माननीय सरकार्यवाह जी द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा १३ मार्च २०१५
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
१३ मार्च २०१५
परमपूजनीय सरसंघचालक जी,
अखिल भारतीय
पदाधिकारी गण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सभी
सदस्यगण, क्षेत्रों एवम् प्रान्तों के मान्यवर
संघचालक तथा कार्यवाह बंधुगण, नवनिर्वाचित अखिल भारतीय प्रतिनिधि
बंधु तथा सामाजिक जीवन के विविध कार्यों में कार्यरत निमंत्रित बहनों तथा
भाइयों का नागपुर के इस पावन परिसर में संपन्न हो रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि
सभा में हृदय से स्वागत है। संभव है कि आप में से कुछ बंधुओं का इस सभा में
सम्मिलित होने का यह पहला ही अवसर होगा।
श्रद्धांजलि:-
वर्षों तक जिनका सान्निध्य तथा मार्गदर्शन हमें प्राप्त
होता रहा तथा सामाजिक, राजनीतिक, जन प्रबोधन एवं जन जागरण के क्षेत्र में अपने सामर्थ्य
से जिन्होंने जन-जन में अपना स्थान बनाया था,
ऐसे कुछ
महानुभाव विगत कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद हमसे बिछुड़ गये हैं। उनका स्मरण
होना स्वाभाविक है।
संघ समर्पित और स्वयंसेवकों के लिए जिनका जीवन आदर्श
रहा ऐसे दक्षिण मध्य क्षेत्र के मा. संघचालक श्री टी. व्ही. देशमुख जी कर्क
रोग से संघर्ष करते-करते हमें छोड़ कर चले गये। गुजरात में जिनका प्रदीर्घ
प्रचारक जीवन रहा ऐसे श्री जीतुभाई संघवी अकस्मात अपनी जीवनयात्रा समाप्त कर
गये। वनवासी कल्याण आश्रम में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने वाले विशेषतः
पूर्व एवं उत्तर पूर्व क्षेत्रों में कार्य को सशक्त आधार प्रदान करने वाले
डॉ. रामगोपाल जी कर्क रोग से जूझते हुए स्वर्गलोक की यात्रा पर गमन कर गये।
बिहार प्रांत में संघ कार्य के विस्तार में जिनकी अहम् भूमिका रही एवं पश्चात्
पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री रहे ऐसे श्री
नरेन्द्रसिंह जी आज हमारे मध्य नहीं है। जयपुर महानगर में दायित्व निर्वहन
करने वाले प्रचारक श्री तरुणकुमार जी रेल दुर्घटना में स्वर्गगमन कर गये।
कर्नाटक प्रांत से प्रचारक जीवन का प्रारंभ करने वाले एवं विश्व हिंदु परिषद्
में विभिन्न दायित्वों को निभाने वाले वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीधर आचार्य भी
हमारे बीच अब नहीं रहे।
कोलकाता के माननीय संघचालक श्री विश्वनाथ जी मुखर्जी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष
श्रीमान यतींद्र जी तिवारी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के
भूतपूर्व महामंत्री तथा तेलगु साहित्य और पत्रकारिता क्षेत्र में जाने माने
भाग्यनगर के श्री पी. व्यंकटेश्वरलु,
पद्मविभूषण
से सम्मानित इसरो के भूतपूर्व प्रमुख,
स्वनामधन्य
श्री बसंतराव गोवारीकर जी, बड़ोदरा के राजपरिवार की सदस्या
श्रीमती मृणालिनीदेवी, यह सभी महानुभाव परलोक की यात्रा पर
प्रस्थान कर गये।
चित्रपट सृष्टि के जाने-माने कलाकार मुंबई के श्री
सदाशिव अमरापुरकर, महाभारत धारावाहिका के दिग्दर्शक
श्री रवी चैपड़ा जी, हास्य अभिनेता श्री देवेन वर्मा, सिने जगत के ही गुजरात के श्री उपेन्द्र त्रिवेदी जी और
भाग्यनगर के ‘चक्री’
उपनाम से
प्रख्यात श्री जी. चक्रधर जी, इन्हें हम पुनः कभी देख नहीं
पायेंगे।
व्यंगचित्र के क्षेत्र में प्रतिभा संपन्न, वर्षों तक ‘‘सामान्य मनुष्य’’ के रुप में हमारी स्मृति में रहेंगे ऐसे श्री आर. के.
लक्ष्मण जी, न्याय के क्षेत्र में जिनकी
प्रतिबद्धता और प्रखरता से सारा देश परिचित रहा ऐसे न्यायमूर्ति श्री वी. आर.
कृष्ण अय्यर जी, प्रख्यात स्तंभलेखक एवं कार्टूनिस्ट
दिल्ली के श्री राजींदर पुरी, जाने माने पत्रकार तथा पायोनिअर एवं
आऊटलुक के संस्थापक संपादक श्री विनोद जी मेहता तथा योजना आयोग के सदस्य के
नाते रहे ऐसे श्री रजनी कोठारी जी की अनुपस्थिति सदा ही वेदना देती रहेंगी।
मेघालय के स्वधर्म जागरण संगठन ‘सेंगखासी’
में जिनकी
प्रभावी भूमिका रही ऐसे एम्. एफ. ब्लो. (M.
F. Blow), वैसे ही मेघालय के ही ‘पनार’
जनजाति में ‘‘दोलोय’’ (धार्मिक एवं प्रशासनिक प्रमुख) थे
ऐसे श्री के. सी. रिम्बाय (K. C.
Rymbai) जो ‘स्वधर्म’
पालन का
विचार दृढ़ता के साथ रखते थे ऐसे दोनों महानुभाव अंतिम यात्रा पर प्रस्थान कर
गये।
बंग्लादेश में जिनका वास्तव्य रहा और हिन्दु समाज जिनके
मार्गदर्शन से लाभान्वित होता रहा ऐसे पू. महामण्डलेश्वर स्वामी प्रियव्रत
ब्रम्हचारी जी तथा तेवक्केमठम् के पूज्य मठाधिपति शंकरानंद ब्रम्हानंदभूति
मूप्पिल स्वामीयार जी का पार्थिव शरीर शांत हो गया।
गोरखाभूमि हेतु आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बंगाल के
श्री सुभाष घीसिंग, मुंबई से सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री
रहे श्री मुरली देवरा जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे श्री
अब्दुल रहमान अंतुले जी, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री, युवा नेता श्री आर. आर. पाटील जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मास्टर हुकुमसिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापककेरल के श्री
एम्. पी. राघवन् तथा साम्यवादी विचारों के प्रखर पुरस्कर्ता श्री गोविंद
पानसरे जी राजनीतिक क्षेत्र में प्रभावी भूमिका निर्वहन करते हुए काल प्रवाह
में ओझल हो गये।
विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में एवं आतंकवादियों के हाथों
अपने प्राण गंवाने वाले सामान्य-जन तथा देश की सुरक्षा हेतु अपना जीवन समर्पित
करने वाले सेना तथा सुरक्षाबलों के वीर जवान आदि सभी को हम इस अवसर पर स्मरण
करते हैं।
इन सभी दिवंगत बंधु-भगिनियों के परिवार जनों के प्रति
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपनी शोक संवेदना प्रकट करती है तथा इन दिवंगत
आत्माओं को हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
कार्यस्थिति:-
2012 में नागपुर में संपन्न अखिल भारतीय
प्रतिनिधि सभा में हमने कार्य विस्तार पर चिंतन करते हुए निश्चित योजना पर
कार्य करना प्रारंभ किया था। तीन वर्षों के सतत प्रयासों के संतोषजनक परिणाम
सामने आये हैं। 2012 की तुलना में वर्तमान में 5161 स्थान और 10413 शाखाओं की वृद्धि हुई है। वैसे ही
साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली की संख्या में भी वृद्धि हुई है। संकलित वृत्त
के अनुसार इस समय 33222 स्थानों पर 51330 शाखाएँ,
12847 साप्ताहिक
मिलन और 9008 संघ मंडली हैं। इसमें तरुण
विद्यार्थिओं की 6077 शाखाएँ है। कुल मिलाकर 55,010 स्थानों तक हम पहुँच गए हैं।
गत मार्च के पश्चात संपन्न संघ शिक्षा वर्गों में प्रथम
वर्ष सामान्य एवं विशेष के 59 वर्गों में 9609 स्थानों से 15332 शिक्षार्थी, द्वितीय वर्ष सामान्य एवं विशेष के 16 वर्गों में 2902 स्थानों से 3531 शिक्षार्थी सहभागी हुए। तृतीय वर्ष के वर्ग में 657 स्थानों से 709 संख्या रही। इसी कालखंड में विभिन्न
प्रान्तों में संपन्न प्राथमिक वर्गों में भी ग्रामों का प्रतिनिधित्व एवं
शिक्षार्थियों की संख्या भी अच्छी रही है। कुल मिलाकर 23812 शाखाओं से 80409 संख्या रही।
परम पूजनीय सरसंघचालक जी का 2014-15 का प्रवास:-
क्षेत्रश: प्रवास में संगठनात्मक बैठकों के साथ-साथ
विशेष कार्यक्रमों में उपस्थिति और विशेष संपर्क की योजना बनी थी। देवगिरी
प्रान्त का विशाल एकत्रीकरण और इम्फाल में संपन्न शीत सम्मेलन, दोनों ही कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं का सघन प्रयास
और समाज का सहभाग अत्यंत प्रेरक रहा। ब्रज एवं उत्तराखंड के महाविद्यालयीन
छात्र शिविर, नियोजन और उपस्थिति की दृष्टि से
प्रभावी रहे।
कुछ स्थानों पर आयोजित वार्तालाप कार्यक्रमों में
प्रसार माध्यमों के प्रमुख व्यक्ति,
शिक्षाविद्, न्यायाधीश,
शासकीय
अधिकारी, संत,
साहित्यकार
आदि महानुभावों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।
विशेष संपर्क के क्रम में मंगलयान योजना के प्रमुख श्री
मन्नादुरै, नोबल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश
सत्यार्थी, आचार्य महाश्रमण जी, भंते राहुलबोधि जी,
स्वामी
दयानंद सरस्वती जी, पुरी के महाराजा श्री गजपती जी आदि
महानुभावों से मिलना हुआ।
मा. सरकार्यवाह जी का प्रवास:- वर्ष 2014-15 की प्रवास योजना में अन्यान्य संगठनात्मक बैठकों के
