मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

धर्मान्तरण अमानवीय अलोकतांत्रिक और अनीश्वरीय अपराध है - इन्द्रेश कुमार


राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद् ने किया पांच दिवसीय महानुष्ठान
रूद्राक्ष महाभिषेक बना सामाजिक समरसता का महातीर्थ
आस्था के महाकुंभ में उमड़ा प्रकृति पुत्रों का सैलाब
हजारों श्रद्धालुओं ने धारण किया रूद्राक्ष







कुशलगढ़। राजस्थान के प्रवेश द्वार कुशलगढ़ में देश के ख्यातनाम संतों और राष्टीय चिंतकों के सानिध्य में असंख्य लोगों ने स्वधर्म में बने रहने दुव्र्यसनो, का त्याग करने, अपने गांवों को रूद्राक्ष गांव बनाने की वचनबद्धता व्यक्त करते हुए राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद् की प्रेरणा से एक से पांच अप्रैल के मध्य आयोजित रूद्राक्ष महाभिषेक में भाग लिया।

 वैदिक ऋचाओं के बीच सवा लाख रूद्राक्ष से निर्मित पांच फीट उंचे शिवलिंग पर निरन्तर इस अनुष्ठान के दौरान वेदज्ञ विप्रवरों के सानिध्य में महाभिषेक के दौरान 108 दम्पतियों ने रूद्राक्ष शिवलिंग पर अभिषेक किया। जिसमें राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और गुजरात से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेते हुए पूर्णाहुति पर उमड़ी जनगंगा में श्रद्धालुओं ने हाथ खड़े कर पांच संकल्पों में वृक्षों की रक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण और संवद्ध्र्रन शिक्षा से वंचितों को सरस्वती के मंदिरों तक पहुंचाने, दुव्र्यस्नों को त्यजने, धर्म संस्कृति और परमपराओं पर दृढ़ रहते हुए धर्मान्तरण कर गये समाज बन्धुओं को स्वधर्म से जोड़ने और उनके कंठों में रूद्राक्ष का मनका धारण कराये जाने को लेकर संतो ंके सानिध्य में अपनी वचनबद्धता व्यक्त की और हर हर महादेव के गगन गुंजित रूद्राक्ष महाभिषेक की पूर्णाहुति धर्म सभा के बाद सम्पन्न हुई।

परिषद की प्रेरणा से यह आयोजन बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ स्थित टाउनहाल परिसर में धन्वन्तरी पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर संत सुरेशानन्द सरस्वती महाराज के सानिध्य में हुआ जिसमें साध्वी हेमानन्द सरस्वती, महर्षि उत्तम स्वामी सहित कई संतों ने समाज का दिग्दर्शन किया।

इस धार्मिक अनुष्ठान की पूर्णाहुति प्रसंग पर आयोजित विशाल धर्मसभा को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि धर्मान्तरण अमानवीय अलोकतांत्रिक और अनीश्वरीय अपराध है, लोकतांत्रिक मानवीय धर्म है कि हर व्यक्ति अपने धर्म पर चले और दूसरे धर्म का सम्मान करे यही ईश्वरीय परम्परा है उन्होंने कहा कि स्वर्ग नरक का फैसला पंथ धर्म से नहीं कर्म व आचरण से होता है।

 इंसान  जन्म लेता है तो देश, जाति भाषा, संस्कृति भगवान से मिलती है जिसे बदलना न्यायोचित नहीं है उन्होंने दुनिया के गुरूओं से अपील की कि वह अपने अनुयायियों को सभी धर्म का सम्मान करने की सीख देते हुए देश और दुनिया की प्रगति क मार्ग प्रशस्त करे।

ईसा और रसूल ने भी यही संदेश दिया किंतु उनके कुछ अनुयायी धर्म के नाम पर दिग्भ्रमित कर दुनिया में अशांति फैलाकर मानवीय संवेदनाओं के प्रतीकूल प्रयास में लगे हैं। उन्होंने धर्मान्तरण के अपराध से निजात के लिये कड़े कानून बनाये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि देश और दुनिया को इस पाप व अपराध से तब ही मुक्ति मिल पाना संभव है।

धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए संत सुरेशानन्द महाराज ने दुव्र्यस्नों भ्रूण हत्या, बलात्कार, घरेलू हिंसा को कलंक निरूपित करते हुए पाश्चात्य संसकृति के बढ़ते दुष्प्रभाव से समाज को उभारने के लिये वेदिक सनातन शाश्वत, सत्य को धारण कर जीवन को कुंदन बनाने की सलाह दी और कहा कि शिव और शक्ति के साथ धर्म का पथ प्रदर्शक है रूद्राक्ष जिसे धारण करने से धारणा शक्ति को बल मिलता है क्यांेकि रूद्र के अश्रुधारा से रूद्राक्ष की उत्पति हुई है जो सभी प्रकार के दुष्प्रभाव से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

इस पांच दिवसीय अनुष्ठान के दौरान साध्वी हेमानन्द सरस्वती, महर्षि उत्तमस्वामी, अ.भा. कल्याण आश्रम के अध्यक्ष जगदेवराम उरांव, केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री सुदर्शन भगत, राज्य के मोटर गैराज मंत्री जीतमल खांट, परिषद के प्रदेशाध्यक्ष हरिकृष्ण डामोर, कुशलगढ़ के विधायक भीमाभाई, समाजसेवी रामचंद्र खराड़ी, विष्णु साहू, निमेश मेहता आदि रूद्राक्ष महाभिषेक के धार्मिक अनुष्ठान को सराहा और ऐसे आयोजन को समय की महती आवश्यकता निरूपित की। परिशद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री भगवान सहाय ने धर्म सभा में इस आयोजन की प्र्रस्तावना के साथ ही संगठन की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला।

कल्याण मंत्र से पं. सुनील शास्त्री के मंगलाचरण से शुरू हुई इस धर्म सभा में जहां आयोजन समिति के अध्यक्ष विजयसिंह देवदा ने आभार ज्ञापित किया। वहीं अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के पदाधिकोरियों में सुभाषचंद्र पंचाल, कैलाशचंद्र बारोठ, राजीव द्विवेदी, पंकज दोसी, ललित राठौड, हरेन्द्र पाठक, वेस्ताराम वसुनिया, रितेश गदिया आदि ने परिषद का प्रतीक चिह्न भेंट करते हुए दुपट्टा ओढ़ाकर किया। धर्म सभा का संचालन परिषद् के विभाग संगठन मंत्री शरद त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम के दोरान संस्कार भारती बांसवाड़ा के कलाकारों ने भक्ति व राष्टगीतों की प्रस्तुतियों से जहा श्रोताओं का मंत्रमुग्ध किया वहीं संगीतमय सुंदरकाण्ड व भगत सम्मेलन भी आयोजित किये गये।


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विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित