सोमवार, 21 जुलाई 2014

देश में आर्दश नागरिक बनाने की भूमिका निभायें -- इन्द्रेश कुमार



दे में आर्द नागरिक बनाने की भूमिका निभायें -- इन्द्रेश  कुमार
भारत को विश्व  गुरू बनने से कोई रोक नहीं सकता -- गजेन्द्रसिंह शेखावत
    
 अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की 33 वीं प्रबन्धक कारिणी सभा का समापन 

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की 33 वीं प्रबन्धक कारिणी सभा को उध्बोधन देते हुए इन्द्रेश कुमार जी 



अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की 33 वीं प्रबन्धक कारिणी सभा का  दृश्य


जोधपुर २० जुलाई २०१४।   अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद की 33 वीं प्रबन्धक कारिणी सभा का समापन भारतमाता एवं नेता जी सुभाष  चन्द्र बोस के चित्रों पर माल्यापर्ण  व दीप प्रज्ज्वलन  एवं सुश्री सोनिका शर्मा के वन्देमातरम् प्रस्तुति से हुआ।

प्रबन्धक कारिणी सभा का समापन समारोह के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय  कार्यकारणी सदस्य तथा पूर्व सैनिक सेवा परिषद के मार्गदर्शक माननीय इन्द्रेश  कुमार जी  मुख्य अतिथि, जोधपुर सांसद श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत व अध्यक्षता मेजर जनरल एन एन गुप्ता तथा विशिष्ट  अतिथि श्री अमृत जी जैन अधिवक्ता अध्यक्ष श्री नाकोडा जैन तीर्थ  थे

माननीय इन्द्रे कुमार जी  बताया कि  दे के नागरिको में जब सांस्कृतिक  व चारित्रिक पतन होता  है तब  दे में बलात्कार,शाखोरी व देद्रोह की मांनसिकता बढ़ जाती है जिससे राष्ट्र में अशान्ति व असुरक्षा का वातावरण निर्माण होता है . उन्होंने सैनिक परिवारों की मातृक्ति से  आग्रह किया कि वर्तमान राष्ट्रीय  भावना को कुंठीत करने वाले नशा,  भ्रष्टाचार, बलात्कार एवं  देद्रोह को समाप्त करने के लिए दे में आर्द नागरिक बनाने की भूमिका निभायें।
 
माननीय इन्द्रेश  कुमार जी ने अपने उद्बोधन में बोलते हुए कहा कि पूर्व सैनिक सेवा परिष द एक अनुशाषि त व राष्ट्र  को समर्पित व्यक्तियों का संगठन हैं, जिसके अनुभव व योग्यता से राष्ट्र  की अनेको समस्यायें सुलझाई जा सकती हैं। माननीय इन्द्रेश जी ने धारा 370,  एक प्रधान एक निशान व एक विधान तथा पंचशील समझोते जैसे विषयों पर बोलते हुए कहा कि हमें खुले दिमांग से इन मुद्दों  पर लाभ हानि के आधार पर सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए। माननीय इन्द्रेश जी ने वर्तमान सरकार से अपेक्षा रखते आशान्वित किया कि यह सरकार राष्ट्रहित को सर्वेापरि रखकर अपने वादो पर खरा उतरेगी। 

मुख्य अतिथि जोधपुर के सांसद श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने कहा कि सैनिक अपने योवन काल में दे की  सीमाऐं पर अपने ऐशों  आराम त्याग कर व जान की बाजी लगाकर दे की रक्षा करता है। जब दे का सैनिक जगा रहता हैं तब दे वासी को आराम की नींद आती हैं तथा सेवा निवृति के पश्चात  पूर्व सैनिक अपने अनुभव एवं अनुशासन के द्वारा राष्ट्र  कार्य में अपना योगदान दे तो भारत को विश्व  गुरू बनने से कोई रोक नहीं सकता।

विशिष्ट  अतिथि श्री अमृत जी जैन ने कहा कि सैनिको के प्रति समाज में बहुत सम्मान हैं तथा हमें गर्व महसूस हो रहा हैं कि पूर्व सेवा परिषद  का अखिल भारतीय आयोजन भुंवाल माता मंदिर परिसर में सम्पन्न होने जा रहा हैं।
पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टि जनरल वी.एम. पाटील  ने कहा कि हमें अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए अपनी पहचान को बनाये रखकर राष्ट्रहित में कार्य करना चाहियें तथा ईमानदारी,वफादारी,व कर्तव्यनिष्टा  के साथ अपने संगठन को मजबूत करने  के   लिए समर्पित रहना चाहियें।

सभी प्रदेशों  के महासचिवो ने अपने-अपने प्रदेश  का वृत प्रस्तुत किया व राष्ट्रीय  कोषाध्य्क्ष  विंग कमान्डर एन.के.सिंह ने लेखा अनुदान प्रस्तुत किया । अन्त में आगामी कार्यक्रम की खुली चर्चा हुई।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों को परिचय एवं मारवाड़ की परम्परा अनुसार साफा पहनाकर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण में बोलते हुए जोधपुर जिला अध्यक्ष केप्टन उम्मेद सिंह राठौड़ ने कहा कि हम अपने आप को सौभाग्यशाली समझते हैं कि वीरवर दुर्गादास राठौड़ की धरा पर इस पवित्र स्थल पर यह तीन दिवसीय क्रार्यक्रम राष्ट्रीय  विभूतियों का सानिध्य हमें प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम के अन्त में अतिथियों को परिषद का प्रतिक चिन्ह भेट किया गया तथा राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्रिय प्रचारक प्रमुख माननीय दुर्गादास जी,  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्रिय प्रचार प्रमुख माननीय श्रीवर्द्धन, पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय विजय कुमार जी, सेन्य मातृशक्ति राष्ट्रीय संयोजिका श्रीमति प्रभा यादव व सभी प्रदेशों  के प्रदेश  अध्यक्ष महासचिव तथा कोषाध्यक्ष परिषद के अखिल भारतीय महासचिव ब्रिगेडियर एस सी सरीन, वायस एयर मार्शल  डी के दिक्षित, ब्रिगेडियर गोविन्द मि़श्रा, ग्रुप केप्टन मेहेन्द्रु ,राष्ट्रीय संगठन महामंत्री महेश  गांघी, सेन्य सन्देश  पत्रिका के संपादक कर्नल डी बी सिंह, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ग्रुप केप्टन एन के सिंह, कर्नल भाद्वाज, कर्नल पांडा, कर्नल फर्निकर, कर्नल के शेखावत, कमाडन्ट हनुवंत सिंह खिचीं, कप्टेन राम सिंह चांदावत, केप्टन राम सिंह धाधल, केप्टन सायर सिंह, केप्टन चतर सिंह, केप्टन डूंगरसिंह, आनन्दसिंह, चतरसिंह, फ्लाइग ओफिसर नारायण सिंह, केप्टन आम्ब सिंह, के हनुमान सिंह, नरपत सिंह, श्याम सिंह, रधुराजसिंह, राजेन्द्रसिंह राठौड़,  नेताजी सुभाष  युवा केन्द्र के जिला सयोजक श्याम  पालिवाल, भरत सिंह, धमेंन्द्र चैधरी एवं मातृशक्ति संगठन की सदस्य श्रीमति रतन कंवर एवं सैकड़ो पूर्व सैनिक  स्थानीय  गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित थी। 
                                                                                               
                                                                                             

शनिवार, 19 जुलाई 2014

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के ३३वी प्रबंध कारिणी सभा का शुभारम्भ

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद्  के ३३वी प्रबंध कारिणी सभा
का शुभारम्भ 
 
 

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद्  की बैठक का इक दृश्य
 
 
जोधपुर 19 जुलाई 2014।  अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद्  के ३३वी प्रबंध कारिणी सभा का कल प्रातः भुवाल माता मंदिर ट्रस्ट, बिरामी, जोधपुर में भारत माता एवं सुभाष  चन्द्र बोस के चित्रों  पर माल्यार्पण एवं दीप  प्रज्जवलन से हुआ.  बैठक की अध्यक्षता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वी. एम. पाटिल ने की , वही राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इन्द्रेश कुमार का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
बैठक में परिषद के रचनात्मक कार्यक्रम के विषय एवं आगामी वर्ष की भावी योजनाओं  पर विस्तृत चर्चा हुई।  "नेताजी आजाद हिन्द फ़ौज न्यास", "सैनिक मातृ शक्ति संगठन " एवं "सैनिक परिवार कल्याण न्यास" आदि के विषय में गहन चिंतन हुआ।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद्  के राष्ट्रीय  संगठन मंत्री विजय कुमार, राष्ट्रिय सचिव ब्रिगेडियर एस. सी. सरीन, मातृ संगठन की राष्ट्रीय  संयोजिका  यादव एवं राष्ट्रिय कोर कमेटी के सदस्य भी बैठक में उपस्थित रहे.
जोधपुर जिला अध्यक्ष कैप्टेन  उम्मीद सिंह राठौड़ ने कि  तीन दिवसीय राष्ट्रीय  प्रबंध कारिणीं  सभा के दूसरे दिन के कार्यवाही १९ जुलाई के सवेरे दस बजे प्रारम्भ होगी जिसमे सभी प्रदेशो के प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव व् कोषाध्यक्ष तथा राष्ट्रीय  कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहेगें।

शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् की ३३ वीं प्रबंध कारणी सभा का विधिवत शुभारम्भ आज से

जोधपुर।  अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद्  की ३३ वीं  प्रबंध कारिणी  सभा का विधिवत शुभारम्भ १८ जुलाई २०१४ को प्रातः १० बजे बिरामी में होगा।  
परिषद के जिला अध्यक्ष कैप्टेन  उम्मीद सिंह राठोड़  ने बताया की अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद के ३३ वीं  प्रबंधकारिणी सभा के बैठक राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ  के  भारतीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय इन्द्रेश कुमार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कोर कमेटी  के बैठक से प्रारम्भ होगी .
बैठक में राष्ट्रीय चिंतन के विषय एवं आगामी वर्ष की भावी योजनाओं  पर विस्तृत चर्चा होगी एवं दूसरे सत्र में नेताजी आज़ाद हिन्द फ़ौज़ न्यास, सैनिक मातृ शक्ति संघटन एवं सैनिक परिवार कल्याण न्यास के विषय में चर्चा होगी.
बैठक में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद  के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वी एम पाटिल, राष्ट्रीय संघटन मंत्री विजय कुमार, राष्ट्रीय महासचिव ब्रिगेडियर इस सी  सरीन, मातृ शक्ति संगठन  की राष्ट्रीय संयोजिका श्रीमती प्रभा यादव एवं राष्ट्रीय  कोर कमेटी  के सदस्य भाग लेंगे।

 तीन दिवसीय इस बैठक का समापन रविवार २० जुलाई को होगा।  २० जुलाई को होने वाले समारोह की अध्यक्षता पूर्व सैनिक सेवा परिषद राजस्थान के  प्रदेशाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मान्धाता सिंह , मुख्य अतिथि जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत , विशिष्ट अतिथि अमृत जैन होंगे।   समारोह के मुख्य वक्ता माननीय इन्द्रेश कुमार जी होंगे।


मंगलवार, 15 जुलाई 2014

Attempt to disrupt Sevika Samiti programme thwarted

VSK Chennai Sandesh



Attempt to disrupt Sevika Samiti programme thwarted
Consolidation work among Hindu women by Rashtra Sevika Samiti in Tamilnadu is growing. Extremist groups among Muslim, Communist and Dravidian outfits (Tamilnadu Muslim Munnetra Kazhagam, Naam Thamizar, Viduthalai Chiruthai Katchi, and DK) tried to create a scene in front of the School where the Guru Puja utsav of the Gobichettipalayam Shaka (Erode District) was in progress on July 13.  On information, City Police chased the unruly elements away.  The Gurupuja utsav was successfully completed. The utsav was held in Diamond Jublee Hr. Sec School, Gobichettipalayam.  Smt Geetha Ravindran, Dakshin Kshetra Karyavaahika and Akhila Bharatiya Karyakarini Sadasya, was present on the occasion. 
When 1008 children performed ‘Guru Puja’
On Vyasa Purnima day, 1008 teachers drawn from Chennai city schools assembled at the sprawling maidan where the five day annual Hindu Spiritual and Service Fair was being conducted.  As many students drawn from Government schools performed Pada Puja to the teachers and gave them gifts of saree, dhoti etc.  The fair consisting of 250 stalls and participated by several hundred Hindu religious service organizations and groups were inaugurated by Kanchi Shankaracharya Sri Jayendra Saraswathi Swamigal.  On the concluding day a grand Srinivasa Kalyanam Puja was arranged by Tirumala Tirupathi Devasthanam.  On all the five days thousands of Chennai residents were benefitted by the crisp and attractive display of hundreds of Hindu projects run by as many organizations and groups, which have openly identified themselves as Hindu. This Hindu awareness and Hindu identity by all sections of society is the main aim of the fair. 
A shameful ban on Bharatiya vesh in Chennai
A judge was denied entry into a hall where a book release function was in progress. Where? Right here at the Capital of Tamilnadu i.e. Chennai. Who is the Judge?  Justice D Hariparanthaman, a sitting Judge of Madras High Court.  He was prevented from entering because he was in a dhoti. Strong criticism from several political leaders of the state ensued.  Everyone wondered whether the national dhoti should be insulted like this in Hindusthan itself.