साथ ही एक विशेष बैठक का आयोजन सभी स्थानों पर किया गया। कार्य विस्तार के
नाते अधिकाधिक ग्रामों तक कार्य खड़ा हो इस दृष्टि से जिले के मुख्य मार्ग पर
आने वाले ग्रामों तक संपर्क करने की योजना बनाई गयी। ऐसे सभी ग्रामों से चयनित
व्यक्तियों को निमंत्रित किया गया।
प्रवास के दौरान 11 क्षेत्रों में ऐसी 15 बैठकों का आयोजन किया गया जिसमें 34 जिलों के 1522 ग्रामों से 2919 लोग उपस्थित रहे। सभी बैठकों में आगामी कालखंड में
कैसी रचना हो इस पर विचार हुआ। बैठकों में नए संपर्क में आए व्यक्तियों का
प्रतिशत लगभग 40 रहा। अनुकूल वातावरण का प्रत्यक्ष
अनुभव प्राप्त हुआ। समग्रता से नियोजन होगा तो अच्छे परिणाम आऐंगे।
कुछ क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों के प्रमुख
कार्यकर्ताओं की बैठकें हुई। विशेषतः धर्मजागरण समन्वय विभाग का कार्य
सुनियोजित पद्धति से बढ़ रहा है ऐसा कह सकते हैं।
कार्यकर्ता विकास वर्ग:- कार्यकर्ताओं की क्षमता विकास
की दृष्टि से ‘‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’’ का विचार किया गया है। जिला-विभाग स्तर का दायित्व
निर्वहन करने वाले अधिक सक्षम हों यह विचार करते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया
गया। यह वर्ग क्षेत्रश: हो रहे हैं। वर्ष 2014-15 में मध्य-क्षेत्र और उत्तर-पश्चिम
क्षेत्रों के वर्ग संपन्न हुए। अनुभव अच्छा रहा। प्रतिवर्ष क्षेत्रश: वर्ग
होने वाले हैं।
कार्य विभाग वृत्त:-
(1) शारीरिक विभाग:- गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्रहार महायज्ञ में सभी
बिंदुओं में - जैसे सहभागी शाखाएँ,
स्वयंसेवक, कुल प्रहार,
1,000 से अधिक
प्रहार लगाने वालों की संख्या आदि - अच्छी वृद्धि हुई है। पचास प्रतिशत से
अधिक शाखाओं के 3 लाख 27 हजार स्वयंसेवकों का सहभाग जिसमें 90 प्रतिशत स्वयंसेवक 45 वर्ष से कम आयु के थे। कुल 15 करोड़ 80 लाख प्रहार लगाये गये जो इस
कार्यक्रम की उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं।
इस वर्ष उज्जैन में बालों के लिए मलखंब का विशेष
प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया जिसमें 26 प्रातों से 54 बाल एवं किशोर स्वयंसेवक सहभागी हुए।
घोष प्रमुखों की बैठक में 34 प्रांतों का प्रतिनिधित्व रहा। आसन-योग विषय का वर्ग
भी संपन्न हुआ जिसमें 38 प्रांतों से 101 स्वयंसेवक सम्मिलित हुए।
(2) बौध्दिक विभाग:- इस वर्ष बौद्धिक विभाग द्वारा भोपाल में एक विशेष ‘अखिल भारतीय बौद्धिक अभ्यास वर्ग’ का आयोजन हुआ। इस वर्ग में (1) हिन्दुत्व - हिन्दु-राष्ट्र, (2) सामाजिक समरसता,
(3) विकास की
अवधारणा, (4) जैन,
बौद्ध, सिक्ख धर्मों का सार,
(5) मातृशक्ति
इन पाँच विषयों की प्रमुख अधिकारियों द्वारा प्रस्तुति के बाद गटश: गहन चर्चा
की गई। परम पूजनीय सरसंघचालक जी द्वारा प्रश्नोत्तर व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
इस वर्ग में कुल 194 उपस्थिति रही।
इस वर्ष सभी शाखाओं में राष्ट्रीय, स्वयंसेवक,
संघ इन तीन
शब्दों पर व्यापक रूप से चर्चा की गई। परम पूजनीय डॉक्टर जी के जीवन पर दो
बौद्धिक वर्गों की योजना भी सभी शाखाओं के लिये की गई थी। लगभग सभी प्रान्तों
में इस विषय पर बौद्धिक देने वाले वक्ताओं की तैयारी के लिये कार्यकर्ताओं की
कार्यशालाएँ भी आयोजित की गईं।
(3) प्रचार विभाग:- नारद जयंती के उपलक्ष्य में पत्रकार सम्मान तथा
प्रबोधन के वार्षिक कार्यक्रमों की शृंखला में 118 स्थानों पर कार्यक्रम संपन्न हुए
जिसमें 3,401 पत्रकार एवम् अन्य नागरिक उपस्थित
रहे। कुल मिलाकर 355 स्तंभ लेखक संपर्क में आये हैं।
कम्युनिटी रेडिओ चलाना एवं दूरदर्शन पर पैनल चर्चा के प्रशिक्षण वर्ग भी
संपन्न हुए। परिणामस्वरुप 217 कार्यकर्ता विविध भाषाओं के 68 टेलिव्हिजन केद्रों पर आयोजित चर्चा सत्रों में नियमित
जाने लगे हैं। पुणे और कोलकाता में पत्रकारों के लिए ‘संघ परिचय वर्ग’
का विशेष
उपक्रम का आयोजन हुआ। इन वर्गों में महिला पत्रकारों समेत अच्छी संख्या में
पत्रकारों ने सहभागी होकर संघ के बारे में जानने का प्रयास किया। जागरण
पत्रिका के माध्यम से 2 लाख 27 हजार ग्रामों से संपर्क स्थापित हुआ
है। इस वर्ष देशभर में प्रमुख 912 स्थानों पर 12,652 स्वयंसेवकों द्वारा साहित्य बिक्री के कार्यक्रम
आयोजित किये गये।
प्रान्तों में संपन्न विशेष कार्यक्रम:-
1. ऐतिहासिक पथसंचलन - तमिलनाडु:- इस वर्ष राजा राजेंद्र चोल के सिंहासनारोहण
को 1000 वर्ष पूर्ण हुए। इस निमित्त विभिन्न
कार्यक्रमों का आयोजन स्थान-स्थान पर हो रहा था। तमिलनाडु के कार्यकर्ताओं ने 9 नवंबर 2014 को सभी जिला केन्द्रों में पथसंचलन
निकालने की योजना बनाई। राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन ने अनुमति देने से
इंकार कर दिया। मामला न्यायालय में पहुँचा। न्यायालय ने संघ के पक्ष में
निर्णय देते हुए पथसंचलन पर रोक लगाना ठीक नहीं ऐसा कहा, परंतु प्रशासन का दुराग्रह बना रहा। संघ ने न्यायालयीन
निर्णय एवं अपनी योजना के अनुसार संचलन निकाले। सभी जिला केन्द्रों में संचलन
में नागरिक, महिला एवं पुरुष भी सम्मिलित हुए। 35,000 बंधु-भगिनियों की गिरफ्तारियाँ हुई। एक अभूतपूर्व
शक्ति का दर्शन हुआ है।
विधि सम्मत ढंग से कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ को ब्रिटिशकाल के किसी कानून की धारा के अंतर्गत गणवेश में संचलन करने की
अनुमति न देना तमिलनाडु सरकार की तानाशाही का ही परिचायक था। प्रशासन के इस
व्यवहार को लेकर न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज किया गया है।
2. ‘समर्थ भारत’ - कर्नाटक दक्षिण:- कर्नाटक दक्षिण
प्रांत ने एक अभिनव प्रयोग किया। बंगलुरु में ‘समर्थ भारत’ इस संकल्पना से दो दिवसीय चर्चा सत्र का आयोजन किया
गया।
युवाशक्ति,
जो देश और
समाज के लिए कुछ करना चाहती है,
उन्हें
चर्चा तथा विचार-विमर्श हेतु मंच उपलब्ध हो इस दृष्टि से ही यह आयोजन किया गया
था। सोशल मीडिया द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण हेतु आह्नान किया गया। परिणामतः
कर्नाटक दक्षिण प्रांत से 3,852 युवक इस दो दिवसीय शिविर में सहभागी
हुए। कार्यक्रमों का स्वरूप गटश: चर्चा का था। 48 प्रकार के विषय चर्चा हेतु तय किये
गये थे। सामाजिक क्षेत्र के अनुभवी तथा विशेषज्ञ महानुभावों के साथ चर्चा का
अवसर सहभागी बंधुओं को मिला। शिविर स्थान पर एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई थी
जिसके द्वारा विविध सेवाकार्य और विभिन्न चुनौतियों की जानकारी दी गयी।
ग्राम विकास,
सेवा-बस्ती
के कार्य, जलसंवर्धन, स्वयंसेवी कार्य,
महिला
समस्या, शैक्षिक प्रयोग, पर्यावरण,
वैचारिक
आंदोलन, मतिमंद एवं विकलांग समस्याएँ आदि
विषयों पर करणीय बातों की चर्चा हुई।
इस समग्र आयोजन की संकल्पना को इन शब्दों में वर्णित
किया जा सकता है - ‘‘समूह हेतु संकल्पना’’ और ‘‘संकल्पना हेतु समूह’’ ( Theme for
team and Team for theme)। परिणामतः 77 युवकों ने एक वर्ष देश के लिए कार्य करने की सिद्धता
प्रकट की।
इस कार्यक्रम से ध्यान में आता है कि युवा वर्ग परिश्रम, समय, शक्ति और अपनी बुद्धिमत्ता समाज हेतु
अर्पण करने के लिए तैयार है। आवश्यकता है नियोजन और मार्गदर्शन की। कर्नाटक
दक्षिण प्रांत का यह प्रयोग अनुकरणीय है।
3. साप्ताहिक मिलन द्वारा सामाजिक समरसता हेतु प्रयास, कोंकण:- कोंकण प्रान्त में रत्नागिरी जिले के दापोली
तहसील का ग्राम आसोंदा। हमेशा पेयजल की समस्या से जूझने वाला यह ग्राम। सभी
ग्रामवासियों ने सामूहिक प्रयासों से समस्या निवारण हेतु योजना बनाई। इस हेतु
सभी परिवारों से निधि संकलन किया गया। ध्यान में आया कि ग्राम में सोलह
परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है। ग्राम में व्यवसायी स्वयंसेवकों का
साप्ताहिक मिलन प्रायः डेढ़ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। सभी स्वयंसेवकों ने
बस्ती तथा समुदायश: चर्चा करते हुए सामाजिक समरसता की दिशा में प्रयास प्रारम्भ
किया। ग्राम-सभा में इस गंभीर समस्या पर चर्चा हुई। बहिष्कृत सोलह परिवारों को
जनजागरण के द्वारा समाज के साथ ससम्मान जोड़ने के प्रयास प्रारम्भ हुआ। लगभग
चार महीनों के निरंतर प्रयासों से वातावरण सकारात्मक बनता चला गया। परिणामतः
बस्ती वालों ने ही ग्राम प्रमुख को पत्र लिखकर समस्या सुलझाये जाने की जानकारी
दी। आज सारे परिवार मिलजुल कर रहते हैं। समाज ने स्वयंसेवकों के प्रयासों की
सराहना की।
4. ‘महासंगम’ - देवगिरी प्रान्त:- कार्यविस्तार की
कल्पना को सामने रखते हुए देवगिरी प्रान्त ने ‘महासंगम’ का आयोजन दिनांक 11 जनवरी 2015 को किया था। एक वर्ष के शृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की
रचना करते हुए व्यापक संपर्क के द्वारा मंडल इकाइयों तक पहुँचने का प्रयास
रहा। प्रान्त के सभी 123 खण्डों में खण्डश: बैठकों का आयोजन
किया गया। कार्यक्रम के पूर्व लगभग तीन मास पूर्व पंजीकरण रोका गया। तब तक 60,000 का पंजीकरण हो चुका था। कार्यक्रम में 1,223 मंडलों से,
686 बस्तियों
से, 3,196 स्थानों से 42,870 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। महासंगम में लगभग 25,000 नागरिक महिला,
पुरुषों की
उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।
महासंगम में 60 प्रतिशत उपस्थिति पंद्रह से चालीस
आयु वर्ग की थी। भोजन व्यवस्था की दृष्टि से 20,000 हजार परिवारों से ढाई लाख रोटियाँ
संकलित की गई थीं। यह आयोजन प्रान्त में कार्यविस्तार की दृष्टि से अत्यंत
परिणामकारक रहा। शाखा, मिलन तथा मंडली की संख्या में अच्छी
वृद्धि हुई है।
5. कार्यकर्ता शिविर, गुजरात:- तीन वर्ष पूर्व इस प्रकार के शिविर का विचार किया
गया था। तेरह वर्ष से अधिक आयु के स्वयंसेवक,
जो शाखा
टोली से लेकर ऊपर तक के दायित्व का निर्वहन कर रहे हों, ऐसे ही स्वयंसेवकों को शिविर में शामिल करने का निश्चय
किया गया था। यथासमय पंजीकरण प्रक्रिया प्रारंभ हुई और शिविर से तीन मास पूर्व
पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण हुई। सभी जिलों एवं तहसीलों से प्रतिनिधित्व रहा। कुल
1,084 मंडलों के 2,165 स्थानों से,
4 महानगरों
की 786 बस्तियों से और अन्य नगरों की 819 बस्तियों से 14,370 उपस्थिति रही। 79 प्रतिशत स्वयंसेवक 40 वर्ष से कम आयु वर्ग के थे।
प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी। नगर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र
एवं अन्य नागरिक अच्छी संख्या में प्रदर्शनी देखने शिविर स्थान पर आये थे।
शिविर में मातृशक्ति, अध्यापक वर्ग और संत ऐसे तीन
सम्मेलनों का भी आयोजन किया था। समापन समारोह में द्वारका शारदा पीठ के प.पू.
दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
6. राष्ट्र साधना सम्मेलन, यवतमाल - विदर्भ:- ग्यारह जनवरी को विदर्भ प्रान्त के यवतमाल
विभाग ने ‘राष्ट्र साधना सम्मेलन’ का आयोजन किया था। कार्यविस्तार एवं दृढ़ीकरण की दृष्टि
से किया गया यह आयोजन अपेक्षाकृत सफल रहा।
पूर्व तैयारी के नाते से तीन से सात दिन तक तहसील, जिला और विभाग स्तर के कार्यकर्ता विस्तारक के नाते
स्थान-स्थान पर गए। बारह कार्यकर्ता एक से डेढ़ माह तक विस्तारक के नाते
निकले। परिणामतः सभी चौबीस तहसीलों से,
नगर की सभी
चौबीस बस्तियों से, 261 में से 206 मंडलों के 469 ग्रामों से 5,767 स्वयंसेवक इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।
शारीरिक कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा। परिसर के गणमान्य
नागरिकों तथा जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। संपूर्ण
कार्यक्रम में पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया गया।
प्रकट कार्यक्रम से पूर्व तीन स्थानों से पथ संचलन निकला। स्वागत समिति के
माध्यम से अनेक गणमान्य नागरिकों का सहभाग अच्छा रहा। अनुवर्तन की योजना भी
बनी है।
7. महाविद्यालयीन कार्य, मालवा:- प्रांत में इस कार्य हेतु वार्षिक योजना बनाई गयी।
उत्सव, संचलन इ. कार्यक्रम महाविद्यालयीन
छात्र केन्द्रित हुए। इस वर्ष शीत शिविर में 1238 महाविद्यालयीन स्वयंसेवक उपस्थित
रहे। ‘‘परिवर्तन का वाहक - प्राध्यापक’’ इस विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
इसमें 184 प्राध्यापक उपस्थित थे। चिकित्सा
क्षेत्र के छात्रों हेतु ‘‘संघ परिचय’’ वर्ग संपन्न हुआ जिसमें 12 महाविद्यालयों के 126 छात्र उपस्थित रहे।
8. महाकौशल प्रान्त:- महाकौशल प्रान्त के तीन कायक्रमों
का वृत्त भी उत्साहवर्धक है।
(1) व्यापक संपर्क योजना - नगरीय क्षेत्रों में सभी बस्तियों
