परिवार प्रबोधन कर नई पीढ़ी को संस्कारित करें संत-- मोहनराव भागवत
संतो के संग परम पूजनीय सरसंघचालक जी |
समागम में उपस्थित संत गण |
जयपुर, 24 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने संत समाज का आह्वान किया है कि वे मंदिर, श्मशान और पानी के नाम पर भेदभाव को समाप्त करने में योगदान देकर हिन्दू समाज में समरसता लाने का कार्य करें। वे मंगलवार को हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित संत समागम को संबोधित कर रहे थे।
परम पूजनीय सरसंघचालक जी |
उन्होंने संतों का आह्वान करते हुए कहा कि हिंदू समाज को जाग्रत करने में संत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। संत परिवारों को अपने बालक-बालिकाओं को सुसंस्कार देने, राष्ट्रीय विचारों वाला साहित्य पढ़ने और उस पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करें। अच्छे संस्कार मिलने से लव जिहाद, धर्मान्तरण जैसी समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी।
उन्होंने संतों से आग्रह किया कि वे सामाजिक समरसता के लिए काम करते हुए लोगों को हिंदू समाज से दूर करने के षड़्यंत्र को सफल नहीं होने दें और हिंदू समाज अपना दरवाजा खुला रखे। उन्होंने कहा कि विश्वकल्याणकारी भारत के संकल्प को लेकर हिंदू समाज को कार्य करना चाहिए।
इससे पहले, डॉ. भागवत ने संत समागम के उद्घाटन सत्र में कहा कि आत्म विस्मृति और आत्महीनता की स्थिति से हिंदू समाज को दूर करने के लिए अपने संस्कारों और मूल्यों को हृदय में पुनर्जीवित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा देश संतों की वाणी को परंपरा से ही सत्य मानने वाला देश है। संत अपनी तपस्या की शक्ति से हिंदू समाज को एकत्रित कर उसे जाग्रत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज जागरण के लिए संत समाज जो भी कार्य करता है, उसका बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आता है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की दुर्बलता एवं निद्रा के कारण देश में ऐसे लोग आगे बढ़ रहे हैं, जिन्हें देश, समाज व संस्कृति की अनुभूति नहीं है।
संत समागम के अंतर्गत दिन भर चले विभिन्न सत्रों में कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, धर्म जागरण और व्यसन मुक्ति के माध्यम से हिंदू समाज की कुरीतियों को दूर कर भारत को विश्वगुरु एवं परम वैभव के शिखर पर ले जाने के मार्ग पर चिंतन-विमर्श किया गया।
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