनसा
भवन?
यह ठाकरे ने नहीं बताया. क्योंकि वे बता ही नहीं सकते. संघ कार्यालय का जो
भवन महल भाग में है और जो डॉ. हेडगेवार भवन के नाम से प्रसिद्ध है,
उसका निर्माण १९४६ में ही पूर्ण हुआ था. उस समय गडकरी का जन्म भी नहीं हुआ
था. शायद माणिकराव का भी नहीं हुआ होगा. फिर इस पुराने भवन की कुछ पुनर्रचना की गई.
वह २००६ में. उस समय गडकरी कहॉं मंत्री थे?
रेशिमबाग में का नया निर्माण कार्य गत एक-दो वर्षों में का है. ठाकरे
प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इस जिम्मेदारी के पद पर है;
उन्होंने अक्ल का ऐसा दिवालियापन प्रदर्शित करना ठीक नहीं. हॉं,
यह संघ को भी इस विवाद में लपेटने का उनका,
मतलब कॉंग्रेस का प्रयास हो सकता
सीमाओं की तारबंदी हमारा सुरक्षा कवच है
मान राकेश कुमार जी स्मारिका का विमोचन करते हुए |
सीमाओं की तारबंदी हमारा सुरक्षा कवच है
जैसलमेर
सीमाजन कल्याण समिति की प्रांत और जिला टीम की बैठकें रविवार को सीमाजन
छात्रावास में संपन्न हुई। जिसमें सीमा जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठन
मंत्री राकेश कुमार द्वारा सीमा सुरक्षा चेतना यात्रा को रेखांकित करती
स्मारिका का विमोचन किया गया।
इससे पहले गांव और तहसील केंद्रों से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राकेश कुमार ने कहा कि सीमा पर निवास करने वालों पर सीमाओं की सुरक्षा की दोहरी जिम्मेदारी है। सीमा पर लोहे के तारबंदी कोई खेत की बाड़ नहीं है, वह हमारी भूमि और देश का सुरक्षा कवच है। इसकी सुरक्षा में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राकेश कुमार ने शनिवार को अजमेर में बिना वीजा कागजात पहुंचे पाक शिष्टमंडल द्वारा कश्मीर मामले को उठाने और पाकिस्तान की पैरवी करने के विषय में कहा कि पर्यटक के रूप में आने वाले पाक प्रतिनिधियों को भारत की सरजमीं पर पक्षकार बनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
इससे पहले समिति के जिलाध्यक्ष राणीदान सेवक की अध्यक्षता में आयोजित जिला बैठक में सभी तहसीलों से आए प्रतिनिधियों ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बैठक में विशेष रूप से उपस्थित प्रांतीय संगठन मंत्री नीम्बसिंह, प्रांत मंत्री दाऊलाल गौड़, बंशीलाल भाटी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष जयकिशन डागा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शंकरलाल गोली, जिला मंत्री शरद व्यास, सहमंत्री अमरसिंह सोढ़ा, खेताराम लीलड़ ने समिति के कार्य विस्तार को लेकर विचार प्रकट किए।
इससे पहले गांव और तहसील केंद्रों से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राकेश कुमार ने कहा कि सीमा पर निवास करने वालों पर सीमाओं की सुरक्षा की दोहरी जिम्मेदारी है। सीमा पर लोहे के तारबंदी कोई खेत की बाड़ नहीं है, वह हमारी भूमि और देश का सुरक्षा कवच है। इसकी सुरक्षा में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राकेश कुमार ने शनिवार को अजमेर में बिना वीजा कागजात पहुंचे पाक शिष्टमंडल द्वारा कश्मीर मामले को उठाने और पाकिस्तान की पैरवी करने के विषय में कहा कि पर्यटक के रूप में आने वाले पाक प्रतिनिधियों को भारत की सरजमीं पर पक्षकार बनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
इससे पहले समिति के जिलाध्यक्ष राणीदान सेवक की अध्यक्षता में आयोजित जिला बैठक में सभी तहसीलों से आए प्रतिनिधियों ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बैठक में विशेष रूप से उपस्थित प्रांतीय संगठन मंत्री नीम्बसिंह, प्रांत मंत्री दाऊलाल गौड़, बंशीलाल भाटी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष जयकिशन डागा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शंकरलाल गोली, जिला मंत्री शरद व्यास, सहमंत्री अमरसिंह सोढ़ा, खेताराम लीलड़ ने समिति के कार्य विस्तार को लेकर विचार प्रकट किए।
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शनिवार, 27 अक्तूबर 2012
विवादों से संघ को जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण: संघ सरकार्यवाह भैयाजी जोशी
विवादों से संघ को जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण: संघ सरकार्यवाह भैयाजी जोशी
नागपुर, अक्तूबर 26:
पिछले दिनों से राजनेताओं के कथित भ्रष्टाचार के समाचारों में जान-बूझकर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घसीटने पर संघ ने आज अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया
दी है। संघ के सरकार्यवाह माननीय भैयाजी जोशी ने कहा है कि गत तीन चार
दिनों से प्रसार माध्यमों में कतिपय राजनैतिक नेताओं के आर्थिक व्यवहारों
को लेकर जो चर्चाएं चलाई जा रही है उनमें अनावश्यक रुप से संघ का नाम जोड़कर
संघ जैसे संघटन को भी आशंका के घेरे में खड़ा करने का प्रयास हो रहा है जो
दुर्भाग्यपूर्ण है।
भैयाजी जोशीजी ने कहा, “ यह सारे समाज को
विदित है कि संघ का इन बातों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। संघ की
प्रारंभ से यही भूमिका रही है कि किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था में अवैधानिक
या गलत व्यवहार होता है तो कानून के दायरे में अवश्य निष्पक्ष जांच हो और
दोषी पाये जाने वाले सभी के उपर कार्यवाही हो। वर्तमान में लगे कुछ आरोप
प्रसार माध्यमों की ओर से हैं। उन आरोपों की अधिकृत जांच अभी होनी है। ऐसे
में चर्चा को राजनैतिक रंग देने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार की लड़ाई
दलगत राजनीति से उपर उठकर चलनी चाहिये। देशवासियों का विश्वास दृढ़तापूर्वक
बना रहे यही हम सभी राजनैतिक नेतृत्व एवं प्रसार माध्यमों से अपेक्षा रखते
हैं। अन्यथा अत्यंत गंभीर विषय होने के बाद भी भ्रष्टाचार के विरोध में
चलने वाले आंदोलन दुर्बल होते जायेंगे। हो सकता है कि स्वार्थी तत्वों की
यही अपेक्षा हो।
उन्होंने अंत मे कहा कि जन-जागरण के कार्य
में लगे सभी व्यक्तियों एवं संगठनों से यह अपेक्षित है की सकारात्मक
भुमिका के प्रति अधिक गंभीर रहें।
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शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012
संस्कारक्षम समाज निर्मिती में योगदान दे महिलाये: शान्ताक्का
संस्कारक्षम समाज निर्मिती में योगदान दे महिलाये: शान्ताक्का
(राष्ट्र सेविका समिति नागपुर का विजयादशमी उत्सव)
Source: newsbharati |
“संगठित शक्ति के माध्यम से ही राक्षसी वृत्ति का विध्वंस करना संभव हो सकेगा. दुर्गा माता संगठित शक्ति का प्रतीक है. इसलिए आज महिलाओं को दुर्गा रूप धारण कर समाज में व्याप्त सभी प्रकार के राक्षसी प्रवृत्तियों को नष्ट करने हेतु आगे आना होगा.” यह कहना है राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वन्दनीय शान्ताक्का जी का.
नवरात्री के अष्टमी के दिन राष्ट्र सेविका समिति के विजयादशमी उत्सव में सेविकाओं को संबोधित करते हुए वन्दनीय शान्ताक्का ने समाज में महिलाओं की और देखने की दृष्टी में जो अवांछनीय परिवर्तन दिखाई देता है उस की तीखी आलोचना की और इस ‘उपभोग्य वस्तु’ वाली प्रतिमा के लिए महिलाओं को भी कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया.
पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति शरद निम्बालकर इस उत्सव में प्रमुख अतिथि थे. मंच पर समिति की विदर्भ प्रान्त कार्यवाहिका सुश्री सुलभा गौड़ एवं नागपुर विभाग कार्यवाहिका सुश्री करुणा साठे विराजमान थी.
अपने भाषण में वन्दनीय शांताक्का ने कहा कि आज हमारे हिन्दू संस्कृति पर अनेक आक्रमण हो रहे है. उन के प्रतिकार के हेतु हमें शक्ति चाहिए. माँ दुर्गा शक्ति का प्रतीक है. हर स्त्री शक्तिरूपिणी है यह समिति की मान्यता है. इसी आधार पर समिति के माध्यम से उस शक्ति को जगाने का प्रयास अनवरत चल रहा है. भारतीय संस्कृति में व्यक्ति के दुष्ट गुणों के नाश के लिए अनेक सुन्दर उपाय बताये है. विजयादशमी का संदेश भी यही है.
माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और माँ दुर्गा यह ज्ञान, संपत्ति और शक्ति के प्रतीक है. एक व्यक्ति के जीवन से ले कर विश्व को सुव्यवस्थित रूप से चलने के लिए ज्ञान, संपत्ति एवं शक्ति की महती आवश्यकता है. महिलाओं के क्षमता का परिचय भी इसी से होता है क्योंकि संपूर्ण विकसित तथा सुसंस्कृत व्यक्तिमत्त्व का निर्माण एक माँ के द्वारा ही संभव हो सकता है और वह करती भी है. निसर्गतः प्राप्त मातृत्व से वह तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का निर्माण कर सकती है.