में कार्य बढ़े इस दृष्टि से एक संपर्क योजना बनाई गई। एक से सात अक्तूबर इस
कालखंड में प्रान्त के सभी 157 नगरों की 1,107 बस्तियों में परिवार संपर्क हेतु गटनायक तय किये गए।
कुल 7,254 स्वयंसेवकों के द्वारा 3,17,264 परिवारों से संपर्क हुआ। संघ कार्य की जानकारी के साथ
नित्योपयोगी स्वदेशी वस्तुओं की सूची भी घर-घर दी गयी। भविष्य में निश्चित ही
नये-नये उपक्रमों के द्वारा बस्तियों में कार्य प्रारंभ होगा।
(2) विस्तारक योजना - 1 से 15 दिसंबर इस कालखंड में अधिक से अधिक
स्वयंसेवक विस्तारक निकलें ऐसी योजना बनी थी। प्रान्त के 17 जिलों से 62 नगरों से, 288 शाखाओं से 7 दिन और उससे अधिक दिनों के लिए 839 विस्तारक निकले। परिणामतः 249 नये स्थानों पर शाखा प्रारम्भ हुई हैं। इस वर्ष
प्रान्त में संपन्न प्राथमिक शिक्षा वर्गों में 2,884 स्थानों से 6,111 शिक्षार्थी सम्मिलित हुए।
(3) स्वास्थ्य शिविर - सेवा विभाग द्वारा सेवाभारती के सहयोग से सात जिलों
में 17 स्वास्थ्य शिविर संपन्न हुए जिसमें 549 ग्रामों से लगभग 24,000 बंधु लाभान्वित हुए। शिविर में 143 विकलांग बंधुओं को साइकिल, 100 को श्रवण यंत्र,
249 को
व्हीलचेअर, 75 अंध बंधुओं को ‘सहारा छड़ी’
प्रदान की
गयी। 281 शाखा के 736 स्वयंसेवकों ने इन शिविरों में कार्य किया। इस माध्यम
से कई विशेषज्ञ चिकित्सक सेवाभारती से जुड़े हैं।
9. संघ परिचय वर्ग, हरियाणा:- हरियाणा प्रान्त में गत सत्र में 4723 कार्यकर्ताओं ने प्राथमिक संघ शिक्षा वर्गों में
प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसके फलस्वरुप शाखायुक्त मंडलों की संख्या में 30 प्रतिशत,
शाखायुक्त
बस्तियों की संख्या में 23 प्रतिशत, शाखा स्थानों में 34 प्रतिशत एवं कुल शाखाओं में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार नये बन्धु जो JOIN RSS के माध्यम से जुड़ने की इच्छा व्यक्त करते है उनके
लिये 5 घंटे का एक संघ परिचय कार्यक्रम ‘‘300 मिनिट संघ के निकट’’
14 दिसंबर 2014 को संपन्न हुआ। जिसमें 225 ऊर्जावान युवाओं की सहभागिता रही।
10. साहित्य दर्शन एवं पुस्तक प्रदर्शनी तथा पुस्तक मेला, जालंधर - पंजाब:- जनसामान्यों को अपने
धर्मग्रंथों से, अपने इतिहास के प्राचीन साहित्य से
तथा संघ साहित्य से अवगत कराने के उद्देश्य से सोलह से अठारह जनवरी इस मेले का
आयोजन किया गया था।
वेद-पुराण,
उपनिषद्, जैन ग्रंथ व गुरुग्रंथ साहब की प्रतियों (सैचियों) के
साथ महापुरुषों की जीवनियाँ, संघ साहित्य, सामाजिक विषयों पर उपन्यास आदि पुस्तकें बिक्री के लिये
उपलब्ध थीं। अनेक गणमान्य महानुभावों की मेले में उपस्थिति प्रेरक रही। उन्नीस
विद्यालयों व छह महाविद्यालयों के छात्र मेले में सहभागी हुए। 120 कार्यकर्ता मेले की सफलता हेतु कार्यरत थे। स्थानीय
प्रसार माध्यमों का सहयोग भी अच्छा रहा।
11. महाविद्यालयीन छात्र शिविर, उत्तराखंड:- पतंजलि योग पीठ के पावन परिसर में
उत्तराखंड प्रांत का महाविद्यालयीन छात्रों का शिविर संपन्न हुआ।
प.पू.सरसंघचालक जी का सान्निध्य शिविरार्थियों को प्राप्त हुआ। शिविर की पूर्व
तैयारी के नाते स्थान-स्थान पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण बैठकें तथा अखंड भारत
विषय पर सामूहिक गोष्ठियों का आयोजन किया गया। शिविर पूर्व पंजीकरण किया गया
जिसमें 4,703 छात्रों का पंजीकरण हुआ। शिविर में 4,875 महाविद्यालयीन छात्र,
105 विधि
स्नातक, 38 शोध छात्र, 93 वैद्यकीय और तकनीकी छात्र उपस्थित थे। 31 प्राध्यापक बंधु भी शिविर में सम्मिलित हुए।
प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में आयोजित बैठक में विविध विश्वविद्यालयों के 11 कुलपति उपस्थित थे।
समापन समारोह में पू. स्वामी रामदेव जी की उपस्थिति
विशेष उल्लेखनीय रही। समारोह में लगभग 5,300 नागरिक महिला, पुरुष उपस्थित थे। इस आयोजन के परिणामस्वरुप प्रान्त
में महाविद्यालयीन छात्रों की 98 शाखाएँ एवं 179 साप्ताहिक मिलन प्रारंभ हुए हैं।
12. विभागश: एकत्रीकरण, मेरठ प्रांत:- इस वर्ष प्रांत में विभागश: एकत्रीकरण की योजना बनाई
गई। इस कार्यक्रम हेतु 3,677 गटनायक बनाये गये और 87,116 स्वयंसेवकों का संपर्क हुआ। छह स्थानों पर हुए
