सोमवार, 26 दिसंबर 2016

विमुद्रीकरण देश में काले धन के खिलाफ सबसे बड़ा जनांदोलन- प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा



विमुद्रीकरण देश में काले धन के खिलाफ सबसे बड़ा जनांदोलन- प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा




पाली, 25 दिसंबर 2016. ‘‘विमुद्रीकरण देश में काले धन के खिलाफ सबसे बड़ा जनांदोलन है जिसके कारण देश को हानि पहुंचाने वाले आतंकवादिया, नक्सलवादियों, नशा कारोबारियों, रिश्वतखोरों समेत देश के अहित में कार्य करने वाले हर व्यक्ति की कमर टूटी है।’’ ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के संघचालक प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा ने व्यक्त किये। श्री शर्मा रविवार को स्थानीय नगर परिषद सभागार में ‘‘विमुद्रीकरण में निहित राष्ट्रहित’’ विषय पर राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। 

इस अवसर पर प्रो. शर्मा ने कहा कि विमुद्रीकरण के पश्चात कष्ट सहते हुए भी देश का गरीब इस पुनीत कार्य में सिर पर शिकन लाए बगैर अपनी भावी पीढियों के उज्जवल भविष्य की कामना को साकार होते देख रहा है। इस फैसले के पश्चात जहां नकली धन के काराबोरियों को नुकसान हुआ है वहीं बैंक में जमा होने के पश्चात लोगों के घरों में पड़ा पैसा देश की जीडीपी दर बढाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। 

प्रो. शर्मा ने इस अवसर पर नोटबंदी के साथ साथ जीएसटी कानून के पहलूओं पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि इस कानून के चलते बगैर बिल कारोबार करने वाले व्यापारियों की पहचान आसान होगी तथा बिल के साथ किया गया कारोबार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में महती भूमिका निभाएगा।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जोधपुर प्रांत संघचालक ललित शर्मा एवं कार्यक्रम अध्यक्ष के नाते वरिष्ठ सी.ए. शिवदत्त कालानी उपस्थित थे। विभाग संघचालक कमल किशोर गोयल ने उपस्थित गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने वहां उपस्थित लोगों की विमुद्रीकरण से जुडी जिज्ञासाओं का निराकरण भी किया।

शनिवार, 24 दिसंबर 2016

नोट बन्दी कुछ परेशानी पूर्ण तो है परन्तु लम्बी अवधि के लिए यह अवश्य फायदेमंद-डाॅ. अश्विनी महाजन


उद्यमियों के देश में गरीबों पर अधिक हावी हो रहा है ग्लोबलाइजेशन-   डाॅ. अश्विनी महाजन

नोट बन्दी कुछ परेशानी पूर्ण तो है परन्तु लम्बी अवधि के लिए यह अवश्य फायदेमंद-डाॅ. अश्विनी महाजन
 
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक एवं देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डाॅ. अश्विनी महाजन उध्बोधन देते हुए 
 
जोधपुर:- 23 दिसम्बर 2016 .भारत देश उद्यमियों का देश है जहाँ किसी युवा को सौ रूपये दिए जाए तो वह इन सौ रूपयों से कितनी जल्दी हजार, लाख और दस लाख बना लेता है यह आश्चर्यचकित करने की बजाय आशान्वित होने की बात है। क्योंकि भारत देश में उद्यमिता नैसर्गिंक रूप से रची बसी है। अमेरिका जैसे देश में तैयार की गई ग्लोबलाईजेशन की नितियों ने भारतीय पर गरीबों अधिक प्रभाव डाला है। इसी का कारण है कि ग्लोबलाईजशन गरीबों पर अधिक हावी हुआ है। 25 वर्षो से भारत मंे लागु हुई आर्थिक नितियों का आंकलन यही बताता है कि भारत के गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे है तथा अमिर और अधिक अमिर होते जा रहे है। यह विचार स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक एवं देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डाॅ. अश्विनी महाजन ने स्वदेशी जागरण मंच जोधपुर महानगर इकाई द्वारा शुक्रवार को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय वाणिज्य संकाय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित स्वदेशी स्टडी सर्कल में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए कहा।

महाजन ने कहा कि ग्लोबलाईजशन से पहले मजदूरों की मजदूरी एवं अन्य खर्चों पर 78 प्रतिशत खर्च होता था एवं उद्योग मालिको को 19 प्रतिशत लाभ मिलता था वहीं वैश्वीकरण के पश्चात आज उल्टा हो गया जहां मजदूरों की मजदूरी व अन्य खर्चों पर 41 प्रतिशत वहीं उद्योग मालिकों का लाभ 51 प्रतिशत हो गया है। लघु उद्योंग धंधों पर इसका विपरित प्रभाव पड़ा है। वे धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे जा रहे है। ग्लोबलाईजेशन से  भारत में बी पी ओ आदि सर्विस से उत्पन्न रोजगार सेवाएं अमेरिका के गले नहीं उतर रही है। वैश्विक दबाव के चलते 2005 में हमारे पेटेन्ट कानूनों में किए गए बदलाव से दवाईयों व अन्य वस्तुओं को मंहगा एवं आम जन की पँहुच से दूर किया है। भारतीय पेटेन्ट कानून में डाली गई 3 डी धारा आज भी वैश्विक कम्पनियों के अंधे शोषण के विरूद्ध एक बड़ा हथियार साबित हो रही है। लगातार बढ़ रहे आयत से हमारी आर्थिक प्रगति प्रभावित हो रही है। भारतीय कृषि सक्षम है परन्तु इसको सरकारों द्वारा हासिए पर डाल देने से हमारी खाद्यान आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। 

वर्तमान में लागू की गई नोट बन्दी कुछ परेशानी पूर्ण तो है परन्तु लम्बी अवधि के लिए यह अवश्य फायदेमंद रहेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यह निर्णय कारगर सिद्ध होगा। 

इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. बी. के. शर्मा ने कहा कि वैश्वीकरण से बाजारीय प्रतिस्पर्दा बढ़ी है। जिससे संसाधनों एवं सामानों की उपलब्धता ज्यादा हुई है। इसकी तुलना में रोजगार सृजन व प्रतिव्यक्ति आय तथा निम्न व माध्यम वर्गीय लोगों के जीवन स्तर में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। 

स्वदेशी जागरण मंच के महानगर संयोजक अनिल माहेश्वरी ने बताया कि मंच द्वारा स्वदेशी स्टडी सर्कल में वैश्विकरण के 25 वर्ष एवं नोट बन्दी पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्ष वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन संकाय के डाॅ. वी. के. शर्मा ने की। स्वदेशी जागरण मंच के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र दुबे मुख्य अतिथि व डाॅ. रमन दवे, डाॅ. आर. सी. एस. राजपुरोहित एवं कृष्णगोपाल वैष्णव विशिष्ठ अतिथि थे। डाॅ. अमित व्यास, अनिल वर्मा, महेश जांगिड़, थानसिंह परिहार, जितेन्द्र मेहरा, विनोद जैन, हंसराज, हरीश सोनी, राजेन्द्र मेहरा, डाॅ. ओमप्रकाश भाटी एवं सत्येन्द्र प्रजापति ने विचार व्यक्त किए। 

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

समाज निर्माण के कार्य में कार्यरत है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ - श्याम सिंह जी

समाज निर्माण के  कार्य में कार्यरत  है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ - श्याम सिंह जी 
 

जैसलमेर १६ दिसम्बर २०१६ ।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष १९२५ से अपनी स्थापना के समय से लगातार समाज निर्माण के  कार्य में कार्यरत  है. अनेक चुनोतियाँ  और विपरीत परिस्थितियों के बाद भी संघ हर क्षेत्र में कार्य कर रहा है।  बाड़मेर विभाग के विभाग प्रचारक श्याम सिंह जी ने पांचजन्य के संग्रहणीय विशेषांक के विमोचन समारोह में  मुख्य वक्ता  के नाते बोलते हुए कहा. 

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रचार विभाग जैसलमेर के तत्वाधान में पाञ्चजन्य के संग्रहणीय विशेषांक का विमोचन जन सेवा समिति होम्योपैथिक हॉस्पिटल (गीता आश्रम चौराहा के पास) परिसर पूज्य संत श्री दीपक साहेब जी (ईशर साहेब का ठिकाना खुहड़ी)के आशीर्वचन,डॉ. भानाराम जी गाड़ी (एसोसिएट प्रोफेसर ज.ना.व्यास वि.वि.जोधपुर)के मुख्य आतिथ्य,डा.दाऊलालजी शर्मा (मा.विभाग संघचालक)की अध्यक्षता,श्री श्यामसुन्दर डावानी (प्रधान सम्पादक मरु महिमा)के विशिष्ठ आतिथ्य में किया गया।

मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीकानेर का दो दिवसीय वीरव्रतम् शीत शिविर प्रारम्भ::पाञ्चजन्य विशेषांक का विमोचन

पाञ्चजन्य  विशेषांक का विमोचन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीकानेर का दो दिवसीय वीरव्रतम् शीत शिविर प्रारम्भ





बीकानेर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीकानेर का महाविद्यालय विद्यार्थी शिविर दिनांक       10.12.2016 सांय 6 बजे से राजकीय पोलोटेक्निक महाविद्यालय, बीकानेर में प्रारम्भ हुआ। विभिन्न संकायों में अध्ययनरत एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले स्वयंसेवकों का षिविर दिनांक 12.12.2016 दोपहर भोजन तक चलेगा। इस शिविर में संघ की चार जिला ईकाइयों के स्वयंसेवक भाग ले रहे है।

शिविर में योगासन, खेलकूद, प्राणायाम इत्यादि शारीरिक कार्यक्रम के अलावा देश  और समाज की विभिन्न समस्याओं और व्यक्तिगत जीवन के संकल्पों के बारे में विभिन्न श्रेणीषः विचार विमर्श  किया गया। प्रातः काल 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक सतत् चलने वाली दिनचर्या में समय - समय पर वरिष्ठ अधिकारियो का मार्गदर्शन  प्राप्त हुआ।

संघ के प्रचारक श्रीमान् मुकुल कानिटकर जी (राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय षिक्षण मण्डल), श्री जसवंत जी खत्री (क्षेत्र संपर्क प्रमुख, राजस्थान क्षेत्र), श्री चंद्रशेखर जी (जोधपुर प्रान्त प्रचारक), श्रीमान् पंकज कुमार जी (महाविद्यालय विद्यार्थी प्रमुख), श्रीमान् अमर सिंह जी (विभाग प्रचारक, बीकानेर विभाग) का सान्निध्य प्राप्त हुआ।

दिनांक 11.12.2016 को प्रातः काल 9ः45 बजे उद्घाटन सत्र में श्रीमान् मुकुल कानिटकर जी ने भारत के गौरवशाली अतीत का वर्णन करते हुए भारत को पुनः विश्वगुरू सिंहासन पर आरूढ़ करने के लिए समाज जागरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उद्घाटन सत्र में पाञ्चजन्य  का (90 बरस राष्ट्र सेवा के) संग्रहणीय विशेषांक का विमोचन किया गया। इस दौरान बीकानेर विभाग के माननीय विभाग संचालक श्रीमान् नरोत्तम व्यास जी भी उपस्थित थे।

भारतीय स्वाभिमान और शौर्य का उद्घोष है पांचजन्य - रूद्रकुमार


भारतीय स्वाभिमान और शौर्य का उद्घोष है पांचजन्य  - रूद्रकुमार
 


सिरोही।     राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 90 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर साप्ताहिक पत्रिका पाॅचजन्य के संग्रहणीय विशेषांक का विमोचन कार्यक्रम एवं गोष्ठी बाबा रामदेव होटल के गार्डन में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम के मीडिया प्रमुख राकेश पुरोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम के अतिथि पूज्य संत श्री सूरदासजी महाराज, स्वामी अध्वरेशानंद सरस्वतीजी महाराज, मुख्य वक्ता रूद्रकुमार तथा जिला संघचालक हंसराज पुरोहित के द्वारा डाॅक्टरजी, गुरूजी व भारतमाता के चित्र के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में बालिका आदर्श विद्या मंदिर की बालिकाओं ने सरस्वती वंदना पर नृत्य प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् दिनेश कलावंत ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम् व काव्यगीत प्रस्तुत किया।

जिला प्रचार प्रमुख परबतसिंह ने पधारे हुए अतिथियों का परिचय एवं स्वागत कार्यक्रम सम्पन्न करवाया। विभाग प्रचार प्रमुख जयगोपाल पुरोहित ने विमोचन कार्यक्रम व पाॅचजन्य पत्रिका की सम्पूर्ण भूमिका सभी के समक्ष रखी।

 संघ के नगर प्रचार प्रमुख प्रकाश माली ने बताया कि पूज्य संत सूरदासजी के आशीर्वचनो पश्चात् स्वामी अध्वरेशानंद सरस्वतीजी ने देश में व्याप्त बुराईयों और कुरीतियों पर कुठाराघात करने के लिए व सनातन संस्कृति के विस्तार के लिए पाॅचजन्य पत्रिका सर्वश्रेष्ठ है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संघ के कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख ने बताया कि सन् 1925 में संघ स्थापना से ही संघ संस्कृति व समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए कार्यरत है जो डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार व श्री गुरूजी के बनाये मार्ग का अनुसरण कर सम्पूर्ण देश व विश्व के कई देशो में संघ के स्वयंसेवक राष्ट्रहित के कार्यो में संलग्न है।

कार्यक्रम का संचालन राजेश त्रिवेदी ने किया व आशुतोष व्यास ने सभी का आभार प्रकट किया।  कार्यक्रम में प्रचार टोली के कार्यकर्ता कपिल त्रिवेदी, नरेन्द्रसिंह, मनोज पुरोहित, नरेन्द्र ओझा, शिवप्रसाद व्यास, महेन्द्र प्रजापति व नगर में कार्यरत विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठन, विश्वहिन्दू परिषद, बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद, एन.एस.यू.आई. आदि कार्यकर्ताओं सहित प्रबुद्ध नागरिको ने भाग लिया।

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

ढाणी-ढाणी और गाँव -गाँव में पहुँचा पाथेय कण- बेरवाल समाज के लोगों को जागरुक करने का कार्य कर रहा है पाथेय कण-ललित शर्मा

ढाणी-ढाणी और गाँव -गाँव में पहुँचा पाथेय कण- बेरवाल
समाज के लोगों को जागरुक करने का कार्य कर रहा है पाथेय कण-ललित शर्मा 
पाथेय कण के मारवाड़ अंक का  लोकार्पण करते हुए

जयपुर ८ दिसम्बर १६।  “ढाणी-ढाणी और गाँव-गाँव में पहुँचकर लोगों को जागरुक कर रहा है पाथेय कण। इसमें प्रकाशित सामग्री बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों का ज्ञान वर्धन कर रही है।” यह विचार ‘डॉ.भीमराव अम्बेडकर फाउण्डेशन’ अम्बेडकर पीठ के महानिदेशक श्री कन्हैयालाल बेरवाल ने पाथेय कण के मारवाड़ अंक के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। जयपुर में 8 दिसम्बर को मालवीय नगर में पाथेय कण के मारवाड़ विशेषांक का लोकार्पण किया गया।  उन्होंने कहा 31 साल पहले एक छोटे से कार्यालय से शुरु हुए पाथेय कण जागरण पत्रक ने आज गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में अपनी पहचान बनाई है। इसमें संतों, देशभक्तों, महापुरुषों के बारे में दी गई जानकारी सभी वर्ग के लोगों का ज्ञान बढ़ाती है ।
 
कार्यक्रम में आशीर्वचन देते हुए संवित सुबोधगिरिजी ने कहा कि हम सब स्मृति के आधार पर जीते हैं। स्मृति हमारी शक्ति होती है। जो समाज स्मृति विहीन हो जाता है। वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता। राजस्थान वीरों-धीरों की भूमि रही है। जो देश के लिये जीया, जो सत्य के लिये जीये वह हमारे आदर्श पुरुष हैं, उसे हमने पूज्य पुरुष के रूप में स्वीकारा है। जबकि पश्‍चिम में जो देशद्रोह करता है जो अमानुषिक अत्याचार कहता है वहाँ पर उसकी पूजा की जाती है। राजस्थान का इतिहास लिखने वाले कर्नल टॉड ने भी कहा है कि यदि तराजू के एक पलड़े में राजस्थान का इतिहास रखा जाए और दूसरे पलड़े में विश्‍व के वीरों का इतिहास रखा जाए तो राजस्थान का पलड़ा भारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि जिन आक्रांताओं ने भारत को विश्‍व के मानचित्र से हटाने की कोशिश की, जिन्होंने देश को लूटा स्वाधीनता के बाद उन्हीं को महिमा मंडित किया जा रहा है। पाथेय कण समाज में लोगों को देश के वीरों के विषय में रचनाएं प्रकाशित कर उन्हें जागरुक करने का कार्य कर रहा है।
 
