बुधवार, 15 अप्रैल 2015

बाबा साहब का जीवन हिन्दू समाज में फैले जातीय भेदभाव और विषमता को समाप्त करने के लिए समर्पित था - डॉ किशोर भाई मकवाना

बाबा साहब का जीवन हिन्दू समाज में फैले जातीय भेदभाव और विषमता को समाप्त करने के लिए समर्पित था - डॉ किशोर भाई मकवाना
डॉ अम्बेडकर पर पाञ्चजन्य के विशेष अंक का लोकार्पण  करते हुए अतिथिगण
मंच पर डॉ किशोर भाई मकवाना , स्वामी आत्मा राम महाराज  तथा खूबचंद खत्री
जोधपुर १३ अप्रैल २०१५।  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ जोधपुर महानगर द्वारा बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर की १२५ वीं  वर्ष के जयंती के प्रारम्भ का आयोजन टाउन हॉल में "समरसता समागम " के रूप में हुआ।  इस कार्यक्रम में सेवा बस्तियों के सेकड़ो नवयुवको सहित सहर के अनेक नागरिको ने सहभाग किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता  गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार,पत्रकार एवं संघ विचारक डॉ किशोर भाई मकवाना ने अपने उध्बोधन में डॉ अम्बेडकर के जीवन चरित्र को विस्तारपूर्वक रखा।  उन्होंने कहा कि बाबा साहब का जीवन हिन्दू समाज में फैले जातीय भेदभाव और विषमता को समाप्त करने के लिए समर्पित था.  उन्होंने अपने लेखन में जातिगत ऊंच नीच की पीड़ा को कई बार व्यक्त किया और बौद्ध मत स्वीकार करके भारतीय संस्कृति के प्रति अपने प्रेम को प्रकट किया. 

समरसता समागम में सभागार का इक दृश्य
डॉ मकवाना ने कहा कि  बाबा साहब का जीवन जितना संघर्षपूर्ण था उतना ही देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत भी था।  डॉ. भीमराव अंबेडकर महापुरुष थे। उनके साथ हमने अन्याय किया है। हमारे समाज में उनके विचारों और  कार्य को राष्ट्र के पहलू में ध्यान में रखकर प्रदर्शित नहीं किया गया। उन्हें केवल दलितों के नेता, संविधान निर्माता और आरक्षण देने वाला व्यक्ति समझा गया।

डॉ मकवाना ने डॉ आंबेडकर के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि  हिन्दू समाज का प्रारंभिक काल से पांच बार पुनर्गठन हुआ तथा पांचवी बार पुनर्गठन डॉ अम्बेडकर ने किया।   राजा सयाजी ने बालक भीम की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें विदेश भेजा था।   विदेश में अध्ययन किया मगर अन्तःकरण  में राष्ट्रधारा व् अछूतों का उद्धार करने की ललक उन्हें पुनः हिंदुस्तान खींच  लाई।  भारत में जाती का अगर किसी ने सही विश्लेषण किया तो वह थे डॉ अम्बेडकर।  डॉ अम्बेडकर ने हिन्दू बिल पास करवाने का प्रयास किया था।  
डॉ मकवाना ने अपने उधोबोधन को समाप्त करते हुए कहा  कि बाबा साहब को सच्ची  श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब छुआछूत मिट जायेगा
कार्यक्रम में स्वामी आत्माराम महाराज "उपाध्याय" का सान्निध्य रहा। कार्यक्रम में डॉ अम्बेडकर पर पाञ्चजन्य द्वारा प्रकशित विशेष अंक का लोकार्पण भी किया गया।  

 कार्यक्रम का समापन महानगर संघचालक खूब चंद जी के आभार प्रकटीकरण एवं वन्देमारतम्  गान के साथ हुआ।

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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित