राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह हनुमान सिंह ने स्वामी
विवेकानंद के सिद्धांतों को परिभाषित करते हुए कहा कि धर्म का अर्थ जानने
के लिए हमें अपने ग्रंथों से समझना जरूरी है। भारत की रीढ़ धर्म और
अध्यात्म में है। स्वामीजी के इस संदेश से ही पता चलता है कि धर्म का दैनिक
जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। हनुमान सिंह मंगलवार को जय नारायण
व्यास टाउन हॉल में स्वामी विवेकानंद की 150 वी जयंती पर आयोजित प्रबुद्ध
नागरिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
'वर्तमान परिस्थिति में
विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता' विषयक व्याख्यान में बतौर मुख्य
वक्ता हनुमान सिंह ने कहा कि राष्ट्रीयता का बोध समाप्त होने पर देश कमजोर
होता है। खेद की बात है कि वर्तमान में हम अपने पूर्वजों एवं इतिहास के
प्रति श्रद्धा भाव को खोते जा रहे हैं। आज विकास का मापदंड बदल गया है।
हालात यह हो गए हैं कि पैसा कमाना ही ध्येय रह गया है चाहे वह कैसी भी
प्रवृत्ति अपना कर कमाया जाए। भले ही इस प्रक्रिया में किसी का अहित ही
क्यों न हो रहा हो। इसे आसुरी प्रवृत्ति बताते हुए सिंह ने कहा कि इससे
व्यक्ति, समाज और देश का भला नहीं हो सकता। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व
न्यायाधीश देवनारायण थानवी ने स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों की विस्तार
से विवेचना करते हुए कहा कि भारत पूर्व में विश्व गुरु रहा है। उन्होंने
आशा जताई कि एक बार फिर फिर देश और दुनिया का परिदृश्य बदल रहा है और वर्ष
2020 तक हम फिर विश्वगुरु के रूप में शिखर की ओर अग्रसर होंगे। कार्यक्रम
में प्रांत प्रबुद्ध भारत प्रमुख मुरलीधर वैष्णव भी शामिल हुए। प्रारंभ में
महानगर संयोजक डॉ.कैलाश डागा ने सार्ध शती समारोह के तहत आगे होने वाले
कार्यक्रमों की जानकारी दी। संचालन विभाग संयोजक अनिल गोयल ने किया। |
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