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोधपुर प्रांत के प्रांत संघचालक श्री ललित शर्मा थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि सृष्टि के सभी-अंगों का अपना-अपना स्वभाव होता है। यही स्वभाव धीरे-धीरे उसका धर्म बन जाता है। ठीक इसी प्रकार पाथेय कण का भी अपना स्वभाव है लोगों को धर्म के प्रति जागरुक करने का। पाथेय कण अपने प्रारंभिक काल 1985 से अपना यह धर्म निभाता चला आ रहा है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। जिस प्रकार दर्पण पर यदि धूल जम जाए तो उसमें से सब धुंधला नजर आता है। स्पष्ट देखने के लिए उस धूल को हटाना जरूरी होता है। साहित्य जगत पर समय-समय पर विदेशी संस्कृतियों का आक्रमण रहा है। पाथेय कण (पाक्षिक) उसी धूल को हटाने का प्रयास कर रहा है। यह समाज के लोगों को जागरुक करने का कार्य कर रहा है।
 
समारोह के प्रारम्भ में सभी आगंतुक अतिथियों का पुष्पहार पहनाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर पाथेय कण संस्थान द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया । पाथेय कण संस्थान के अध्यक्ष श्री गोविन्द प्रसाद अरोड़ा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य नागरिकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

पाथेय कण के मारवाड़ विशेषांक का लोकार्पण आज


पाथेय कण के मारवाड़ विशेषांक का लोकार्पण आज

जयपुर।  पाथेय कण के मारवाड़ विशेषांक का लोकार्पण कार्यक्रम गुरुवार दिनांक 08.11.2016  को मध्याह्न 3.00 बजे मालवीय नगर स्थित पाथेय कण के सभागार में रखा गया है। कार्यक्रम में डॉ. भीमराव अम्बेडकर फाउण्डेशन ‘अम्बेडकर पीठ’, राजस्थान के महानिदेशक  श्री के.एल. बेरवाल मुख्य अतिथि होंगे ।

 अध्यक्ष श्री ललित शर्मा प्रांत संघचालक, जोधपुर प्रांत एवं भीनासर, बीकानेर के स्वामी संवित सुबोधगिरि जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

सूचनाओं का मानव हित में उपयोग ही ज्ञान है : दत्तात्रेय होसबोले



सूचनाओं का मानव हित में उपयोग ही ज्ञान है : दत्तात्रेय होसबोले
रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का पटना में आयोजन
‘भारत की ज्ञान परंपरा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श

पटना भारत हमेशा से ही ज्ञान आराधक राष्ट्र रहा है भारत की ज्ञान परंपरा औरों से विशेष इसलिए है क्योंकि यह केवल हमारे बाहर मौजूद लौकिक (मटेरियल) ज्ञान को ही महत्वपूर्ण नहीं मानती बल्कि आत्म-चिंतन द्वारा प्राप्त भीतर के ज्ञान को भी समान महत्व देती है हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व इन दोनों ही प्रकार के ज्ञान को कड़ी साधना से अर्जित कर ग्रंथो के रूप में मानव समाज के लिए प्रस्तुत किया आज चाहे योग की बात हो, विज्ञान की या फिर गणित की, पूरी दुनिया ने भारतीय ज्ञान से कुछ न कुछ लिया है इस प्रकार हम एक श्रेष्ठ ज्ञान परंपरा के उत्तराधिकारी हैं यह विचार ‘भारत की ज्ञान परंपरा’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले व्यक्त किए। अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में इस संविमर्श का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा पटना में किया है
 
