चीन सीमा पर निगरानी को संघ ने तैयार की योजना, बनाए जाएंगे छात्रावास
देहरादून (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की
सीमाओं की सुरक्षा को लेकर नागरिक तथा सरकारों को सचेत करने के साथ ही
प्रहरी के रूप में भी कार्य करेगा. जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने
वाले लोगों, युवाओं को जागरूक किया जाए और निगरानी भी की जा सके. इसके लिये
प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में छात्रावासों के निर्माण का निर्णय
लिया गया है. चरणबद्ध तरीके से सीमावर्ती जिलों में छात्रावास खोले जाएंगे,
इनमें राष्ट्रभक्त छात्र सीमा के सजग प्रहरी के रूप में रहेंगे. संघ ने
छात्रावास स्थापना की शुरूआत केदारधार से कर दी है.
उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग आदि जिले चीन
की सीमा के नजदीक हैं. चीनियों के आए दिन यहां घुसपैठ की शिकायतें आती रहती
हैं. ताजा हालात के मद्देनजर संघ ने सीमा सुरक्षा के प्रति नजरिया बदला
है. इन छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को सीमा सुरक्षा के प्रति सजग
रहने, गांवों के उत्थान में सहयोग और लोगों में पलायन की प्रवृति दूर करने
के लिए काम करने को प्रेरित किया जाएगा.
सीमांत जिलों में छात्रावासों की श्रृंखला का शुभारंभ केदारधार से हुआ
है. 9 अप्रैल को यहां छात्रावास के निर्माण के लिये भूमि पूजन किया गया. इस
दौरान संघ के क्षेत्र प्रचारक आलोक जी, उत्तराचंल दैवीय आपदा पीडि़त
सहायता समिति के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
छात्रावासों के निर्माण की योजना संघ दैवीय आपदा पीडि़त सहायता समिति के
बैनर तले चला रहा है. छात्रावासों बनाने को लेकर नैटवाड़ बेल्ट, पुरोला,
धारचूला, टांस घाटी में योजना पर काम शुरू हो गया है, कुछ सीमांत क्षेत्रों
में छात्रावास निर्माण के लिए भूमि तलाशी जा रही है.
छात्रावासों के साथ ही यहां स्वाथ्य केन्द्र की स्थापना, क्षेत्रीय
विकास कार्य और समाज सुधार की योजनाओं की शुरूआत भी संघ करेगा. प्रांत
प्रचारक डॉ हरीश रौतेला ने कहा कि छात्रावासों में रहने वाले छात्र सीमांत
जिलों में राष्ट्र के सजग प्रहरी के रूप में रहेंगे. सीमावर्ती गांवों में
सुविधाओं का अभाव होने से गांव खाली हो रहे है. इस स्थिति को देखते हुए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेरित उतरांचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति
द्वारा छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा.
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