सोमवार, 17 अप्रैल 2017

मेरे पिता मेरे सपनों को पूरा करना चाहते थे .... फूलों से सुसज्जित ताबूत भेंट ....केरल में वामपंथी आतंक के पीड़ितों ने सुनाया अपना दर्द

हमारे कार्य का आधार घृणा, हिंसा नहीं, आत्मीयता है – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

केरल में वामपंथी आतंक के पीड़ितों ने सुनाया अपना दर्द
http://vskbharat.com/wp-content/uploads/2017/04/Har-1.jpg
मेरे पिता मेरे सपनों को पूरा करना चाहते थे ....................................  
विस्मया, ये नाम अधिकांश ने सुना होगा. उसकी कविता सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. वह पुलिस अधिकारी बनकर अपने गांव की सेवा करना चाहती है, लेकिन वामपंथी गुंडों ने उसके पिता की हत्या कर दी. वह कहती है कि ---- मेरे पिता मेरे सपनों को पूरा करना चाहते थे, वह रात मेरे सारे सपनों को तबाह कर गई. उनकी (विस्मया के पिता संतोष कुमार, 52 वर्ष) बस एक ही गलती थी कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी का समर्थन (पार्टी गांव में भाजपा के समर्थन से पंचायत का चुनाव लड़ा था) किया था. अब मुझे अपने भविष्य में सिर्फ अंधकार दिख रहा है. उन्होंने सिर्फ मेरे पिता को नहीं मारा बल्कि मेरे सपनों और भविष्य़ की भी हत्य़ा कर दी. मुझे सिर्फ अंधकार दिख रहा है, पूर्ण अंधकार. मुझे अब तक यह जवाब नहीं मिला कि उन्होंने मेरे पिता को क्यों मारा?”


http://vskbharat.com/wp-content/uploads/2017/04/showimg-1.jpg अब किसके सहारे जियेंगी ..................... आंखों के सामने पुत्र की हत्या देख नारायणी अम्मा टूट गईं. अब वे इन वामपंथी गुंडों से दोनों हाथ जोड़कर एक ही प्रार्थना कर रही हैं कि जिस चाकू से उन्होंने उनके पति और बेटे को मारा, उसी से उन्हें भी मार दें. उन्हें किस लिये छोड़ दिया, अब किसके सहारे जियेंगी?”


चलते फिरते शहीद ..................
विभाग प्रचार प्रमुख प्रजिल चलते फिरते शहीद हैं, उनके शरीर पर करीब ढाई दर्जन घावों के निशान हैं. खुशकिस्मत हैं कि वामपंथी गुंडों के हमले में उनका जीवन बच गया.

दोनों पैर चले गए ..................
 श्रीधरन अपने घर के पास चीखने चिल्लाने की आवाजें सुनीं तो लोगों को बचाने के लिये दौड़े, लेकिन वामपंथी गुंडों ने उन पर बम फैंक दिया, जिसमें उनके दोनों पैर चले गए.

फूलों से सुसज्जित ताबूत भेंट ................
 केरल के एक कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ. टीएन सरसू, उनकी सेवानिवृत्ति पर कॉलेज की एसएफआई इकाई ने अनोखा गिफ्ट दिया, उन्हें सेवानिवृत्ति पर फूलों से सुसज्जित ताबूत भेंट किया गया.

ये केवल कुछ घटनाएं मात्र हैं, कहानी केवल यहीं तक सीमित नहीं है. शिवदा, रजनी पीड़ितों की सूची काफी लंबी है. पिछले साठ साल के दौरान 400 से अधिक कार्यकर्ता वामपंथी गुंडों के हिंसक हमलों का शिकार हुए हैं. केरल में वामपंथी सरकार के गठन के पश्चात हिंसक घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी हुई है. नई सरकार के छोटे से कार्यकाल में अकेले कन्नूर जिले में 436 हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं. इसी कालखंड में 19 कार्यकर्ता मारे गए हैं, जिसमें 11 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के, 4 कांग्रेस के थे. 4 सीपीआई एम के कार्यकर्ता, लेकिन ये वामपंथी विचार को छोड़कर कहीं न कहीं संघ की शाखा, भारतीय मजदूर संघ या भाजपा की ओर आकर्षित थे. इस कारण उनकी भी हत्या कर दी गई.

लेकिन ये समस्त घटनाएं, परिवारों की पीड़ी कभी नेशनल मीडिया की सुर्खियां नहीं बनीं, न ही मानवाधिकार आयोग का कभी इन पीड़ितों की ओर ध्यान गया. न ही तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग का ध्यान इनकी ओर गया.

भगवान की धरती कहलाने वाला केरल आज मार्क्सवादी हिंसा का प्रतीक बन चुका है. केरल मार्क्सवादी हिंसा के चेहरे को सबके समक्ष लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अभियान शुरू किया है. जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, इन कार्यक्रमों में केरल में मार्क्सवादी हिंसा के शिकार पीड़ित कुछ स्वयंसेवक परिवारों के सदस्य भी भाग ले रहे हैं. इसी निमित्त शनिवार 15 अप्रैल को दिल्ली में तीन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, पहला कार्यक्रम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में था, इसके पश्चात मीडिया जगत में कार्यरत पत्रकार बंधुओं के साथ गोष्ठी का आयोजन किया गया, तीसरे कार्यक्रम में दिल्ली के बुद्धिजीवी वर्ग (प्राध्यापक, अध्यापक, अधिवक्ता, व अन्य) के लिये नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट एवं योगक्षेम न्यास ने संगोष्ठी का आयोजन किया. इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार जी (मूलतः केरल निवासी) तथा पीड़ित परिवारों के सदस्य उपस्थित रहे. कार्यक्रम में शहीद स्वयंसेवकों की जानकारी पर आधारित पुस्तक आहुति का लोकार्पण किया गया.

हमारे कार्य का आधार घृणा, हिंसा नहीं, आत्मीयता है – डॉ. कृष्ण गोपाल जी
बम बनाना केरल में कुटीर उद्योग  

http://vskbharat.com/wp-content/uploads/2017/04/IMG_20170415_153220.jpgनई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि बम बनाना केरल में कुटीर उद्योग जैसा बन गया है. पुलिस राज्य सरकार के आदेश पर सबूत इकट्ठे करती और बाद में उन्हें नष्ट कर  देती है. इसलिए वहां मार्क्सवादी विचारधारा से अलग विचार रखने वालों के लिए बहुत संकट पैदा हो गया है. केरल हमारे देश का ही एक अंग है, इसलिए यह सारे देश की समस्या है. वैचारिक भिन्नता से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस देश का महान दर्शन, महान परम्पराओं को नष्ट नहीं करने दिया जा सकता. राज्य के मुख्यमंत्री, जिनके पास गृह विभाग भी है, उन्हें अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन करना चाहिए. एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में नहीं बल्कि एक मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार करना चाहिए. उन्हें राज्य में कानून, न्याय और शांति सुनिश्चित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि आरएसएस का विरोध किसी कम्युनिस्ट से नहीं है, अपितु भारत के लिए प्रतिकूल कम्युनिज्म विचारधारा से है. क्योंकि हमारे देश में शास्त्रार्थ कर अपने विचारों से दूसरों को जीतने की परम्परा रही है. किसी की हत्या से आतंक उत्पन्न कर अपने विचार मनवाना यह भारतीय परंपरा कभी नहीं रही. वामपंथ की विचारधारा भारतीय परंपरा, आध्यात्मिक दर्शन के अनुकूल नहीं है. ये देश प्रेम, करुणा, दया का देश है. संघ के कार्यकर्ताओं का स्वभाव सभी जानते हैं. आपातकाल में हजारों कार्यकर्ताओं ने यातनाएं झेलीं. लेकिन सरसंघचालक बाला साहब देवरस जैसे ही जेल से बाहर आए, उन्होंने एक ही बात कही, जिन्होंने हमको बंद किया, कष्ट दिया वे अपने ही थे, अपने मन के अन्दर से यह बैर-भाव निकाल दो, सबसे मित्रता रखो. हमारा दर्शन ही ऐसा है कि हम लम्बे समय तक अपने ऊपर हुए अत्याचारों को याद ही नहीं रखना चाहते. संघ का कार्य का आधार घृणा, हिंसा नहीं, आत्मीयता है, हममें विचारधारा की भिन्नता से घृणा उत्पन्न नहीं होती. यही कारण है कि विरोध के बावजूद देश में सबसे अधिक शाखाएं (लगभग 4500) केरल में हैं.

http://vskbharat.com/wp-content/uploads/2017/04/IMG_20170415_145836.jpg
प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे. नंदकुमार जी ने कहा कि केरल में मार्क्सवादी आतंक से पीड़ित परिवारों को यहां लाना तथा उनके परिवार के सदस्यों की निर्मम हत्याओं का प्रस्तुतिकरण उनके तथा हमारे लिए अत्यंत कष्टकारी है, लेकिन केरल के बाहर वहां का सच तथाकथित बुद्धिजीवियों के सामने लाने का अन्य मार्ग न होने के कारण इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने पड़ रहे हैं. एक अखलाक की हत्या मीडिया में कई दिनों तक चर्चा व बहस का विषय बनी रहती है, लेकिन केरल में सत्ताधारी वामपंथियों की वैचारिक असहिष्णुता के कारण हुई नृशंस हत्याओं पर मीडिया में चर्चा नहीं होती. उन्होंने केरल से आये पीड़ित परिवारों का परिचय संगोष्ठी में आये बुद्धिजीवियों से करवाते हुए उनके परिजनों की मार्क्सवादियों द्वारा की गयी हत्याओं का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवारों की ओर से मानवाधिकार आयोग और अनुसूचित जाति आयोग में भी मामले को ले जाया गया है.

डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन वास्तव में हिंसा को रोकना चाहते हैं या सच को सबके समक्ष लाना चाहते हैं तो सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों से या पूर्व न्यायाधीशों से हिंसक घटनाओं की जांच करवाएं. पुलिस पर पार्टी का नियंत्रण है, पुलिस ट्रेड यूनियन में वामपंथी पदाधिकारी पुलिस विभाग में प्रमुख पदों पर विराजमान हैं. ऐसे में कैसे निष्पक्ष न्याय की उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने बताया कि 1948 तक केरल में संघ की नाम मात्र की शाखाएं थीं, जनवरी 1948 में श्रीगुरूजी का प्रवास था. कार्यक्रम में 150-200 कार्यकर्ता उपस्थित थे, इस दौरान वामपंथी गुंडों ने हमला कर दिया था.

उल्लेखनीय है कि केरल में वामपंथी हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ ही अन्य सामाजिक संगठनों ने धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था . देशभर में लगभग 800 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. जिसमें साढ़े चार लाख बंधु भगिनियों की भागीदारी रही. (केरल, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, गोवा, मणिपुर शामिल नहीं)

 
निकुंज सूद

शनिवार, 15 अप्रैल 2017

विषम सामाजिक परिस्थितियों को रौंदते हुए हमारे राष्ट्र को सामाजिक समरसता के विचार डॉ अम्बेडकर ने दिए - नन्दलाल जी

 विषम सामाजिक परिस्थितियों को रौंदते हुए हमारे राष्ट्र को सामाजिक समरसता के विचार डॉ अम्बेडकर ने दिए - नन्दलाल जी 



पाली 14 अप्रेल २०१७ । शुक्रवार को लाखोटिया उद्यान स्थित माली समाज भवन में डाॅ सुरेन्द्रसिहजी की अध्यक्षता में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती समारोह उत्साह व श्रृद्वा के साथ माल्यापर्ण कर मनाया गया। 

