शनिवार, 30 मार्च 2013

पाक में हिंदू लड़की को मुस्लिम बनाकर शादी कराने पर बवाल


पाक में हिंदू लड़की को मुस्लिम बनाकर शादी कराने पर बवाल

 Updated on: Sat, 30 Mar 2013 02:14 PM (IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के दक्षिण सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़की को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उसकी शादी एक मुस्लिम से कराए जाने के विरोध में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। इसकी वजह से जैकबाबाद में शुक्रवार को हिंदू पंचायत के लिए होने वाले चुनाव को स्थगित करना पड़ गया।
जैकबाबाद के झाकरी स्ट्रीट इलाके से मिली जानकारी के मुताबिक, सोना व्यापारी अशोक कुमार की बेटी गंगा ने एक सोनी व्यापारी बहादुर अली सुरहियो के बेटे आसिफ अली से अमरोत शरीफ की दरगाह पर इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद शादी कर ली।
समाचार पत्र डान के मुताबिक, इस्लाम धर्म स्वीकार करने का बाद गंगा का नाम आसिया रख दिया गया। लड़की के माता-पिता व अन्य निकाह की जानकारी मिलने पर जब तक दरगाह पहुंचे, तब तक उनकी शादी हो चुकी थी।
इसके बाद गंगा के परिजनों ने जैकबाबाद आकर इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। जिसके मुताबिक, आसिफ, उसके भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति ने गंगा को अगवा कर लिया है। इस संबंध में पुलिस ने आसिफ के भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि आसिफ पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया था।
इस घटना के विरोध में पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है कि जब पाकिस्तान में किसी हिंदू लड़की को अगवा कर उसका धर्म परिवर्तन कराने के बाद जबरन उसकी शादी करा दी गई हो। इससे पहले भी पाकिस्तान में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
http://www.jagran.com/news/world-hindus-protest-after-woman-converted-to-islam-in-pakistan-10258001.html

सोमवार, 25 मार्च 2013

एक फोन पर इकट्ठा हुए एक हजार स्वयंसेवक

एक फोन पर इकट्ठा हुए एक हजार स्वयंसेवक
भोपाल २ मार्च २० १  ३। भागवत की भोपाल यात्रा पर संघ ने एक और प्रयोग किया। सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच में शहर के चुनिंदा स्वयंसेवकों को फोन करके सुबह सात बजे नीलम पार्क में इकट्ठा होने को कहा गया, लेकिन इसका कारण नहीं बताया गया। जानकारी के अनुसार सात बजे तक 968 स्वयंसेवक खाकी नेकर पहन कर नीलम पार्क पहुंच गए। करीब 7:35 पर भागवत यहां पहुंचे। शाखा लगी, प्रार्थना हुई और कार्यक्रम समाप्त हो गया। संघ के प्रांत सह प्रचारक अशोक पोरवाल ने बताया कि हम यह प्रयोग करना चाहते थे कि आपात स्थिति में हम कितने समय में स्वयंसेवकों को एक स्थान पर इकट्ठा कर सकते हैं। 
साभार:  दैनिक भास्कर, भोपाल 
 

मेरा जीवन मेरे सुख के लिए नहीं, दरिद्र नारायण की सेवा व भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए, यही विवेकानन्द का सन्देश – श्री मोहन राव जी भागवत



मेरा जीवन मेरे सुख के लिए नहीं, दरिद्र नारायण की सेवा व भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए, यही विवेकानन्द का सन्देश श्री मोहन राव जी भागवत
भोपाल, दिनांक २४ मार्च २०१३  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भोपाल द्वारा स्थानीय समन्वय भवन में स्वामी विवेकानंद और भारतीय नवोत्थान विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक श्री मोहन राव जी भागवत के उद्वोधन से हुआ | कार्यक्रम के प्रारम्भ में कांची काम कोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयंत सरस्वती जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि विवेक पूर्वक देश और समाज के लिए कार्य करने से ही आनंद प्राप्त होता है | यह कार्य भी प्रथक प्रथक करने के स्थान पर मिलकर करना अधिक फलदाई है | क्योंकि कलियुग मैं संगठन ही शक्ति है | उन्होंने जोर देकर कहा कि संघे शक्ति कलौयुगे” |
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक श्री मोहन राव जी भागवत ने अपने उद्वोधन के प्रारम्भ रोमा रोला द्वारा विवेकानंद पर की गई टिप्पणी से किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कागज़ पर लिखे विवेकानंद के विचार जब इतनी स्फूर्ति देते हैं, तो उनकी तेजस्विता का उन लोगों को कैसा अनुभव हुआ होगा, जिन्होंने उन्हें प्रत्यक्ष सुनने का सौभाग्य पाया था | विवेकानंद के विचार केवल मात्र उनके द्वारा पढ़े गए या सुने गए विचार नहीं थे, वरन स्वतः अनुभव किये गए विचार थे, इसीलिए उनका इतना दीर्घजीवी प्रभाव रहा |
एक बार अपने गुरू अर्थात अशिक्षित किन्तु सिद्ध साधक श्री रामकृष्ण परमहंस द्वरा सत्य का साक्षात्कार करा दिए जाने के बाद उन्होंने पूर्ण समर्पण कर दिया और उसी प्रेरणा के आधार पर जीवन जिया | वह सत्य अर्थात वही सनातन, मानवीय, भारतीय, हिंदुत्व या विवेकानन्द जीवन द्रष्टि | यह वही आधारशिला थी जिसने भीषण झंझावातों में भी इस राष्ट्र को खडा रखा | विवेकानंद जी के विचारों के महत्वपूर्ण विन्दु थे, कण कण में भगवान | विश्वरूप परमेश्वर | चारों ओर जो जन है वही जनार्दन है | अहंकार रहित होकर उसकी सेवा करो | वह साक्षात शिव ही मेरे उद्धार के लिए जीव रूप में आया है, जिसकी कृतज्ञ भाव से मुझे सेवा करनी है |
सनातन जीवन द्रष्टि में मनुष्य पाप का उत्पाद नहीं, अमृतस्य पुत्रः कहा गया है | अतः स्वयं को छोटा मत समझो, कोई एक विचार पकड़ो और उस विचार के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाओ, तुम उस को पा जाओगे | दुर्बल न रहो शक्ति का साक्षात्कार करो | शक्ति का आत्यंतिक स्वरुप है प्रेम | यहाँ तक कि भयंकरता से भी प्रेम | काली रूप की पूजा वही तो है | जिससे सब डरते हैं, उसमें भी उसको देखो |
स्वामीजी का शिकागो भाषण इसलिए जगत प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि वह स्वाभाविक आत्मीयता से दिया गया था | उन्होंने कहा कि मैं उस देश का सन्देश वाहक हूँ जिसने ईश्वर तक पहुँचने के सभी मार्गों को एक माना | जिसकी मान्यता है कि संघर्ष मत करो, एक दूसरे को बदलने की कोशिश मत करो | इस सभा के प्रारम्भ में हुआ घंटानाद जगत में व्याप्त कल्मष का मृत्युनाद सिद्ध हो | उनके द्वारा कहे गए इन शव्दों के पीछे उनकी गहन तपस्या थी | अतः उसका प्रभाव हुआ |
भारतीय संस्कृति का यह विवरण भले ही उन्होंने अमरीका में दिया हो किन्तु वस्तुतः यह सन्देश भारत के लिए था | भारत उस समय आत्म अवसाद में था | गुलामी के कारण उत्पन्न हुई हीन ग्रंथि का शिकार था | विवेकानंद के इन शव्दों ने उसमें आत्म विश्वास जगाने का कार्य किया | वापस भारत लौट कर स्वामीजी ने घूम घूम कर देशवासियों को बताया कि विश्व गड्ढे में गिर रहा है और उसे केवल भारतीय दर्शन ही बचा सकता है | पश्चिम का विज्ञान व भारतीय आध्यात्म का सम्मिश्रण अर्थात भौतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए वैदिक दर्शन द्वारा अमरत्व की प्राप्ति | उन्होंने कहा कि हे भारत पश्चिमी चकाचोंध में भूलो मत कि तुम्हारा जीवन परोपकार के लिए है | यहाँ की महिलाओं का आदर्श सीता, सावित्री, दमयंती है | आत्मीयता का विस्तार ही सच्चा जीवन है | हे उमानाथ, हे गौरीनाथ, माँ मुझे मनुष्य बना दो | दरिद्र भारत वासी, पिछड़े भारत वासी मेरे वन्धु हैं | मेरे बचपन का झूला, यौवन की फुलवारी, बुढापे का सहारा यह भारत ही है |
दुनिया का अधूरापन आज जग जाहिर है | इसका विवेकानंद को पुर्वानुमान था अतः उन्होंने स्वावलम्बन का आग्रह किया तथा अनुकरण न करने की बात की | उन्होंने कहाकि पश्चिम से विज्ञान लो, संगठन कौशल, अनुशासन लो | किन्तु उन्होंने परानुशरण का कडा विरोध किया और कहा कि दूसरों का अनुशरण करोगे तो जग सिरमौर कैसे बनोगे ? स्पर्धा बंद करो, देशहित में मिलकर काम करो | देश को बड़ा बनाने के लिए भारतमाता व उसकी संतानों को ही अगले पचास वर्ष तक अपना प्रथम आराध्य मानो | तुम तब तक ही हिन्दू हो, जब तक इस शव्द के उच्चारण से तुम्हारी रगों में बिजली दौड़ती है, माँ की किसी संतान के छोटे से दुःख को दूर करने के लिए भी तुम सम्पूर्ण शक्ति लगाते हो | उन्होंने उस आदर्श विद्यालय की कल्पना की जहां भारत के तरुण नौकरी करने के लिए नही, वरन सेवा व समर्पण की शिक्षा लें और उन तेजस्वी तरुणों के श्रम से भारत का भाग्य सूर्य उदय हो |
यह जीवन बनाने का तेजस्वी विचार ग्रहण कर उसे जीवन में उतारें तभी इन विचारों की सार्थकता है | विचार सत्य होता है, किन्तु उसके पैर नहीं होते | धर्म सत्य है किन्तु आचार से बढ़ता है | धर्मो रक्षति रक्षितः | विवेकानंद ने भारत को युग धर्म बताया, उसे हमें आचरण में लाना होगा | इस देश के उत्थान के लिए विवेकानंद ने जीवन लगाया | उनके गुरू ने उन्हें समाधि का अनुभव तो कराया, किन्तु फिर कहा, अब बस, आगे और नहीं | तुम्हें तो बट वृक्ष बनना है, समाज को दिशा देना है, उसके सामने आत्मोन्नति गौण है | गुरू ने कहा अब दरवाजा बंद, उस पर ताला जड़ दिया है और उसकी चाबी मेरे पास है, अब काम करो, माँ जब उचित समझेंगी तुम्हे चाबी दे देंगी |
इसके बाद विवेकानंद ने भारत के एक एक व्यक्ति को जगाने में स्वयं के शरीर को इतना जर्जर कर लिया कि ३९ वर्ष की अल्प आयु में ही संसार छोड़ गए | उनके कुछ पत्रों में उस शारीरिक पीड़ा की झलक मिलती है | असह्य शरीरिक कष्ट सहकर भी वे निरंतर काम करते रहे | उन्होंने कहा था कि मैं निश्चय से देख रहा हूँ कि भारत की तरुनाई सत्य की अनुभूति कर भारत को विश्वगुरू बनाने की कल्पना साकार करेगी | भारतमाता पुनः भव्य दिव्य सिंहासन पर आरूढ़ हो समस्त विश्व को कल्याण का आशीर्वाद देगी |
स्वावलंबन व आत्म गौरव के साक्षात्कार द्वारा हमें सम्पूर्ण विश्व का कल्याण करना है | पैदल चलकर अथवा नौकाओं के माध्यम से विश्व के सुदूर क्षेत्रों में जाजाकर आयुर्वेद, गणित व विज्ञान का दान हमारे पूर्वजों ने विश्व को दिया, आज फिर वही पराक्रम दिखाने का समय आ गया है | मेरा जीवन मेरे सुख के लिए नहीं, मेरी शक्ति सामर्थ्य का उपयोग दरिद्र नारायण की सेवा के लिए, भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए करूंगा, यह संकल्प लेकर जाए | ऐसा जीवन ही न केवल स्वयं के लिए, न केवल भारत के लिए वरन सम्पूर्ण विश्व के लिए जीवन दाई होगा | आपके सबके अंतस में यह भाव जगे यहीं मंगल कामना |