एकत्रीकरण में 52,985 की उपस्थिति रही। कुल 3,500 ग्रामों का प्रतिनिधित्व हुआ।
13. युवा संकल्प शिविर, ब्रज प्रांत:- आगरा में दिनांक एक से तीन नवंबर ‘युवा संकल्प शिविर’
का आयोजन
किया गया। शिविर में सभी जिलों से 1,064 स्थानों से 3,817 शिविरार्थी सम्मिलित हुए। दस अध्यापकों और 153 शिक्षकों की भी उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त लगभग 1,000 स्वयंसेवक प्रबंधक के नाते आये थे। प.पू.सरसंघचालक जी
का सान्निध्य प्राप्त हुआ। बाबा श्री सत्यनारायण मौर्य द्वारा प्रस्तुत
नाट्य-गीत का मंचन, ओलंपिक पदक विजेता श्री राज्यवर्धन
सिंह राठौर व पटना के सुपर-30 के संचालक श्री आनंद कुमार, इनकी उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।
सामाजिक जीवन में सेवा जागरण की दृष्टि से कार्य करने
वाले बंधुओं के स्वागत-अभिनंदन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन’
के श्री
आशीष गौतम जी, दीनदयाल शोध संस्थान के श्री भरत
पाठक जी, वनवासी कल्याण आश्रम कन्या छात्रावास
रुद्रपुर की सुश्री वर्षा घरोटे,
गोपालक श्री
रमेश बाबा एवं ‘कल्यांण करोति’ के संचालक श्री सुनील शर्मा जी आदि युवा कार्यकर्ताओं
को सम्मानित किया गया।
14. उत्तर असम:- उत्तर असम
प्रांत में एक विशेष योजना के अनुसार सात दिन के 258 अल्पकालीन विस्तारक निकले जिसके कारण 188 शाखाओं की वृद्धि हुई।
15. विषेश कार्यक्रम, मणिपुर प्रान्त:- अपने प्रवास क्रम में प.पू.सरसंघचालक
जी का इस वर्ष मणिपुर जाना हुआ। वर्तमान एवं पूर्व प्रचारक बैठक, एकल विद्यालय के प्रशिक्षण केन्द्र का लोकार्पण, विविध कार्यों में कार्यरत पूर्णकालिक कार्यकर्ता एवं
क्षेत्र स्तरीय संगठन मंत्री बैठक आदि कार्यक्रम संपन्न हुए।
दि. 7 दिसंबर 2014 को प्रान्तीय शीत सम्मेलन संपन्न हुआ। समापन कार्यक्रम
की अध्यक्षता मणिपुर के महाराजा श्री लैसेंबा सनाचैबा ने की। सम्मेलन में 400 स्थानों से 7,000 नागरिक उपस्थित रहे। इस हेतु 685 गटनायक बनाये गए थे। संघ कार्य की दृष्टि से सम्मेलन
की सफलता समाज द्वारा अपने कार्य की स्वीकार्यता का परिचायक है। प्रवास में
इम्फाल के गणमान्य विशेष महानुभावों के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम भी सफल
रहा।
इस वर्ष कार्यविस्तार की दृष्टि से अल्पकालीन विस्तारक
योजना बनाई गई। जिसमें कुल 38 विस्तारक निकले। फलस्वरुप 38 शाखाओं की वृद्धि हुई है जिसमें 18 स्थान नये है।
राष्ट्रीय परिदृश्य:-
गत दिनों में विविध मंचों, संस्थाओं द्वारा संपन्न हुए कार्यक्रमों में हिन्दु
समाज का सहयोग एवं सहभागिता बहुत प्रेरक रही है।
चेन्नई में संपन्न ‘हिन्दु आध्यात्मिक एवं सेवा मेला’ (Hindu spiritual and service
fair) में सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं की
सहभागिता विशेष रही। लगभग सप्ताह भर चले इस आयोजन में विद्यालयों, महाविद्यालयों के छात्रों का अवलोकनार्थ आना और साथ ही
जनसामान्य का उत्साह अवर्णनीय रहा है। लगभग 8 लाख लोग इस कालखंड में कार्यक्रम
स्थल पर आये थे। 232 धार्मिक एवं जाति बिरादरी की
संस्थाओं ने अपने कार्य की जानकारी प्रस्तुत की। 11-12 प्रांतों से कार्यकर्ता आयोजन देखने आये थे। आयोजन का
स्वरूप बहुत ही प्रभावी, आकर्षक रहा है। आने वाले दिनों में
देश के अन्य प्रांतों में भी इस प्रकार के आयोजन हों ऐसी कल्पना है। सामाजिक, शैक्षणिक,
आध्यात्मिक
एवं सेवा के क्षेत्र में हिन्दु संस्थाओं की भूमिका प्रभावी है इस प्रकार का
विश्वास निर्माण होता है।
मालवा प्रांत के महेश्वर में नर्मदा तट पर
प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न ‘माँ नर्मदा हिन्दु संगम’ अपने आप में एक सफल आयोजन सिद्ध हुआ। ग्राम-ग्राम में
गठित ‘धर्म रक्षा समिति’ में ग्रामवासियों का सहभाग, कार्यक्रम पूर्व निकाली गई कलश यात्रा में माताओं का
सहभाग तथा ग्राम-ग्राम में लगभग 5 लाख परिवारों तक व्यापक संपर्क
अभूतपूर्व रहा। प्रत्यक्ष संगम में 1 लाख 35 हजार बंधुओं की और 150 से अधिक संत-वृंद की उपस्थिति हिन्दु विचार की
स्वीकार्यता का ही परिचायक है।
वैसे ही मध्यप्रदेश में नर्मदा तट पर संपन्न नदी उत्सव, उत्तराखंड का थारु वनवासी सम्मेलन इन कार्यक्रमों
द्वारा जागृत हुई चेतना का भी विशेष उल्लेख आवश्यक है।
राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रीय विचारों का प्रभाव:-
मई 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भारत
की जनता ने राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है और देश में स्थिर एवं
सुव्यवस्थित सरकार बनाने के पक्ष में मतदाताओं ने अपना मत व्यक्त किया है। यह
पहला अवसर है कि भारतीय चिंतन में प्रतिबद्धता रखकर चलने वाले राजनीतिक दल को
बहुमत से विजयी बनाकर समाज ने अपना विश्वास व्यक्त किया है। कई वर्षों के बाद
इस विचार से प्रेरित समूह आज ‘निर्णय-केन्द्र’ में स्थापित हुआ है। नीति निर्धारक, चिंतक एवं तज्ञों के सहयोग से संतुलित चिंतन करते हुए
कालसुसंगत योजनाएँ बनें एवं क्रियान्वित हों यह स्वाभाविक अपेक्षा है।
जनसामान्य की इच्छा आकांक्षाओं की पूर्ति के साथ ही देश
की सुरक्षा, स्वाभिमान, सार्वभौमत्व अबाधित रहे। भारतीय चिंतकों-मनीषियों
द्वारा समय-समय पर प्रस्तुत चिंतन और भारत की जीवनशैली एवं मूल्यों के प्रकाश
में विकास की अवधारणा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। ग्रामीण जनजीवन, संस्कृति,
अनुसूचित
जाति-जनजाति की आवश्यकताओं एवं भावनाओं को सर्वोपरि रखा जाय।
भारत का श्रेष्ठ चिंतन,
परंपराएँ, जीवनमूल्य तथा संस्कृति विश्व के लिये सदा मार्गदर्शक
रही है। वर्तमान सरकार भारत की अपनी विशेषताओं का विश्व-मंच पर प्रतिनिधित्व
करे यही देशवासियों की अपेक्षा है।
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के बाद
राज्य में नई सरकार बनी है किन्तु राज्य के मुख्यमंत्री श्री मुफ्ती मोहम्मद
सईद द्वारा आतंकवादियों, हुर्रियत कान्फ्रेंस तथा पाकिस्तान
को शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय देने वाला वक्तव्य सभी दृष्टि से अवांछनीय ही
कहा जायेगा। जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुए चुनावों का श्रेय
राज्य की शान्तिप्रिय जनता, राजनीतिक दल, सेना व सुरक्षाबलों,
वहाँ के
प्रशासनिक अधिकारियों तथा चुनाव आयोग को ही दिया जाना चाहिये।
विश्व की स्पर्धा में भारत की प्रतिष्ठा बढ़े और शाश्वत
विकास का उदाहरण प्रस्तुत करने वाला भारत कैसे विश्व के सम्मुख प्रस्तुत हो यह
वर्तमान की एक बड़ी चुनौती है। पड़ोसी देशों से मित्रता बढ़े यह क्षेत्र की
सुख शांति के लिये अनिवार्य है। पड़ोसी देशों से भी हम इसी प्रकार के
सकारात्मक सहयोग-संवाद की अपेक्षा रखते हैं। विश्वास ही परस्पर मित्रता का
आधार रहता है। विविध देशों में रह रहे भारत मूल के निवासी भी वर्तमान सरकार और
नेतृत्व की प्रभावी भूमिका से गर्व का अनुभव कर रहे हैं। अतः जन-जन की
अपेक्षाओं, भावनाओं एवं संवेदनाओं को समझते हुए
वे कार्य करें, देश यही अपेक्षा कर रहा है।
जनसामान्य सरकार की मर्यादाओं को भी समझते है।
स्वच्छता अभियान,
गंगा
सुरक्षा जैसे विषयों पर सरकार द्वारा हो रहे प्रयास निश्चित ही अभिनंदनीय हैं।
जनसहभागिता के द्वारा ही ऐसी समस्याओं के समाधान की दिशा में बढ़ा जा सकता है।
सही दिशा में चल रहे ऐसे सभी प्रयासों का सारा देश स्वागत कर रहा है।
अराष्ट्रीय शक्तियाँ व्यथित होकर अनावश्यक बातों को
चर्चा का मुद्दा बनाकर वातावरण दूषित करने का प्रयास करती रहती हैं। देशवासी
इस संदर्भ में सजग रहें। इस दिशा में सभी राष्ट्रीय विचार मूलक शक्तियों को
मिलकर पहल करनी होगी।
समापन:-
आज देशभर में हम अनुकूलता का अनुभव कर रहे हैं। संघ
कार्य की स्वीकार्यता और हिन्दुत्व के चिंतन के प्रति विश्वास भी बढ़ा है।
स्वाभाविक ही है कि यह अपने कार्यवृद्धि के लिए भी सुसमय है। यदि हम सुनियोजित
ढंग से और परिश्रमपूर्वक योजना बनाते हैं तो आने वाले निकट भविष्य में अपने
कार्य के सुपरिणाम हम निश्चय ही अनुभव करेंगे। संकल्प करें, दृढ़तापूर्वक सब मिलकर आगे बढ़ें, जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने विचारों का प्रभाव
स्थापित करते हुए समाज की सृजनात्मक शक्ति को विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करें।
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