शनिवार, 5 जुलाई 2014

कुर्ते के इंतजार में एक घंटे बैठे रहे मोहन भागवत

http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/dhar-mohan-bhagwat-coat-sitting-in-waiting-for-an-hour-134057

कुर्ते के इंतजार में एक घंटे बैठे रहे मोहन भागवत

राजीव सोनी, मोहनखेड़ा। खबर चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन यह संघ प्रमुख मोहन भागवत की सादगी दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा में ऐसे अनेक नेता मौजूद हैं जिनका वार्डरोब महंगे डिजाइनर कपड़ों से भरा पड़ा है। लेकिन, भाजपा की मातृ संस्था के मुखिया का फलसफा इस मामले में बिल्कुल ही जुदा है। सादगी पसंद भागवत फटा कुर्ता पहने ही मोहनखेड़ा आ पहुंचे, कल शाम दर्जी ढूंढकर उसकी मरम्मत कराई गई।

दूसरा कुर्ता धुलने पड़ा था इसलिए एक घंटे तक वह बनियान में ही रहे। मोहनखेड़ा में चल रही अभा प्रांत प्रचारकों की बैठक में आठ दिनी प्रवास पर पहुंचे संघ प्रमुख अपने साथ महज दो कुर्ते लेकर चले हैं। एक दिन पूर्व उन्होंने जो कुर्ता पहना वह पाकेट के पास फटा था, उसे देखकर एक स्वयंसेवक ने टोक दिया।

भागवत ने फौरन उतारकर मरम्मत कराने भेज दिया। मोहनखेड़ा में दर्जी ढूंढ कर उसे दुरुस्त कराने में एक घंटे का समय लगा। तब तक भागवत अपने कक्ष में बनियान पहने ही काम करते रहे। भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिश्त मौजूद है जो महंगे डिजायनर एवं ब्रांडेड कपड़ों के शौकीन हैं उनके कपड़ों पर सलवट भी बमुश्किल नजर आती है। कुर्ते से मैच करती महंगी जैकेट भी इन नेताओं की पहचान बन गई है।

मीठे की जरूरत नहीं!

शिविर में 42 प्रांतों से आए सभी दिग्गजों के लिए भागवत ने भोजन में दाल, रोटी व एक सब्जी के साथ खिचड़ी जैसे पकवान का 'मेन्यु" फायनल किया है। एक दिन पहले का वाकया है, दोपहर के भोजन में मिष्ठान का एक आयटम परोसने के साथ टेस्ट बदलने दो तरह का नमकीन भी रख दिया गया।

थाली में यह सब देख भागवत ने तुरंत टोक दिया कि मीठे की जरूरत नहीं है और नमकीन भी दो प्रकार का क्यों? एक ही पर्याप्त है। भोजन में अनावश्यक फिजूलखर्ची और 'लग्जरी" न दिखाने की नसीहत भी दी। अगले टाइम के भोजन में उनके आदेश पर अमल हो चुका था।

गांव-गांव में शाखाएं

शनिवार से अभा कार्यकारी मंडल की बैठक में संघ अपने कामकाज की समीक्षा शुरू करेगा। संघ ने अब देश के गांव-गांव तक अपनी शाखाओं के विस्तार की योजना पर काम शुरू किया है। इसके अलावा विदेशों में संचालित संघ की गतिविधियों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना बन रही है।

इस बैठक के लिए भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल और संघ के प्रवक्ता राम माधव भी मोहनखेड़ा पहुंच गए। संघ का कोर ग्रुप एवं अन्य पदाधिकारी शाखा, प्रचारक और संघ की कार्यपद्धति को लेकर जरूरी निर्णय लेंगे। साथ ही संघ शिक्षा वर्ग के बारे में भी विचार मंथन करेंगे।

मुख्यमंत्री को मिला समय

मध्यप्रदेश में भागवत के प्रवास को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे शिष्टाचार मुलाकात का समय मांगा था। बताया जाता है कि भागवत ने उन्हें शनिवार अथवा रविवार को दोपहर भोज के वक्त का समय दिया है। शिवराज भागवत के साथ भोजन व शिष्टाचार मुलाकात कर वापस लौट जाएंगे। संघ की बैठक में वे आमंत्रित नहीं हैं इसलिए बैठकों का दौर यथावत चलता रहेगा। प्रदेश के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन रविवार को मोहनखेड़ा पहुंचेंगे
Souece :

शत शत नमन अधीश जी



 हंसकर मृत्यु को अपनाने वाले : अधीश जी
पुण्य-तिथि

किसी ने लिखा है - तेरे मन कुछ और है, दाता के कुछ और। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री अधीश जी के साथ भी ऐसा ही हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए उन्होंने जीवन अर्पण किया; पर विधाता ने 52 वर्ष की अल्पायु में ही उन्हें अपने पास बुला लिया।

अधीश जी का जन्म 17 अगस्त, 1955 को आगरा के एक अध्यापक श्री जगदीश भटनागर एवं श्रीमती उषादेवी के घर में हुआ। बालपन से ही उन्हें पढ़ने और भाषण देने का शौक था। 1968 में विद्या भारती द्वारा संचालित एक इण्टर कालिज के प्राचार्य श्री लज्जाराम तोमर ने उन्हें स्वयंसेवक बनाया। धीरे-धीरे संघ के प्रति प्रेम बढ़ता गया और बी.एस-सी, एल.एल.बी करने के बाद 1973 में उन्होंने संघ कार्य हेतु घर छोड़ दिया।

अधीश जी ने सर्वोदय के सम्पर्क में आकर खादी पहनने का व्रत लिया और उसे आजीवन निभाया। 1975 में आपातकाल लगने पर वे जेल गये और भीषण अत्याचार सहे। आपातकाल के बाद उन्हें विद्यार्थी परिषद में और 1981 में संघ कार्य हेतु मेरठ भेजा गया। मेरठ महानगर, सहारनपुर जिला, विभाग, मेरठ प्रान्त बौद्धिक प्रमुख, प्रचार प्रमुख आदि दायित्वों के बाद उन्हें 1996 में लखनऊ भेजकर उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख का काम दिया गया।

प्रचार प्रमुख के नाते उन्होंने लखनऊ के 'विश्व संवाद केन्द्र' के काम में नये आयाम जोड़े। अत्यधिक परिश्रमी, मिलनसार और वक्तृत्व कला के धनी अधीश जी से जो भी एक बार मिलता, वह उनका होकर रह जाता। इस बहुमुखी प्रतिभा को देखकर संघ नेतृत्व ने उन्हें अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख और फिर प्रचार प्रमुख का काम दिया। अब पूरे देश में उनका प्रवास होने लगा।

अधीश जी अपने शरीर के प्रति प्रायः उदासीन रहते थे। दिन भर में अनेक लोग उनसे मिलने आते थे, अतः बार-बार चाय पीनी पड़ती थी। इससे उन्हें कभी-कभी शौचमार्ग से रक्त आने लगा। उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब यह बहुत बढ़ गया, तो दिल्ली में इसकी जाँच करायी गयी। चिकित्सकों ने बताया कि यह कैंसर है और काफी बढ़ गया है।

यह जानकारी मिलते ही सब चिन्तित हो गये। अंग्रेजी, पंचगव्य और योग चिकित्सा जैसे उपायों का सहारा लिया गया; पर रोग बढ़ता ही गया। मार्च 2007 में दिल्ली में जब फिर जाँच हुई, तो चिकित्सकों ने अन्तिम घण्टी बजा दी। उन्होंने साफ कह दिया कि अब दो-तीन महीने से अधिक का जीवन शेष नहीं है। अधीश जी ने इसे हँसकर सुना और स्वीकार कर लिया।

इसके बाद उन्होंने एक विरक्त योगी की भाँति अपने मन को शरीर से अलग कर लिया। अब उन्हें जो कष्ट होता, वे कहते यह शरीर को है, मुझे नहीं। कोई पूछता कैसा दर्द है, तो कहते, बहुत मजे का है। इस प्रकार वे हँसते-हँसते हर दिन मृत्यु की ओर बढ़ते रहे। जून के अन्तिम सप्ताह में ठोस पदार्थ और फिर तरल पदार्थ भी बन्द हो गये।

चार जुलाई, 2007 को वे बेहोश हो गये। इससे पूर्व उन्होंने अपना सब सामान दिल्ली संघ कार्यालय में कार्यकर्त्ताओं को दे दिया। बेहोशी में भी वे संघ की ही बात बोल रहे थे। घर के सब लोग वहाँ उपस्थित थे। उनका कष्ट देखकर पाँच जुलाई शाम को माता जी ने उनके सिर पर हाथ रखकर कहा - बेटा अधीश, निश्चिन्त होकर जाओ। जल्दी आना और बाकी बचा संघ का काम करना। इसके कुछ देर बाद ही अधीश जी ने देह त्याग दी।

विरासत की खोज - सरस्वती से साक्षात्कार

विरासत की खोज - सरस्वती से साक्षात्कार

विलुप्त हो चुकी सरस्वती आज हमारे बीच मौजूद है या नहीं, इस विषय पर वर्षों तक बातें होती रही हैं। हमारे पुराणों में सरस्वती का उल्लेख मिलता है। जब तक सरस्वती को लेकर तमाम वैज्ञानिक शोध नहीं हुए थे, तब तक बहुत से कथित बुद्धिजीवी इसके अस्तित्व को ही नहीं स्वीकारते थे, लेकिन अब स्थिति एकदम साफ है केवल धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था वाले श्रद्धालुओं ने ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों ने भी सरस्वती के अस्तित्व को स्वीकार किया है। यहां तक कि नासा ने भी पृथ्वी के अंदर प्रवाहमान इसके प्रवाहित हाने की पुष्टि की है। सरस्वती के प्रवाहमान होने के प्रमाण आज भी भारत के कोने-कोने में विद्यमान हैं।
उल्लेखनीय है कि गंगा, यमुना और गोदावरी आज भी प्रत्यक्ष रूप से पीढि़यों से हमारे बीच में विद्यमान हैं लेकिन सरस्वती नदी एक कालखंड विशेष से लुप्त मानी जाती है। प्रकृति की अपनी गति होती है और नदी
का प्रवाह भी प्रकृति ही निर्धारित करती है। असंख्य नदियां ऐसी हैं जिन्होंने समय-समय पर अपने जलधारा के तीव्रवेग के कारण युगों- युगों से चले आ रहे निर्धारित मार्ग को बदलकर अपने लिए नया मार्ग बनाया। निश्चित रूप से सरस्वती नदी की जलधारा किसी भी स्तर पर गंगा, यमुना से कम नहीं रही होगी
और इस नदी की धारा में बहुत सी नदियों ने सहायक के रूप में विशेष भूमिका भी निभाई होगी। समय के बदलाव और प्राकृतिक आपदा के कारण व नदी में अत्यधिक जलधारा का समावेश होने के कारण यह नदी धरती के अंदर समाकर फिर किसी अन्य स्रोत से दूसरी ओर परिवर्तित हो गई होगी या फिर किसी अन्य नदी में समाहित हो गई। भारतीयों की सरस्वती के प्रति अनन्य श्रद्धा आज भी दिखाई पड़ती है और इसी कारण आज भी असंख्य श्रद्धालु और पर्यटक इसके उद्गम स्थल शिवालिक पहाडि़यों के अंचल में हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित बिलासपुर तहसील के काठगढ़ के जंगलों में जाते हैं। यहीं पर स्थित है सरस्वती का उद्गम स्थल। काठगढ़ में सरस्वती के उद्गम स्थल व इससे जुड़े धार्मिक व वैज्ञानिक पक्षों का उद्घाटन करने हेतु पाञ्चजन्य संवाददाता ने विस्तृत रिपोटिंग की और प्रवाहित होने वाले श्रद्धालुओं वहां जाकर देखा कि वास्तव में यहां सरस्वती बह रही है, भले ही एक लघु जलधारा के रूप में, लेकिन सरस्वती के विद्यमान होने के कई प्रसंग यहां बिखरे पड़े हैं।
आदिबद्री धाम से पहले है उद्गम स्थल
आदिबद्री धाम मंदिर से करीब एक किलोमीटर पहले सरस्वती का उद्गम स्थल है। आज भी लोग इसे तीर्थ स्थान के रूप में पूजते हैं। वैदिक और महाभारतकालीन वर्णन के अनुसार इस नदी के किनारे कुरुक्षेत्र था। जहां से होकर यह बहा करती थी। नदियों के विलुप्त होने की प्रक्रिया में सैकड़ों वर्ष लगते हैं। जब नदियां
सूखती हैं या विलुप्त होती हैं तो अपने निशान छोड़ जाती हैं। जगह -जगह छोटे-छोटे जलाशय बन जाते हैं। आज भी कुरुक्षेत्र और पेहवा में इस प्रकार के छोटे-छोटे सरोवर देखने को मिलते हैं। यमुनानगर जिले में स्थित मुस्तफाबाद में आज भी सरस्वतीकुंड है, जहां सरस्वती की पूजा होती है। बहरहाल काठगढ़ के जंगलों में स्थित सरस्वती उद्गम स्थल के बाहर हरियाणा वन विभाग की तरफ से एक बोर्ड लगाया गया है। बोर्ड देखकर ही पता चलता है कि यहां पर सरस्वती उद्गम स्थल है। यहां पहाड़ी की तलहटी से बंूद-बूंद पानी रिसकर एक छोटे से कुंड में एकत्रित हो रहा है। कुंड के बाहर मां सरस्वती की एक टूटी हुई मूर्ति रखी हुई है। बाहर बोर्ड लगा है। जिस पर लिखा है कि 'श्री सरस्वती उद्गम स्थल-पूजा स्थल बोर्ड श्री आदिबद्री' बूंद बूंद जो पानी कुंड में इकट्ठा हो रहा है। वही सरस्वती का जल है। यहां आने जाने के लिए कोई बस या टंैपो नहीं मिलता, बेहतर है कि आप अपने वाहन से यहां पहुंचें। जैसे ही यमुनानगर की सीमा खत्म होती है- पहाड़ नजर आने लगते हैं, चढ़ाई शुरू होते ही करीब एक किलोमीटर चलकर यहां तक पहुंचा जा सकता है।
न सफाई न देखरेख
सरस्वती का पानी जिस कुंड में एकत्रित होता है उसकी स्थिति बेहद खराब थी। कुंड में सूखी हुई पत्तियां और कुछ मेंढक दिखाई दिए। हालांकि कुंड की तलहटी तक साफ दिखाई दे रहा था, लेकिन उसमें तैरते पत्तों और छोटे-छोटे कीड़ों को देखकर जल का आचमन करने का मन नहीं हुआ। उद्गम स्थल के बाहर हरियाणा वन विभाग की तरफ से लगाए गए बोर्ड पर सरस्वती नदी के अस्तित्व को लेकर जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि सरस्वती नदी हिमालय से निकलकर इस पहाड़ी क्षेत्र से पहली बार मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती थी। 

सबसे बड़ी नदी थी सरस्वती
सरस्वती नदी कभी गंगा,सतलुज और यमुना से भी बड़ी हुआ करती थी। सतलुज और साबरमती इसकी सहायक नदियां थीं और भी कई नदियां जैसे सोम (पुरातन नाम स्वर्णभद्रा), घग्घर, बाता आदि की धारा सरस्वती की धारा में मिलकर इसके वेग को और प्रचंड बनाती थी। आदिबद्री धाम के पास स्थित नदी के वेग से कटे पहाड़ और स्वर्णभद्रा नदी की तलहटी में पाए जाने वाले गोल पत्थर और ऊपर पहाड़ी पर पाए जाने वाले गोल पत्थर बिल्कुल एक जैसे हैं। इससे पुष्ट होता है कि कभी सरस्वती यहां पर प्रचंड वेग से बहा करती थी। सर्वे ऑफ इंडिया के मानचित्रों में आदिबद्री से पिहोवा तक के रास्ते में सरस्वती के प्रवाह के मार्ग को दर्शाया गया है।
कुरुक्षेत्र में इस संबंध में खुदाई भी की गई थी। जिसमें नदी के तल में पाए जाने वाले गोलपत्थर और सीपियां व अन्य कई चीजें भी मिली हैं। सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शनलाल जैन ने बताया कि हिमालय के 'नाइटवर ' ग्लेशियर से निकलकर सरस्वती नदी हिमाचल, उत्तराखंड, आदिबद्री से मैदानी इलाके में प्रवेश करती थी। इसके बाद हरियाणा, राजस्थान और गुजरात होते हुए समुद्र में जाकर मिलती थी। उस समय राजस्थान आज की तरह सूखा प्रदेश नहीं था।
वह भी भारत के अन्य हरित प्रदेशों की तरह भरपूर हरियाली से युक्त था। पानी की कोई कमी नहीं थी। कालांतर में कई भीषण भूकंप आए। इन प्राकृतिक बदलावों के चलते सरस्वती नदी धरातल में चली गई और पृथ्वी के गर्भ में छिपे पहाड़ ऊपर उठ गए। समय के साथ सरस्वती पूरी तरह विलुप्त हो गई। हालांकि विलुप्त
होती सरस्वती ने भी तमाम जगहों पर अपने होने के प्रमाण छोड़ रखे हैं जो आज उपलब्ध हैं सरस्वती नदी को लेकर हुई तमाम वैज्ञानिक और भूगर्भीय खोजों से ऐसा प्रमाणित हुआ है। नासा ने सरस्वती के पृथ्वी के भुगर्भ में प्रवाहमान होने की पुष्टि की है। इसके लिए नासा ने अंतरिक्ष से लिया चित्र भी जारी किया है।
अटल सरकार के समय शुरू हुई थी खुदाई
अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग सरकार में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जगमोहन ने सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग की खुदाई और सिंधु सरस्वती सभ्यता के अनुसंधान की परियोजना की शुरुआत कराई थी। संप्रग सरकार के सत्ता में आने के बाद इस पर रोक लगा दी गई। जैसलमेर के रेगिस्तान के पश्चिम में कई जगहों पर जलोढ़ मिट्टी पाई गई है। इससे प्रमाणित होता है कि कभी वहां सरस्वती की स्वच्छ जलधारा बहती थी।
ओएनजीसी ने शुरू किया था प्रोजेक्ट
वर्ष 2004-5 में लीबिया के रेगिस्तान में तेल की तलाश करते हुए स्वच्छ पानी का स्रोत मिला था। यह जानकारी प्रकाश में आने के बाद ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम) ने भी रेगिस्तान में स्वच्छ जल की तलाश करने हेतु एक प्रोजेक्ट शुरू किया। ओएनजीसी ने वर्ष 2006 में सरस्वती नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट के दौरान ओएनजीसी ने जैसलमेर के नजदीक पृथ्वी में 500 मीटर नीचे स्वच्छ पानी का स्रोत ढूंढ निकाला। जब इस पानी की जांच की गई और उसका मिलान आदिबद्री स्थित सरस्वती उद्गम स्थल से निकल रहे पानी से किया गया तो दोनों के एक जैसा होने की पुष्टि हुई। तमाम वैज्ञानिक खोजों से भी यह बात प्रामणित हो चुकी है कि सरस्वती आज भी पृथ्वी के भूगर्भ में अविरल रूप से बह रही हैं। इसके अलावा केंद्रीय भूमि जल आयोग ने सरस्वती नदी द्वारा छोड़े हुए प्रवाह में कई कुएं खोदे थे। ये वही क्षेत्र हैं जहां कालांतर में सरस्वती नदी के प्रवाहमान होने की पुष्टि हुई है। इन क्षेत्रों में खोदे गए एक दो कुओं को छोड़कर बाकी सभी कुओं का पानी पीने लायक मिला था। बहरहाल तमाम वैज्ञानिक खोजों और नासा द्वारा पुष्टि किए जाने
के बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सरस्वती विशाल नदी थी, जिसमें अथाह जलराशि बहती थी। यदि सरकार इस दिशा में सार्थक प्रयास करे तो फिर से सरस्वती की धारा को पहले की तरह धरा पर लाया जा सकता है।
कथाओं और धर्मगं्रथों में सरस्वती

आदिबद्री धाम के महंत विनय स्वरूप ने बताया कि स्कंध महापुराण में उल्लेख है कि कलयुग की शुरुआत से कुछ पहले  बड़वानल नाम के राक्षस ने पूरी सृष्टि में प्रलय मचा दी। तब सभी देवताओं ने
मिलकर ब्रह्मा जी से प्रार्थना कर मदद मांगी। उस समय सरस्वती पृथ्वी पर  बहा करती थी। ब्रह्मा जी ने देवताओं को सरस्वती की शरण में जाने का निर्देश दिया। तब कलयुग शुरू होने में कुछ ही समय शेष था। कलयुग में सरस्वती को  पृथ्वी पर नहीं बहना है ऐसा पहले से तय था। देवताओं की प्रार्थना पर मां  सरस्वती बड़वानल को अपने साथ समुद्र में बहा ले गईं। तब सारे देवताओं ने  उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में भी आप पृथ्वी पर विराजमान रहेंगीं लेकिन  लघु रूप में कहीं-कहीं। इसलिए सरस्वती कलयुग में लघु रूप में है। उन्होंने  बताया कि कलयुग की आयु 3 लाख 28 हजार वर्ष है। अभी कलयुग के करीब 5 हजार  साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। जब कलयुग खत्म हो जाएगा तब सरस्वती  दोबारा पहले की तरह धरा पर बहने लगेंगी।
ऐसी भी मान्यता है कि सरस्वती सबसे पहले राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्म सरोवर से प्रकट हुई थी।  सरोवर से प्रकट होने के कारण उनका नाम सरस्वती पड़ा। ब्रह्मा जी ने लोक कल्याण के लिए सरस्वती का आह्वान किया था। उनके आह्वान करने पर वह 'सुप्रभा' नाम से प्रकट हुई। कई अवसरों पर ऋषियों ने सरस्वती का आह्वान किया। नैमिषारण्य में यज्ञ करते समय ऋषियों के आह्वान करने पर सरस्वती 'कांचनाक्षी' नाम से प्रकट हुई। हमारी पौराणिक कथाओं में अनेकों बार सरस्वती का उल्लेख मिलता है।

सरस्वती सुत
मां भारती की सेवा के  व्रती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. मोरोपंत पिगंले राष्ट्रीय अस्मिता जगाने वाले विभिन्न प्रकल्पों के प्रेरक रहे। सरस्वती नदी के लुप्त पथ की खोज भी उनकी जिज्ञासा से उपजा एक ऐसा ही प्रकल्प रहा। भारतीय रेल की कम्प्यूटरीकरण टीम के प्रमुख सदस्य रहे डॉ. एस. कल्याणरमण जब श्री पिंगले के संपर्क में आए तो देश की प्रगति में योगदान की इच्छा से
समय से 5 वर्ष पहले ही सेवानिवृत्ति ले ली। सरस्वती नदी एवं सिंधु लिपि पर गहन शोधकार्य करने वाले डॉ. कल्याणरमण को सरस्वती पथ खोज निकालने पर 'वाकणकर सम्मान' से विभूषित किया गया। 