श्री होसबोले ने कहा की ज्ञान केवल पुस्तकें पढ़कर सूचनाओं को एकत्र करना नहीं है बल्कि इन सूचनाओं का मानव हित में उपयोग कर पाने की क्षमता ज्ञान है उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार पुस्तकों के अलावा, आत्म-चिंतन के द्वारा और विभिन्न प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़कर भी ज्ञान हासिल कर सकते हैं उन्होंने बताया कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में इस बात तक का उल्लेख किया गया है कि हजारों वर्ष पूर्व किस प्रकार नदियों के रास्तों का भी वैज्ञानिक पद्धति से निर्माण कर उनको प्रवाहित किया गया उन्होंने भारत की ज्ञान परंपरा के पुनरोत्थान में पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा किये जाने वाले कार्यों की सराहना करते हुए कहा की आज जहाँ कुछ विश्वविद्यालय अपने मूल उद्देश्य से भटक गए हैं, वहीँ यह विश्वविद्यालय सही मायने में ज्ञान साधना कर रहा है भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में किये गए अपने महत्वपूर्ण कार्यों को विश्वविद्यालय ने देश के अलग-अलग राज्यों में पहुँचाया है

संविमर्श की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि आज के परिदृश्य तथा भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए हमें अपने ज्ञान की समृद्ध परंपरा को उपयोग में लाने की आवश्यकता है आज से हजारों साल पहले जिस प्रकार हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रकृति को समझा था और उसके साथ जैसा सम्बन्ध स्थापित किया था, उसे आज लागू करने की आवश्यकता है उन्होंने कहा की उस ज्ञान को प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली माध्यम संस्कृत भाषा है, जिसकी आज उपेक्षा हो रही है उनका मानना है कि आज जिस स्तर पर संस्कृत स्कूल तथा महाविद्यालयों में पढाई जा रही है, वह नाकाफी है उन्होंने कहा कि आज विश्व को भारत की प्राचीन और समृद्ध ज्ञान की आवश्यकता है, लेकिन हमारे इस ज्ञान के भण्डार को आज पश्चिम के कुछ कथित विद्वान अपनी समझ के अनुसार उसकी व्याख्या करने की चेष्टा कर रहे हैं जबकि आवश्यकता है कि हम उस ज्ञान को भारतीय परंपरा के अनुसार व्याख्या कर दुनिया तक ले जायें ताकि उसमे कोई त्रुटी न हो और उसके औचित्य को सही मायनों में दुनिया को समझा सकें वहीँ, उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि पश्चिमी देशों ने हमेशा से ही अपने ज्ञान परंपरा को हमारे ऊपर थोपने का प्रयास किया है जबकि हमारे देश के विद्वानों ने समय-समय पर इसका विरोध कियाआज आवश्यकता है कि वर्षों से उपेक्षित अपने ज्ञान को आगे लायें

संविमर्श में सोमवार को ‘भारत में संवाद की परंपरा’ विषय पर काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल से आये डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने व्याख्यान दिया। उन्होंने भरत मुनि और महर्षि नारद को उल्लेखित करते हुए बताया कि भारत में सदैव लोकहित में संवाद की परंपरा रही है। दूसरे सत्र में ‘भारत में अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र की परंपरा’ विषय पर प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद प्रो. रामेश्वर पंकज मिश्र ने व्याख्यान दिया। जबकि ‘भारत में अध्यात्म का आधार’ विषय पर बीकानेर से आये स्वामी सुबोधगिरि और ‘आयुर्वेद और जीव विज्ञान की परंपरा’ पर भोपाल से आये वैद्य चन्द्रशेखर ने अपने व्याख्यान दिए।

      आज इन विषयों पर विमर्श : संविमर्श में मंगलवार को वैदिक गणित पर रोहतक के राकेश भाटिया, भारत में विज्ञान की परंपरा पर महाराष्ट्र के प्रो. पीपी होले, डॉ. श्रीराम ज्योतिषी, डॉ. सीएस वार्नेकर, भारत की मेगालिथ रचनाओं की वैज्ञानिकता विषय पर फ़्रांस से आये डॉ. सर्जे ली गुरियक सहित पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान के व्याख्यान होंगे।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित