केरल में हो रही हिंसा पर मानवाधिकार आयोग, एससी-एसटी आयोग, न्यायालय अब तक चुप क्यों है – दत्तात्रेय होसबाले जी
नई
दिल्ली (इंविसंके). केरल में राज्य सरकार के वरदहस्त के नीचे माकपा के
नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी हिंसा
के विरोध में जनाधिकार समिति द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया
गया. प्रदर्शन के बाद जनाधिकार समिति के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृह
राज्य मंत्री हंसराज अहीर जी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र सरकार से मांग
की गयी कि केरल सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने
जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार से मांग की कि केरल की राज्य सरकार को बर्खास्त
कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. ये मांग हिन्दुस्तान की जनता भी
प्रत्येक माध्यम से केंद्र सरकार से करे कि केरल सरकार को बर्खास्त किया
जाए. क्योंकि केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में सीपीएम के नरसंहारी
कार्यकर्ता आए दिन निर्मम तरीके से इंसानियत का गला घोंट रहे हैं.
जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन केरल में राज्य सरकार की सरपरस्ती में माकपा
के नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी
हिंसा के विरोध में आयोजित किया गया था. सह सरकार्यवाह जी ने संघ व बीजेपी
कार्यकर्ताओं के खिलाफ केरल में हो रही राजनीतक हिंसा पर चेतावनी दी कि अगर
केरल सरकार अभी भी उचित कार्यवाही नहीं करती है तो इसका परिणाम भुगतने के
लिए उसे तैयार रहना चाहिए. वामपंथियों का आधार कठोर नफरत है. इसका
प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वो माताओं-बहनों और मासूम बच्चों तक को नहीं छोड़ते
हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा.
उन्होंने
मानवाधिकार आयोग, सुप्रीम कोर्ट, एससी-एसटी आयोग से पूछा कि केरल में मारे
जा रहे अधिकतर नागरिक दलित है तो वो स्वतः संज्ञान क्यों नहीं ले रहे
हैं? वामपंथियों द्वारा की जा रही कितनी हत्याओं के बाद इनकी आखें खुलेगी?
केरल के लोगों के मानवाधिकारों की हत्या अब नहीं होने देंगे. आज का यह
विरोध-प्रदर्शन संघ और स्वयंसेवकों का नहीं है, ये देश के बुद्धिजीवियों की
हुंकार है, केरल की नरसंहारी वामपंथी सरकार और मुख्यमंत्री पी. विजयन के
खिलाफ.
अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी ने कहा कि आज भगवान की
धरती कही जाने वाली केरल की धरती को कम्युनिस्ट गुंडों ने कसाईखाना बना रखा
है. पिछले कुछ वर्षों में केरल के अंदर 270 संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं
की मार्क्सवादी आतंकवादियों ने निर्मम हत्या की है. मार्क्सवादी
नरसंहारियों ने महिलाओं और बच्चों तक को भी नहीं छोड़ा है. केरल के
मुख्यमंत्री तीन दिन के लिए दिल्ली आए हुए थे. हम आज उन्हें केरल में हुई
हिंसा के खिलाफ ज्ञापन देने वाले थे. लेकिन, केरल के मुख्यमंत्री कल ही
दिल्ली से भाग गए. पी. विजयन संवाद नहीं करना चाहते हैं. विजयन हत्यारे
हैं, क्योंकि लगभग 50 साल पहले 1968 में उन्होंने रामकृष्णन नामक स्वयंसेवक
की हत्या की थी. जो प्रदेश में पहली हत्या थी. आरोप लगाया कि केरल सरकार
लोकतंत्र और मानवता विरोधी सरकार है. इसलिए केंद्र सरकार से मांग करता हूं
कि केरल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाये. मैं आप सभी को बता
दूं कि पिछले साल जनवरी से लेकर आजतक 28 दिसंबर 2016, 19 दिसंबर 2016, 12
अक्टूबर 2016, 7 अक्टूबर 2016, 3 सितम्बर 2016, 11 जुलाई 2016, 22 मई 2016,
फरवरी 2016 में हत्याएं हुई हैं.
बीजेपी
के अखिल भारतीय सचिव अनिल जैन जी ने कहा कि अगर ऐसे ही वामपंथियों द्वारा
लगातार हिंसा जारी रही तो अब जवाब पत्थर से दिया जाएगा. हमारी सहनशीलता को
मार्क्सवादी कमजोरी न समझें. बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने
कहा कि संतोष की हत्या जिस प्रकार से उनके द्वारा की गई है वो मैं बता भी
नहीं सकता. वो मारने के बाद शरीर को क्षत-विक्षत कर देते हैं. वो शायद भूल
गए हैं कि भगवान विष्णु ने दुराचारियों के संहार के लिए चक्र को धारण किया
था.
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि वामपंथी दलितों, महिलाओं के हक की
बात करते हैं. क्या यही उनके द्वारा दिया जा रहा हक है? अब तो अवार्ड
वापसी गैंग की दलितों की हो रही इन निर्मम हत्याओं पर संवेदनाएं फूट ही
नहीं रही है? आप सबको जानकार हैरानी होगी कि केरल राज्य में दलितों द्वारा
2016 में वामपंथियों की हिंसा के खिलाफ 400 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं केरल
की जनता आतंक के साए में जिन्दगी जीने को मजबूर है, क्योंकि राज्य की सरकार
एक आतंकवादी विचारधारा समर्थित सरकार है.
राष्ट्रीय उलेमा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना मुर्तजा ने कहा कि केरल की
नरसंहारी सरकार को केंद्र सरकार जितनी जल्दी हो सके बर्खास्त करे और
राष्ट्रपति शासन लगाए. केरल में राज्य सरकार की सरपरस्ती में माकपा के
नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी हिंसा
के विरोध में जनाधिकार समिति द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन
के दौरान दिल्ली प्रान्त के संघचालक कुलभूषण आहूजा जी, विहिप के राष्ट्रीय
मंत्री सुरेन्द्र जैन जी, विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय संगठन मंत्री
श्रीनिवास जी, सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मानसिंह जी, कवि गजेन्द्र सोलंकी
जी, स्क्रिप्ट राइटर अद्वैत काला जी, टीवी व फिल्म कलाकार मुकेश खन्ना जी,
रिटायर्ड आईएसएस अधिकारी एसपी राय जी, ध्रुव कटोच जी ने भी संबोधित किया.
साभार: vskbharat.com
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