- काठगढ़ से लौटकर आदित्य भारद्वाज
साभार: पाञ्चजन्य
 

बुधवार, 2 जुलाई 2014

हिंदुओं की एकता सभी समस्याओं का समाधान: सरसंघचालक

हिंदुओं की एकता सभी समस्याओं का समाधान: सरसंघचालक

10405555_238164519725888_2575534675893012684_nककाडकुई (भरूच). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुओं को संगठित करने का कार्य यदि इसी गति से चलता रहा तो वर्ष 2025 तक भारतीय समाज और भी संगठित हो जायेगा.
उन्होंने कहा, “भारत में हिंदुओं की एकता, देश की सभी आंतरिक और बाह्य समस्याओं का समाधान है. दुनिया के जिस किसी भी देश की धरती पर हिंदू गये, उन्होंने शांति व सौहार्द का प्रचार किया. दूसरी ओर, जिन्होंने भारत माता से अलग रहने का निर्णय लिया, वे आज कष्टमय जीवन जी रहे हैं. पाकिस्तान, तिब्बत, म्यांमार, श्री लंका, नेपाल और बंगलादेश की स्थिति से हम सभी अवगत हैं. इन देशों के लोगों की बेहतरी के लिये उनको भारत के निकट आने की आवश्यकता है.”
सरसंघचालक ने उक्त विचार 29 जून को भरूच जिले में नेत्रांग तालुका के ककाडकुई ग्राम में विद्या भारती के नवनिर्मित छात्रवास भवन के उद्घाटन से पूर्व कुछ लोगों से बातचीत के दौरान व्यक्त किये. भरूच और सूरत से सरसंघचालक से मिलने आए इन लोगों ने उनसे समान नागरिक संहिता, संविधान के अनुच्छेद 370 और पूर्वोत्तर की वर्तमान समस्याओं पर बातचीत की.
वनवासी परिवारों के लगभग 300 छात्रों को संबोधित करते हुए डा. भागवत ने वनवासी बंधुओं की दक्षता की सराहना की और कहा, “जब हम आज की शिक्षा पर दृष्टि डालते हैं, तो स्थिति बहुत सुखद दिखाई नहीं देती. वे विज्ञान एवं प्रगति पढ़ाते हैं, लेकिन भारतीय मूल्य व राष्ट्रवाद के बारे में शिक्षा नहीं देते. यही वह रिक्त स्थान है जिसे विद्याभारती को भरना है.”
पूर्वोत्तर में विद्याभारती के विद्यालय स्थापित करने पर जोर देते हुए डा. भागवत ने कहा, “पांच वर्ष पूर्व हमने नगालैण्ड में विद्याभारती का विद्यालय प्रारम्भ किया था. वहां आज, बच्चे हिंदी में बोलते हैं और हमें प्रसन्नता है कि हम राष्ट्रवाद की भावना फैलाने में सफल रहे. कल, वे भयमुक्त होकर देश की हर इंच भूमि की रक्षा करेंगे. हमारी दृष्टि केवल इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित नहीं है. यह हमारा देश है और यहां जो कुछ हो रहा है, उसके प्रति हमें संवेदनशील रहना होगा.”
उद्घाटन समारोह में गुजराती भाषा में छपा एक पत्रक वितरित किया गया जिसमें कहा गया है कि दुर्भाग्यवश विद्याभारती को ‘हिंसक’ संगठन के रूप में देखा जाता है जो असत्य है. विद्याभारती का उद्देश्य हिंदू जीवन शैली के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है.
इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता, केंद्रीय मंत्री एवं भरूच के सांसद मनसुख वसवा, राज्यसभा सदस्य भारत सिंह परमार, गुजरात के मंत्री गनपत वासवा, क्षत्र सिंह मोरी और बाबू वनानी उपस्थित थे.
स्त्रोत : vskbharat.com
 

 

मनुष्य सच्चे अर्थो मे स्वतंत्र तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता-ः परम पूजनीय सरसंघचालक मोहन जी भागवत

                     मनुष्य सच्चे अर्थो मे स्वतंत्र  तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता -                        परम पूजनीय  सरसंघचालक मोहन जी भागवत

आदिवासी तीरकबान के साथ प्रसंन्न मुद्रा मे परम पूजनीय  सरसंघचालक मोहन जी भागवत

परम पूजनीय  सरसंघचालक मोहन जी भागवत के साथ मंचासिन क्षैत्र संघचालक विभाग संघचालक और जिला संघचालक


झाबुआ। बाहर से जितना और जैसा प्रायश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नही होता जैसे पानी की प्रवृती ही ऐसी है की उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है एक जगह नही ठहरता है। इसी प्रकार अन्दर की उर्जा से जो काम होते है और जहां होते है वह अपना भवन उक्त बात परम पूज्य सर संघचालक मोहन जी भागवत ने वनवासी अंचल झाबुआ जिले मे दत्ताजी उननगावंकर द्वारा निर्मति संघ कार्यालय जागृती के लोकर्पण पर उपस्थित कार्यकर्ता और गणमान्य नगारीको को संबोधित करते हुए कही। 

इस अवसर पर दत्ताजी उननगावकर ट्रस्ट के अध्यक्ष रामगोपाल जी वर्मा ने ट्रस्ट के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए बताया की इस निर्माण कार्य मे जिले के सभी स्वयंसेवको ने दिन रात अथक प्रयश किया और समाज ने भी बडे उत्साह के साथ सहयोग दिया।

 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षैत्र संघचालक माननीय अशोक जी सोहनी ने कहा की पहले पुराना कार्यालय छोट था अब बडा कार्यालय बन चुका है यानि की काम भी अब ज्यादा बडा हो चुका है। 

उपस्थित स्वयं सेवक
कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए परमपूज्य संघचालक मोहनजी भागवत ने कहा की कार्यकर्ताओ को पता है कि कौन सा काम करना है कैसे करना है उन्हे पता है उसमे नई बात जोडने की कोई आवश्यकता ही नही है। भाषण करेगे या मार्गदर्शन करेगे यह अच्छा नही लगता है यह शब्दो का फर्क है शब्द परम्परा से चलते है अर्थ जानकर चलते है ऐसा नही है। इस लिए शब्दो का भी ध्यान रखना चाहिए। पूरम पूज्य ने कहा की नया भवन बना है भवन यानी होना लेकिन कुछ भवन ऐसे भी बनते है जहां कुछ होता नही है लेकिन अपने भवन ऐसे नही है। उन्होने कहा की बहार से प्रयश होता है उसमे जितना और जैसा प्रयाश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नी होता जैसे पानी की प्रवृति होती है उसे उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है। अंदर की उर्जा से जो काम होते है जो काम बनते है वह अपना भवन। क्षैत्र मे समस्या है उसका निराकरण कौन करेगा बहार से आकार कोई करने वाला है क्या कर नही सकता। कुछ लोग जिनके मन मे करूणा है वे प्रयाश भी करते है लेकिन समस्या का निराकरण नही हो सकता समस्या का निराकरण तब ही हो सकता जब जिसकी समस्या है वह खुद उसका निराकरण करे। यह तब होता है जब व्यक्ति के मन मे यह इच्छा हो की वह समस्या का समधान खुद करेगे वह इस प्रकार की समस्या मे नही जियेगा ऐसी इच्छा जब व्यक्ति के मन मे होती है तो फिर बहार का कोई व्यक्ति मदद करे या ना करे भगवान उसकी मदद जरूर करता है क्योकि प्रत्यके मनुष्य के अंदर भगवान है ऐसा मानने वाले हम लोग है। यह परम्परा हमारे देश की है दुनिया मे और कही ऐसा नही है। अंदर से जब व्यक्ति सोचता है तो भगवान भी आर्शिवाद देता है। व्यक्ति जब एक कदम चलता है तो भगवान दस कदम चलता है। समाज का वास्तविक मे भला तब ही होगा जब समाज खुद सोचेगा की अपना भला होना चाहिए इसके लिए कोई बहार से आयेगा उसके आर्शीवाद से काम होगा ऐसा नही है। हमारा भविष्य अपने हाथो मे है। और भगवान ने मनुष्य को इसी लिए बनाया है हमारे साधु महात्म कहते कि ईश्वर भी खेल खेलता है अपने एक अंश को मनुष्य बना कर भेजा है और कहता है जा मैने तुझे सब दिया अब तू नर से नारायण बन जा।
       परम पूज्य ने कहा की पहले यहां छोटा सा भवन था अब बडा भवन बन गया तो काम भी बडे पैमाने पर करना ही चाहिए। कार्यालय बन गया यानि कार्य का लय नही हो जाय बल्कि कार्य  मे लय आ जानी चाहिए । समाज  की विभिन्न आशाओ की पूर्ति का केन्द्र यह भवन बनना चाहिए इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य को एक भरोसा मिलता है। इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य अपने भाग्य को बनाने के लिए पुरूषार्थ की प्रवृति को अपना लेता है। ओर किसी दुसरे का मुहॅ ताकने मे विश्वास नही रखता ऐसा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कर रहा है। उन्होने दत्ताजी उननगांवकर के बारे मे बताते हुए कहा की वे जिनके नाम से यह ट्रस्ट है वे भी संघ के ही प्रचारक थे। हमेशा सबकी चिंता करना अपने लिए कुछ नही इस लिए उन्हे अंतिम दिनो मे यह काम दिया गया की जो सबकुछ छोड कर आये आये है प्रचारक उनकी चिंता कौन करेगे तो उसके लिए दत्ताजी को प्रचारक प्रमुख का बनया गया ताकी वे सबकी चिंता कर सके। जिस प्रकार से भवन बनाने मे सभी का सहयोग मिला वैसे ही इस भवन से काम हो उसमे सभी का सहयोग मिलना चाहिए मात्र भवन बनाने से काम नही पूर्ण हो जाता बल्कि वास्वत मे भवन बनाने के बाद काम प्रारभ होता है और तब तक करते रहना है जब तक कार्य पूर्ण नही हो जाता।
चलती रही आजादी की लडाई
झाबुआ जिले मे समस्या के मामले मे भी आगे है भारत की परम्परा मे झाबुआ जिले को गौरव प्राप्त है यहां पर आजादी की लडाई हमेशा चलती रही है कभी थमी नही। कभी तात्य टोपे का संचार हुआ तो कभी राजस्थान मध्यप्रदेश ओर गुजारत के अंचल मे इन सब लोगो का  संचार हुआ स्वधर्म ओर स्वदेश की ज्योति जागती रखने के लिए। और इसे जाग्रत रखने की आवश्यकता हमेशा रहती है। लेकिन मनुष्य सच्चे अर्थो मे स्वतंत्र  तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता है। तब उसकी सारी समस्याओ का निराकरण भी होता है दुसरा कोई आकर समस्या सुलझाय तो वह जो समधान देता है उसी मे हमको चलना होता है और वह हमको अच्छा लगेगा नही। मनुष्य मात्र की सच्ची स्वतंत्रा स्वधर्म मे ही है। धर्म का कोई नाम नही होता धर्म एक ऐसी वस्तु है जब सब पर लागे होती है। मिट्टी के एक कण से लेकर दुनियां मे अगर सबसे बडा आदमी है तो उस पर भी। बिना धर्म के कुछ नही हो सकता और हम जो धर्म मानते है वह सारी दुनियां कै जिसे कभी हम प्रेम तो कभी करूणा तो कभी किसी और नाम से जानते है ओर इसे एक नाम देने की आवश्यता पडती है ओर वह है हिन्दु धर्म ओर हम हिन्दु धर्म को मानते है। और हम हिन्दु धर्म के अनुयायी है । 

हिन्दु धर्म वैश्वीक कैसे बना तो उसका कारण स्वदेश है यह भारत भूमी ऐसी है जो सबकुछ देती है और इतना देती है कि हमे उसे बाटना पडता है। और इसी कारण हम ने चाहा की भाषा  अलग है पूजा अलग है लेकिन हमे इस भूमि  से इतना मिल रहा की हम सब मिल कर रहे एक दुसरे की पूजा को बदलने का प्रयाश मत करो सब मिल जुल कर रहो ओर विश्व का भला करो। उपभोग करना तो व्यक्ति तब चहाता है जब कम हो लेकिन जब व्यक्ति को भरपूर से ज्यादा मिलता है तो वह दुसरो की मदद करने की सोचता है। हमरा यह स्वभाव इस भूमि ने बनाया इस देश ने बनाया इस लिए देश की रक्षा ही धर्म की रक्षा है और जब हमे यह सब सोच कर संगठित होगे सामर्थवान होगे तो किसी भी समस्या हमारे समाने नही ठिक पायेगी।

 पूरम पूज्य सरसंघचालक जी की मुख्य द्वारा पर अगवानी प्रांत प्रचारक परगाजी अभ्यंकर, क्षैत्र संघचालक आशोक  जी सोहनी, जिला, विभाग संघचालक  जवहारजी जैन, जिला संघचालक मुकुट जी चैहान ने की आदिवासी नृतक दल की प्रस्तुती के साथ मंच तक लाया गया जहां पर आदिवासी परम्परा के अनुसार आदिवासी प्रतिक चिन्होे से जिला कार्यवाह रूस्माल चरपोटा ने स्वागत किया।
आदिवासी नृत्य दल की प्रस्तुती पर हुए अभिभूत
अलिराजपुर जिले से आये आदिवासी नृत्य दल की आकर्षक प्रस्तुतीयो देख कर परमपूज्य संघचालक जी काफी अभीभूत हुए एंव उनके साथ फोटो भी खिचवाया।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित