आपदा क्षति आकलन के बाद पुनर्वास के कार्यों में जुटेगा संघ
Source: Newsbharati Date: 01 Jul 2013 14:46:27 |
देहरादून, जुलाई 1 : राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने यहाँ एक प्रेसवार्ता
में बताया कि उत्तराखण्ड में आई प्राकृतिक आपदा अबतक के ज्ञात इतिहास में
इस क्षेत्र की संभवत: सबसे बड़ी त्रासदी है। देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी
तीर्थयात्रियों की आस्था के सबसे बड़े केन्द्र- गंगोत्री, केदारनाथ तथा
बद्रीनाथ में हुई इस तरह की अकल्पनीय तबाही से पूरे देश का जनमानस आहत है।
उन्होंने कहा कि यहां के संघ कार्यकर्ताओं
द्वारा पूरे देश के सभी प्रान्तों से आपदा में फंसे यात्रियों की जानकारी
एकत्रित की जा रही है। इसके साथ ही राहत कार्य के लिए देशवासियों से हर तरह
की सहयोग की अपील की जा रही है और जन सामान्य से मदद भी मिल रही है।
संघ के उच्चाधिकारी प्रदेश में हुए नुकसान
का आकलन कर रहे हैं और उसके बाद योजनाबद्ध ढंग से राहत एवं पुनर्वास का
कार्य सम्पन्न किया जाएगा। संघ की प्रेरणा से चलने वाले उत्तरांचल दैवी
आपदा पीड़ित सहायता समिति के बैनर तले सहायता कार्यों में जुटे संघ
कार्यकर्ताओं द्वारा इस क्षेत्र में हुई अपार जनहानि,धनहानि तथा पशुहानि का
ब्यौरा जुटाया जा रहा है।
इस दैवी आपदा में कालकवलित हुए लोगों की
आत्मा की शान्ति के लिए उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की तथा आह्वान किया कि
दु:ख की इस घड़ी में धैर्य के साथ समाज को इस आपदा के शिकार
तीर्थयात्रियों,उनके परिवारजनों तथा स्थानीय प्रभावित गांवों व लोगों की
मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संघ पहले दिन से ही आपदा
पीड़ितों की मदद में जुटा हुआ है। संघ के कार्यकर्ताओं ने आर्मी, आईटीबीपी
और एनडीआरएफ का हर्शिल, भटवाड़ी, मनेरी, उखीमठ, गौरीकुंड, बद्रीनाथ आदि अनेक
स्थानों पर बचाव कार्यों में सहयोग किया।
संघ ने इस आपदा का आकलन करने के लिए कई
टीमों का गठन किया है जो प्रभावित क्षेत्रों में जाकर स्थलीय निरीक्षण के
माध्यम से नुकसान का जायजा लेगी, उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद व्यवस्थित
योजना बनाकर पुनर्वास का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संघ ने अपने
स्तर से भी लापता लोगों को खोजने का अभियान शुरू कर दिया है। सभी प्रान्तों
को मेल द्वारा उनके प्रान्त के लापता यात्रियों का विवरण तत्काल उपलब्ध
कराने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा केदारनाथ सहित
वहां के शेष तीर्थस्थलों में प्रकृति ने 16 व 17 जून को जैसा ताण्डव मचाया
उससे पूरा देश स्तब्ध है। आपदा के समय इन तीर्थस्थलों में कितने यात्री थे,
इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं है। अनुमान है कि केदारघाटी में हजारों की
संख्या में तीर्थयात्री, होटल मालिक, व्यापारी तथा अन्य कार्यों में लगे
लोग हताहत हुए हैं।
अबतक उपलब्ध जानकारीनुसार इन तीर्थस्थलों
को जोड़ने वाले सभी मोटर मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हैं। अनेक पुलों के बह जाने
से गंगोत्री घाटी तथा केदार घाटी के 150 से अधिक गांव अलग-थलग पड़ हैं। ये
गांव आपदा से प्रभावित हैं। इन गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना भी कठिन हो
गया है।
सह सरकार्यवाह ने बताया कि केदार घाटी में
तीर्थयात्रियों के अलावा स्थानीय गांवों में भी भारी जनहानि हुई है। ऊखीमठ
के आस-पास के प्रत्येक गांव से अनेकों लोग आपदा के शिकार हुए हैं। इस आपदा
के बाद राजकीय इण्टर कालेज फाटा के कम से कम 80 छात्रों का कोई पता नहीं
मिला है। ये छात्र आस-पास के गांवों के रहने वाले हैं तथा यात्रा सीजन में
छुट्टी के दिनों में यात्रियों की सेवा करते थे। राहत कार्य में जुटे संघ
कार्यकर्ताओं द्वारा ऊखीमठ के आस-पास के 55 गांवों का विवरण जुटाया गया है।
अब तक जुटायी गई इस जानकारी के अनुसार इन गांवों के लगभग 345 लोगों का कोई
पता नहीं हैं। इनमें 6 गांव पुजारियों के भी हैं।
संघ द्वारा शुरू राहत कार्यों का ब्यौरा
देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहले दिन से ही आपदा
कार्यों में जुटा है। देशभर से आने वाली सहायता सामग्री संघ के देहरादून
कार्यालय में एकत्रित की गई, जिसे प्रतिदिन प्रभावित क्षेत्रों के लिए भेजा
गया। देहरादून से अब तक 60 से अधिक राहत सामग्री के वाहन प्रभावित
क्षेत्रों को भेजे गए। जौली ग्रांट, हरिद्वार, ॠषिकेश, चम्बा, उत्तर काशी,
सेवा आश्रम मनेरी, जोशीमठ, बद्रीनाथ, पीपलकोटी, श्रीनगर, फाटा आदि अनेक
स्थानों पर राहत शिविर लगाए गए। इन राहत शिविरों के माध्यम से 40 हजार से
अधिक यात्रियों को बचाया गया तथा उन्हें भोजन, जलपान तथा चिकित्सा सुविधा
उपलब्ध कराई गई। सेवा आश्रम केशवपुरम मनेरी में 18 जून को ही 4 हजार से
अधिक यात्रियों को भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
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