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संयोजक मुकेश  पोखरणा ने बताया कि इस अवसर पर डाॅ अम्बेडकर के व्यक्तित्व और विचार पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के राजस्थान के क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य श्री नंदलालजी जोशी ने कहा कि डाॅ भीमराव अम्बेडकर एक ऐसे अदभूत व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होने विषम सामाजिक परिस्थितियों को रौदते हुए हमारे राष्ट्र को सामाजिक समरसता के ऐसे विचार दिये जो आज भी हमारे देश  के संविधान को गौरवान्वित कर रहे है। 

नंदलालजी जोशी ने कहा कि भेदभाव की पीड़ा में भी अपने अन्दर की प्रतिभा को प्रखर कर जीवन की सार्थकता को सिद्व करने वाले ऐसे चिन्तक के चिन्तन को सही व सकारात्मक रूप से समझकर आत्मसात करना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। 

सामाजिक भेदभाव पर कटाक्ष करते हुए जोशी  ने कहा कि भारत विश्व  गुरू था। कालान्तर में हमारी पराजय का कारण खोजे तो हम पायेंगे कि ज्ञान व वैभव के मिथ्या अभिमान की गलती से ही हम हारे। हमारी भारतीय संस्कृति का दृश्टिकोण इतना व्यापक है कि हम सृष्टि के प्रत्येक जीव में परमात्मा का अंश  देखते है। हमारी संस्कृति समन्वय व न्याय की संस्कृति है। ऐसी संस्कृति पर चालाक लोगो द्वारा आघात होता है तो मन में पीड़ा होना स्वाभाविक है। हमारे महापुरूषो  विवेकानन्द स्वामी, डाॅ हेडगेवारजी, स्वामी शिवानन्द ने सामाजिक समरसता को जो पाठ हमे पढाया, हमे उन्हीं के अनुभवो का अनुकरण करना चाहिए। 
 
डाॅ सुरेन्द्रसिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाॅ अम्बेडकर के व्यक्तित्व में  हिन्दुवादी आदर्श था। संविधान निर्माण की जो आधारशीला रखी गयी है वो आज भी विश्व  में अहिंसा, प्रेम व त्याग का संदेश  देती है। उन्होने समाज के पिछड़े व दलित व समाज की मुख्य धारा में छुटे हुये नागरिको के उत्थान के लिए संविधान के कई उपयोग कर बल देते, संविधान के बारे में विभिन्न जानकारियाॅ दी।

 कार्यक्रम के अंत में जिला संघ चालक नेमिचन्द अखावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया और समरसता मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।   
 
                                                                  

सामाजिक समरसता से दूर होगा छुआछूत- इंद्रेश कुमार जी

सामाजिक समरस्ता से दूर होगा छुआछूत- इंद्रेश कुमार जी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी उध्बोधन देते हुए

जोधपुर, 14 अप्रेल। छुआछूत एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या हैं,। सामाजिक समरसता के माध्यम से ही इसे दूर किया जा सकता है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। अवसर था  राष्ट्रीय जन चेतना न्यास एवं नगर निगम जोधपुर द्वारा बाबा साहेब भीमराव अबेडकर की 126वीं जयन्ति  पर आयोजित कार्यक्रम का। खचाखच भरे जोधपुर के टाउन हॉल में बाबा साहेब के जीवन के कई पहलुओ को  इस कार्यक्रम को रेखाकिंत किया गया।

मुख्य वक्ता इंद्रेश कुमार जी ने कहा देश मे छुआछुत क्रूरता  की चरम सीमा पर था तब भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ था। बाबा साहेब ने हिन्दुओ का धर्मान्तरण न हो  इसलिए हिन्दुत्व पंथ के भारतीय संस्कार एवं संस्कृति से जुड़े बौद्ध धर्म  को स्वीकार कर करोड़ो हिन्दुओ को धर्मान्तरण से बचाया। क्योंकि बाबा साहेब जानते थे कि अस्पर्शयता  को कभी धार्मिक ,नैतिक व सामाजिक अनुमति नहीं थी। जाति से पुकारने की परम्परा भी पुरातन भारत में नहीं थी। जातिवाचक पुकारने की परम्परा षडयंत्र पुर्वक अग्रेजों द्वारा चलाई थी जिसका मूल उद्धेश्य हिन्दू समाज का विभाजन करना था। जातिवाद छुआछुत को मिटाना ही सच्ची ईश्वर की भक्ति हैं।

उन्होने बताया संघ का सामाजिक, समरसता जनचेतना के प्रयास रंग ला रहे है, एक कुआ, एक मंदिर, एक शम्शान  का अभियान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चला रहा है।

डॉ अम्बेडकर भारत  के विभाजन के पक्ष में नहीं थे
इंद्रेश कुमार जी ने अपने उध्बोधन में बताया कि  डॉ अम्बेडकर भारत  के विभाजन के पक्ष में नहीं थे इसलिए उन्होंने समझौते की बैठक से दुरी  बनाये रखी.  भारत को आज़ादी बाद में मिली पहले विभाजन मिला। 


छुआछुत मुक्त भारत के निर्माण का दिलाया संकल्प
सभी समाजो से आये समाज प्रतिनिधियों को  इस अवसर पर छुआछुत मुक्त भारत बनाने का संकल्प दिलवाया  समाज में खुशहाली हो, कोई भी बिना कपड़ा नहीं रहें, कोई भी भुखा नहीं रहे ऐसी हमारी ग्राम की रचना बननी चाहिये ।

जाति, बिरादरी के प्रतिनिधियों की रही सहभागिता
क्रार्यक्रम में सभी जातिबिरादरी के मुखिया एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिससे कार्यक्रम का वातावरण सामाजिक समरसता , समानता और समता बना हुआ नजर आ रहा था।

मंच पर राष्ट्रीय जन चेतना न्यास के सत्यपाल हर्ष, राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक ललित कुमार शर्मा , महापौर घनश्याम औझा एवं नगर निगम जोधपुर के आयुक्त शिव प्रसाद मदन नकाते भी विराजमान थे।

कार्यक्रम के समापन पर जन चेतना न्यास के सचिव हरदयाल वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 






सोमवार, 10 अप्रैल 2017

गौ रक्षा के दौरान कोई हिंसा न हो – डॉ. मोहन भागवत

गौ रक्षा के दौरान कोई हिंसा न हो – डॉ. मोहन भागवत

  
दिल्ली 9 अप्रैल 2017. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज एक कार्यक्रम में कहा, "गौ रक्षा के दौरान कोई हिंसा न हो. गौ रक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे, नहीं तो गौ रक्षा के तरीके पर ही सवाल उठने लगेंगे."

श्री भागवत ने कहा, "गौ हत्या बंदी सरकार के अधीन है. हमारी इच्छा है कि पुरे भारतवर्ष के लिए कानून बने. इसके लिए केंद्र सरकार को एक कानून बनाना चाहिए." उक्त विचार डॉ. भागवत ने दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में भगवान महावीर जयंती महोत्सव महासमिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम महावीर जयंती महामहोत्सव के दौरान अपने संबोधन में कहा.

श्री भागवत ने कहा, "जैन धर्म हमें जीवों, प्राणियों और संपूर्ण श्रृष्टि की रक्षा करना, उनसे प्यार करना सिखाता है. अहिंसा की सीख देता है. हमें भगवान महावीर स्वामी के बताये हुए अहिंसा का मार्ग अपनाना होगा. तभी जाकर हम भारत को विश्व में एक मजबूत राष्ट्र बनाने में सफल हो पाएंगे."

उन्होंने कहा, "अगर सभी नागरिक अहिंसा का पालन करना शुरू कर दें तो सारे भारतवर्ष में किसी भी प्रकार की हिंसा की घटना नहीं होगी. जैन धर्म के मूल में भी अहिंसा है. अहिंसा करुणा से ही आती है और करुणा धर्म का अभिवाज्य घटक है. हमें अपने अन्दर करुणा के भाव उत्पन्न करने होंगे."

उन्होंने कहा, "अहिंसा का प्रचार अहिंसा का पालन करके ही करना पड़ेगा. किसी भी प्रकार की हिंसा भारतीय सभ्यता-संस्कृति में मान्य नहीं रही है. अहिंसा के आधार पर पूरा राष्ट्र एकजुट हो सकता है. इसलिए हमें मत और विचारों को मतभेद के नाते न देखते हुए मतभेदों को भुलाकर एकजुट होना है और राष्ट्र को मजूबत बनाना है."

उन्होंने कहा, "अहिंसा का पालन करने से श्रृष्टि का रख-रखाव होता है. अहिंसा किसी भी धर्म का मूल भाव होता है. धर्म जोड़ने वाला होता है. जोड़ने का और जोड़कर उन्नत करने का प्रयास धार्मिक प्रयास है. जैन धर्म और इसके आचार्य हमें इस बात की सीख देते हैं."

सोमवार, 3 अप्रैल 2017

पाथेय कण हमें मनो से जोड़ रहा है और यह एक सामाजिक क्रान्ति का अग्रदुत है - जसवन्त जी खत्री

पाथेय कण हमें मनो से जोड़ रहा है और यह एक सामाजिक क्रान्ति का अग्रदुत है - जसवन्त जी खत्री
पाथेय कण पाठक सम्मेलन सम्पन्न , डाक मित्रों को किया सम्मानित

स्मृति चिन्ह व पाथेय विशेषांक की प्रति दी

बीकानेर 02 अप्रेल 2017 . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग, बीकानेर महानगर के द्वारा  खेलकूद विभाग, राजकीय पोलिटेक्निक महाविद्यालय बीकानेर में पाथेय कण पाठक सम्मेलन एवं डाक मित्र सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

सम्मान समारोह राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख श्रीमान् जसवन्त जी खत्री के सानिध्य में आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमान् जी.एन. कनवाड़िया, डाक अधीक्षक, मुख्य डाकघर बीकानेर ने की। उक्त कार्यक्रम में श्री देवाराम गोदारा, प्राचार्य, राजकीय पोलिटेक्निक महाविद्यालय बीकानेर का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख श्रीमान् जसवन्त जी खत्री ने कहा कि पाथेय कण एक परिवार के सदस्य के रूप में अपना स्थान बना चुकी है। पाथेय कण हमें मनो से जोड़ रहा है और यह एक सामाजिक क्रान्ति का अग्रदुत है। पाथेय कण द्वारा हमें सम्पूर्ण विश्व की गरिमामय जानकारी बखुबी प्राप्त हो रही है।

श्रीमान् जी.एन. कनवाड़िया, द्वारा प्रचार विभाग द्वारा डाक मित्रों को दिये गये सम्मान के लिए विभाग के उक्त कार्य की भरीभूरी प्रश्ांसा की गई।  

उक्त कार्यक्रम में बीकानेर के प्रचार प्रमुखों द्वारा डाक मित्र श्री धनश्याम दास सुथार, श्री विष्णुदत्त श्रीमाली, श्री सीताराम साध आदि का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह के साथ पाथेय कण की प्रति देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री सुरेन्द्र सिंह जी (गार्ड साहब), श्री उमेश भाटी, श्रीमती अनामिका श्रीमाली, श्री बाबुलाल जी एवं     श्री विवेक सक्सेना ने अपने विचार रखे। प्रचार विभाग, बीकानेर की ओर से विभाग प्रचार प्रमुख श्रीमान् एस. एल. राठी जी ने सभी आगुन्तकों का आभार व्यक्त किया व मंच का संचालन किया।

विश्व संवाद केन्द्र जोधपुर द्वारा प्रकाशित