मंच पर माखनलाल विश्व विद्यालय के कुलपति श्री वृजकिशोर कुठियाला भी उपस्थित थे | सभा का संचालन श्री जगदीश उपासने ने तथा आभार प्रदर्शन डा. चंदर सोनाने ने किया | कार्यक्रम में चार मुख्य मंत्री सर्व श्री सुन्दरलाल पटवा, कैलाश जोशी, उमाश्री भारती, बाबूलाल गौर सहित अनेक सामाजिक, राजनैतिक व गणमान्य नागरिकों के अतिरिक्त बड़ी संख्यामें पत्रकारिता विश्व विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे | कार्यक्रम के अंत में वन्देमातरम का गान हुआ |

रविवार, 17 मार्च 2013

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के तीसरे दिन की प्रेस ब्रिफिंग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के तीसरे दिन की प्रेस ब्रिफिंग
 सर कार्यवाह माननीय सुरेश जी जोशी "भैय्या जी जोशी" पत्रकारों से बात करते हुए 















जयपुर 17 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह सुरेश  जोशी  (भैय्या जी जोशी  ) ने रविवार को जयपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश  की सीमा क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा बर्बरता का परिचय देना, प्रति रक्षा सौदों पर प्रष्न चिह्न लगना, महिला उत्पीडन की वेदनादायक घटनाएं आदि से देश में जो परिस्थितियां बनी है वे संघ के साथ ही समस्त देश भक्तों के लिए चिंता का विषय है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने सभी विषयों पर चर्चा कर प्रस्ताव और व्यक्तव्य के माध्यम से समाज के सामने यह विषय लाने का प्रयास किया है।
सर कार्यवाह माननीय सुरेश जी जोशी "भैय्या जी जोशी" एवं माननीय मनमोहन जी वैध्य 















उन्होंने अखिल भारतीय प्रतिनिधि में तीन दिन तक चले मंथन के बारे में मीडिया को बताया कि पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अन्तहीन अत्याचारों के परिणामस्वरूप वे लगातार बड़ी संख्या में शरणार्थी बनकर भारत में आ रहे हैं। यह बहुत ही लज्जा एवम् दुःख का विषय है कि इन असहाय हिन्दुओं को अपने अपने मूल स्थान और भारत दोनों में ही अत्यंत दयनीय जीवन बिताने को विवश होना पड़ रहा है।
बंगलादेश के बौद्धों सहित समस्त हिन्दुओं एवं उनके पूजास्थलों पर वहाँ की हिंदु और भारत विरोधी कुख्यात जमाते इस्लामी सहित विभिन्न कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हाल ही में किये गए हमलों की तीव्र निंदा की गई। पाकिस्तान के हिंदु सुरक्षा, सम्मान और मानवाधिकारों से वंचित निम्न स्तर का जीवन बिता रहे हैं। सिक्खों सहित समस्त हिन्दुओं पर नित्य हमले आम बात है। बलपूर्वक मतान्तरण, अपहरण, बलात्कार, जबरन विवाह, हत्या और धर्मस्थलों को विनष्ट करना वहाँ के हिन्दुओं के प्रतिदिन के उत्पीडि़त, जीवन का भाग हो गये हैं। पाकिस्तान की कोई भी संवैधानिक संस्था उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आती है। परिणामस्वरूप पाकिस्तान के हिंदु भी पलायन कर भारत में शरण मांगने को विवश हो रहे हैं। 1950 के नेहरु-लियाकत समझौते में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा और नागरिकता के अधिकार प्रदान किये जायेंगे। भारत में हर संवैधानिक प्रावधान का उपयोग तथाकथित अल्पसंख्यकों को न केवल सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया अपितु उनको तुष्टिकरण की सीमा तक जानेवाले विशेष प्रावधान भी दिए गए। वे आज भारत में जनसांख्यिकी, आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक सभी दृष्टि से सुस्थापित हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान और बंगलादेश के हिंदु लगातार उत्पीडन के परिणामस्वरूप घटती जनसंख्या, असीम गरीबी, मानवाधिकारों के हनन और विस्थापन की समस्याओं से ग्रस्त है। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान में विभाजन के समय हिन्दुओं की जनसंख्या क्रमशः 28ः और 11ः थी तथा खंडित भारत में 8ः मुस्लिम थे। आज जब भारत की मुस्लिम आबादी 14ः तक बढ़ गयी है वहीं बंगलादेश में हिंदु घटकर 10ः से कम रह गए है और पाकिस्तान में वे 2 प्रतिशत से भी कम है।
इस हृदय विदारक दृश्य को देखते हुए भारत सरकार से यह अनुरोध करती है कि इन दोनों देशों में रहनेवाले हिन्दुओं के प्रश्न पर नए दृष्टिकोण से देखे, क्योंकि उनकी स्थिति अन्य देशों में रहनेवाले हिन्दुओं से पूर्णतया अलग है। इसी के साथ मांग की गई है कि बंगलादेश और पाकिस्तान की सरकारों पर वहाँ के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए, राष्ट्रीय शरणार्थी एवं पुनर्वास नीति बनाकर इन दोनों देशों से आनेवाले हिन्दुओं के सम्मानजनक जीवन यापन की व्यवस्था भारत में तब तक करें जब तक कि उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी की स्थिति नहीं बनती, बंगलादेश और पाकिस्तान से विस्थापित होनेवाले हिन्दुओं के लिए दोनों देशों से उचित क्षतिपूर्ति की मांग करे, संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी तथा मानवाधिकार से सम्बंधित संस्थाओं ख्न्छभ्ब्त्ए न्छभ्त्ब्, से यह मांग करे कि हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व सम्मान की रक्षा के लिए वे अपनी भूमिका का निर्वाह करें।  
महिला उत्पीडन और सरकार द्वारा सेक्स की आयु घटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश मंे प्राचीन काल से ही महिलाएं श्रद्धा और आदर का केन्द्र रही है। वर्तमान परिस्थितियों मंे महिलाओं की सामाजिक भूमिका पर समाज जागरण की आवश्यकता है। इसके लिए परिवार और समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना अत्यन्त आवश्यक है। सेक्स की आयु घटाने के जवाब में उन्होंने कहा कि यह देश के लिए ठीक नही है और संघ इसका विरोध करता है।

शनिवार, 16 मार्च 2013

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन की प्रेस ब्रिफिंग

  
सह सरकार्यवाह डा कृष्णगोपाल एवं अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख माननीय नन्द कुमार  जी पत्रकारों से वार्ता करते हुए 



पत्रकारों से वार्ता का एक दृश्य 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन की प्रेस ब्रिफिंग
जयपुर 16 मार्च। जयपुर के केषव विद्यापीठ जामड़ोली में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दुसरे दिन संवाददाताओं से बात करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ.कृष्णगोपाल ने कहा कि पड़ोसी देषों से हो रही घुसपैठ के कारण लगातार जनसंख्या असतुंलन बढ़ता जा रहा है, यह वृद्धि प्राकृतिक नही है। डाॅ.गोपाल ने सरकार्यवाह सुरेष भैय्या जी जोशी द्वारा श्रीलंका के तमिल पीडि़तों की समस्याओं और देष की वर्तमान परिस्थितियों पर जारी दो वक्तव्यों की जानकारी भी दी।
डाॅ.कृष्णगोपाल ने संवाददाताओं द्वारा पूछे गए सवालों के जबाव देते हुए कहा कि महिला उत्पीड़न के खिलाफ कानून तो अच्छा बनना ही चाहिए। इसके साथ ही समाज, परिवार और शैक्षिणिक संस्थाओं में महिलाओं के प्रति आदर भी बढ़ना चाहिए। हर घर, परिवार में संस्कार बढे ऐसे प्रयास समाज में होने चाहिए।

जारी व्यक्तव्य में बताया गया कि गत वर्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यू.एन.एच.आर.सी.) की जेनेवा बैठक से ठीक पहले श्रीलंका सरकार को अपने देश के तमिलों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सक्रियतापूर्वक कदम उठा उनके उचित पुनर्वास, सुरक्षा एवं राजनैतिक अधिकारों को भी सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। परन्तु एक वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी धरातल पर स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। इस कारण से वैश्विक जगत का श्रीलंका सरकार की मंशाओं के प्रति संदेह और गहरा हो गया है।
श्रीलंका सरकार को यह पुनस्र्मरण कराना चाहिए कि वह 30 वर्ष के लिट्टे (एल.टी.टी.ई.) एवं श्रीलंका सुरक्षा बलों के मध्य हुए संघर्ष के परिणामस्वरूप हुई तमिलों की दुर्दशा पर आँख मंूदकर नहीं बैठे, जिन्हें इस कारण अपने जीवन, रोजगार, घरों और मंदिरों को भी खोना पड़ा। एक लाख से अधिक तमिल आज अपने देश से पलायन कर तमिलनाडु के समुद्री किनारों पर शरणार्थी के रूप में रह रहे हंै। श्रीलंका में स्थायी शांति तभी संभव है जब सरकार उत्तरी एवं पूर्वी प्रान्तों तथा भारत में रहने वाले तमिल शरणार्थियों की समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक एवं पर्याप्त रूप से ध्यान दे। भारत सरकार से यह आग्रह हैं कि वह यह सुनिश्चित करे कि श्रीलंका सरकार विस्थापित तमिलों के पुनर्वास तथा उन्हें पूर्ण नागरिक व राजनैतिक अधिकार प्रदान करने के लिए जिम्मेदारीपूर्वक व्यवहार करे।
देष की वर्तमान परिस्थिति के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि सरकार की अदूरदर्शितापूर्ण नीतियों से बढ़ते आर्थिक संकट और कृषि, लघु उद्योग व अन्य रोजगार आधारित क्षेत्रों की बढ़ती उपेक्षा आज देश के लिए चिन्ता का कारण बन कर उभर रही है। देश के उत्पादक उद्योगों की वृ़द्धि दर आज स्वाधीनता के बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुँच गयी है। इस गिरावट से फैलती बेरोजगारी, निरंतर बढ़ रही महंगाई, विदेश व्यापार में बढ़ता घाटा और देश के उद्योग, व्यापार व वाणिज्य पर विदेशी कम्पनियों का बढ़ता आधिपत्य आदि आज देश के लिए गम्भीर आर्थिक सकंट व पराश्रयता का कारण सिद्ध हो रहे हैं।
कृषि की उपेक्षा से किसानों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं, अधिकाधिक किसानों का अनुबंध पर कृषि के लिए बाध्य होने और सरकार की भू अधिग्रहण की विवेकहीन हठधर्मिता आदि से आज करोडों किसानों का जीवन संकटापन्न होने के साथ ही, देश की खाद्य सुरक्षा भी गम्भीर रूप से प्रभावित हो रही है।
उन्होंने बताया कि आज गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियाँ जहाँ हमारी अगाध श्रद्धा का केन्द्र हैं, वहीं वे करोड़ों लोगों के जीवन का आधार होने के साथ-साथ, देश के बहुत बड़े क्षेत्र के पर्यावरणीय तंत्र की भी मूलाधार हैं। इन नदियों के प्रवाह को अवरूद्ध करने के सरकारों के प्रयास, उन्हें प्रदूषण मुक्त रखने के प्रति  उपेक्षा एवं उनकी रक्षार्थ चल रहे आन्दोलनों की भावना को न समझते हुए उनकी उपेक्षा भी गम्भीर रूप से चिन्तनीय है। संघ इन सभी जन आन्दोलनों का स्वागत करता है। कावेरी जैसे नदी जल विवाद भी अत्यन्त चिन्ताजनक हैं। राज्यों के बीच नदी जल विभाजन व्यापक जन हित में, न्याय व सौहार्द पूर्वक होना आवश्यक है। इसी प्रकार प्राचीन रामसेतु, जोे करोडों हिन्दुओं की श्रद्धा का केन्द्र होने के साथ-साथ, वहाँ पर विद्यमान थोरियम के दुर्लभ भण्डारांेेे को सुरक्षित रखने में भी प्रभावी सिद्ध हो रहा है। उसे तोड़ कर ही सेतु-समुद्रम योजना को पूरा करने की सरकार की हठधर्मिता, देश की जनता के लिए असह्य है। पूर्व में भी वहां से परिवहन नहर निकालने हेतु सरकार द्वारा उसे तोडने के प्रयास आरंभ करने पर, उसे राम भक्तों के प्रबल विरोध के आगे झुकना पडा है। आज शासन द्वारा पचैरी समिति के द्वारा सुझाये वैकल्पिक मार्ग को अपनाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने के शपथ पत्र से पुनः उसकी नीयत पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। इसलिए हम सरकार से अनुरोध करतेे हैं कि, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए उसे तोड़ने का दुस्साहस न करे। अन्यथा उसे पुनः प्रबल जनाक्रोश का सामना करना पड़ेगा। ऐसे सभी सामयिक घटनाक्रमों के प्रति सरकार को जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए देश हित में व्यवहार करना चाहिए।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित