रोहतक (विश्व
संवाद केंद्र ) 17 .राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर प्रखर
राष्ट्रवादी थे। वे आदि से अंत तक राष्ट्र भाव से भरे थे। भारत के संविधान
को लिखते हुए भी उनकी यही राष्ट्रवादी सोच मुखरित भी हुई। वर्तमान समय में
भी उनकी सोच एवं विचारधारा प्रासंगिक है।
डॉ. गोपाल जी शनिवार को महर्षि
दयानंद विश्वविद्यालय में डॉ. अंबेडकर शोधपीठ के तत्वावधान में आईएचटीएम
सभागार में आयोजित विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल
रहे थे। कार्यक्रम का विषय भारत में राष्ट्रवाद के संदर्भ में डॉ. अंबेडकर
के विचारों की प्रासंगिकता था। डॉ. गोपाल ने बताया कि सारे राष्ट्र का जन
एक है, ऐसी विचारधारा डॉ. अंबेडकर की थी। बाबा साहेब जुझारू नेता, लेखक,
बेहतर अर्थशास्त्री, संपादक, शिक्षक, समाज सुधारक, संविधान लेखा के तौर पर
जाने गए, जिनका सारा जीवन राष्ट्र के प्रति सर्मपित रहा। बाबा साहेब का
सारा जीवन संघर्ष भरा रहा और उन्होंने ताउम्र राष्ट्र को जोड़ने का कार्य
किया,
मदवि कुलपति प्रो. बिजेन्द्र कुमार पूनिया ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की सोच राष्ट्रवादी थी। उन्होंने कहा कि उनका जीवन कठिनाईयों से भरा रहा और उन्होंने विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्केण्डय आहूजा ने इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। डॉ. मार्केण्डय आहूजा ने कहा कि बाबा साहेब एक सोच थे, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान दिया, सामाजिक परिवर्तन की दिशा में विशेष प्रयास किया और डूबते समाज को बचाने के लिए संघर्ष किया।
डॉ. अंबेडकर शोध पीठ के अध्यक्ष तथा इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय कायत ने स्वागत भाषण दिया और व्याख्यान कार्यक्रम की विषय-वस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की राष्ट्रवादी सोच एवं विचारधारा आज भी प्रासंगिक है और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने से राष्ट्र और समाज का उत्थान होगा।
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