स्वामी विवेकानंद, डेविड फ्राले जैसे विद्वान लोगों के कथन को उद्धृत करते हुए प्रमुख संचालिका ने कहा कि हिन्दू ही संपूर्ण विश्व में समरसता निर्माण कर सकता है, क्योंकि दूसरों के हित का विचार उसके रक्त में ही समाहित है. इसीलिए इस पवित्र विचार के साथ प्रत्येक हिन्दू ने अपनी तेजस्विता बढ़ाकर धर्म, संस्कृति और परंपरा में विश्वास रख कर स्वाभिमान के साथ जीना सीखना चाहिए.
प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिक ‘मिसाइल वुमन’ तोनी थामस ने अग्नि-५ के परिक्षण के पूर्व इस मिसाईल की भारतीय पद्धति से पूजा की. उनसे पूछने पर उन्होंने कहा कि मै गर्व से कहती हूँ कि मै हिन्दू हूँ. इस प्रकार की स्वाभिमान निर्माण करने वाली घटनाओं को युवा पीढ़ी के समक्ष रखने की आवश्यकता है. समिति की प्रमुख ने कहा कि, आत्मविश्वास से ओतप्रोत तेजस्वी हिन्दू ही धर्माधिष्ठित समाज निर्माण कर सकता है. सत्चरित्र, समृद्धि, सात्विक शक्तियुक्त और सुव्यवस्थित समाज ही धर्माधिष्ठित समाज है.
उन्होंने कहा कि, महालक्ष्मी सत्चरित्र और समृद्धि का प्रतीक है. ‘इनफ़ोसिस’ की प्रमुख सुधा मूर्ती का उदहारण देते हुए आप ने कहा कि, “अलक्ष्मी हमारे घर नहीं आ सकेगी ऐसा निश्चय करने वाली माताओं के कारण ही भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है. ऐसे मातृत्व के निर्माण के लिए समिति कटिबद्ध है”.
वन्दनीय शान्ताक्का ने आगे कहा कि, भ्रष्टाचार और घोटालों की बाढ़ को रोकने का सामर्थ्य संगठित शक्ति में है. आज भारतीय समाज अपने मूल चिंतन से हट कर, अपने जीवन में धन कमाने को ही अग्रक्रम दे रहा है. इस कारण उसका नैतिक अध:पतन होता दिखाई देता है. पुणे के होटल में हाल की घटी घटनाएँ इसी पतन की और निर्देश करती है.
महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए आप ने कहा कि, दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए अत्याचार का कारण महिलाओं की और देखने की समाज की दृष्टी में है. महिला को एक उपभोग्य वस्तु माना जा रहा है. यह स्थिति बदलने की आवश्यकता है.
अपने पडोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधो पर जोर देते हुए उन्होने कहा कि, विभिन्न देशों के साथ हमारे जो सम्बन्ध है उस के प्रति हमें सचेत रहना होगा. चीन के विस्तारवादी नीति का उल्लेख करते हुए आप ने देश के नेताओं को चीन से सावधान रहने की चेतावनी दी.
अपने वक्तव्य में पूर्व कुलपति डॉ शरद निम्बालकर ने कहा कि, पुरुष प्रधान संस्कृति के कारण महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है. अतः स्त्री को उसके स्वत्व की पहचान करा देना आज की महती आवश्यकता है. महिलाओं का बाज़ार के रूप में अवमूल्यन होनेसे समाज में एक नया धोखा निर्माण हुआ है. कन्या भ्रूण हत्या यह निंदनीय तथा लज्जास्पद है. इसको रोकने हेतु कानून है पर उस पर अमल नहीं होता, अतः केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा. स्त्री को शिक्षित करना अब बहुत जरुरी हो गया है. तभी विजयादशमी जैसे पर्वों का महत्त्व अबाधित रहेगा.
प्रारंभ में प्रास्ताविक और अतिथि का परिचय सुश्री स्मिता पत्तरकिने ने करवाया. कार्यक्रम का सञ्चालन सुश्री मेधा नांदेडकर ने किया और मयूरी वालदे ने व्यक्तिगत गीत सदर किया.
शुरू में सेविकाओं ने योगासन, लेज़िम, घोष आदि प्रात्यक्षिक का प्रस्तुतीकरण किया.
इस कार्यक्रम में यशोधरा राजे भोसले, वासंतिका राजे भोसले, राजकुमारी मोहिनि राजे भोसले, भारतीय श्री विद्या निकेतन की दीपा दीक्षित प्रमुख रूप से उपस्थित थी.
गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012
खबरे समाचार पत्रों से विजयदशमी पर्व की
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