रविवार, 4 नवंबर 2012

चीन के सन्दर्भ में समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता


चीन के सन्दर्भ में समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सन 1962 के भारत-चीन युद्ध के 50 वर्ष  पूर्ण होने पर अपनी सीमाओं  की रक्षा करते हुए प्राण न्योछावर करने वाले  उन हजारों बहादुर सैनिकों  को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है | हिमालय  के लदाख व अरुणाचल प्रदेश  के उन बर्फीले युद्ध क्षेत्रों  में पराक्रम की  अनेक प्रेरणास्पद गाथायें  उन बहादुर सैनिकों के पार्थिव शरीरों  के साथ दबी पड़ी हैं | आज 50 वर्ष बाद भी उनके पार्थिव शरीर पर्वत शिखरों पर मिलते हैं |  
वास्तव में उन शहीदों को विषम संख्या बल व अपर्याप्त युद्ध सामग्री के साथ युद्ध  लड़ना पड़ा था | सर्वाधिक दु:खद यह है कि अपनी असफलताओं को छिपाने के घिनौने प्रयास में देश के तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व  ने उन वीर सैनिकों के शौर्य एवं बलिदान की गाथाओं को भी दबा दिया | अ.भा. कार्यकारी मंडल समस्त राष्ट्र से उनके पराक्रम एवं बलिदान को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का  अनुरोध करता है |
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल भारत की अखंडता के प्रति अपनी दृढ प्रतिबद्धता को दोहराता है | 1962  का  युद्ध राष्ट्र के लिए एक दु:खद स्मृति लिये हुए है | हमारी मातृभूमि का लगभग 38,000  वर्ग किमी क्षेत्र उस युद्ध में हमें चीनी आक्रान्ताओं के हाथ खोना पड़ा | अक्साई चिन  क्षेत्र आज भी चीन के आधिपत्य में है | हमारी संसद ने 14 नवम्बर 1962 को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव द्वारा एक-एक इंच अधिक्रांत भूमि वापिस लेने का संकल्प किया था | परन्तु अ.भा.कार्यकारी मंडल  इस बात पर व्यथा का अनुभव करता है  कि सरकार उस उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में कोई कदम उठाने के स्थान पर केवल वास्तविक नियंत्रण रेखा को ही वैधता प्रदान करने के लिए चीन के साथ सीमा वार्ताओं में संलग्न है | 1962 के बाद भी चीन ने अपने आक्रमण को विराम नहीं दिया है | भारत - तिब्बत सीमा के तीनो ही क्षेत्रों में बार-बार अतिक्रमण करते हुए वह धीरे-धीरे हमारी भूमि हडप रहा है |
यह सर्व  विदित है कि 1962 की पराजय के लिए अपना राजनीतिक एवं कूटनीतिक नेतृत्व सीधा-सीधा उत्तरदायी है | तत्कालीन नेतृत्व ने वास्तविकताओं  की अनदेखी करते हुए  विश्व के बारे में अपनी अव्यवहारिक दृष्टि के चलते,  सरदार पटेल एवं श्री गुरूजी सहित देश के कई सम्मानित व्यक्तियों की चेतावनी को  भी अनसुना  कर दिया | चीन ने पहले तिब्बत पर कब्ज़ा किया और फिर हमारे ऊपर आक्रमण कर दिया | दुर्भाग्य से उस युद्ध के तथ्य आज भी साऊथ ब्लॉक की आलमारियों में बंद पड़े हैं  |यह दुर्भाग्यपूर्ण है  कि, अब तक की सभी सरकारों ने  हेंडरसन ब्रुक्स - पी एस भगत  रपट सहित इन सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं किया है   | अ.भा. का. मंडल यह मांग करता है कि इस रपट को अविलम्ब सार्वजनिक किया जाये  ताकि यह राष्ट्र उस रपट के निष्कर्षों का उपयोग कर सके तथा राजनीतिक, कूटनीतिक एवं सैन्य नेतृत्व  भी उन भूलों से सीख ले सके |
चीन ने पूरी भारत - तिब्बत सीमा पर सामरिक दृष्टि से वायुसेना अड्डे, प्रक्षेपास्त्रों की तैनातगी तथा  सैन्य छावनियों  एवं अन्य  आधारभूत संरचनाओं  का जाल बिछा दिया है |  अ.भा.का. मंडल भारत सरकार से यह आग्रह करता है कि सीमा पर चीन की आक्रामक गतिविधियों के कारण बढ़े खतरे को दृष्टिगत रखते हुए सीमा प्रबंधन एवं सुरक्षा तैयारियों के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रावधान करे | भारतीय सेना की 'पर्वतीय आक्रामक सैन्यबल' ( Mountain Strike Corps ) विकसित करने की मांग  सरकार के अनिर्णय व लाल फीता शाही के कारण लंबित पड़ी है | आधुनिक युद्ध केवल सीमा पर ही नहीं लड़े जाते, इसलिए  हमें चीन की अप्रत्याशित प्रहारक क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए  सैन्य तकनीकी श्रेष्ठता को  समग्रता से विकसित करने की  आवश्यकता है | प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी के विकास के क्षेत्र में जहाँ हम अपनी सफलताओं पर गौरवान्वित हैं  वहीं हम आज भी अपनी अधिकांश सैन्य आवश्यकताओं के लिए आयातों  पर अत्यधिक निर्भर हैं  |
अपने देश के  ऊर्जा, सूचना व संचार प्रौद्योगिकी , उद्योग एवं वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चीन की गहरी पैठ और हमारी नदियों के जल को मोड़ने के उसके मंसूबे गंभीर चिंता का विषय है |
अ.भा.का.मंडल  साइबर तकनीकी  एवं संचार के क्षेत्र में चीन से उभरते खतरों की ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता है  | साइबर युद्ध तकनीक में भारी निवेश कर चीन ने ऐसी क्षमता विकसित कर ली है जिसका  उपयोग कर वह अमरीका जैसे अति -विकसित देश की तकनीकी क्षमताओं को भी पंगु बना सकता है | वे देश चीन से इस खतरे के प्रति सजग हैं  तथा आवश्यक प्रतिरोधी कदम उठा रहे हैं |   अ.भा.का.मंडल भारत सरकार से आग्रह करता है कि जहां उच्च प्रौद्योगिकी के विकास में  देश की प्रगति  सराहनीय  है वहीं  उसे साइबर  सुरक्षा के  क्षेत्र में  आवश्यक विकास को भी समुचित महत्व  देना चाहिए  |
भारत सदैव विभिन्न  देशों के साथ अच्छे संबंधो के निर्वहन हेतु प्रयासरत रहा है | आज से दो दशक पूर्व हमने अपनी पूर्वाभिमुख विदेश नीति ( Look East Policy ) के अंतर्गत पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व के देशों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करने के प्रयत्न आरंभ  किये थे | भारत सदैव विश्व शांति का पुरोधा रहा है | अ.भा.कार्यकारी मंडल भारत सरकार से यह आग्रह करता है कि , 1962 के अनुभवों से सीख लेते हुए, चीन के सन्दर्भ में एक 'समग्र राष्ट्रीय  सुरक्षा नीति'  के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे ताकि हम अपने उदात्त आदर्शों की प्रस्थापना कर सकें  |

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित